HiHindi.Com

HiHindi Evolution of media

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध | Environment Conservation Essay in Hindi

Environment Conservation Essay in Hindi प्रिय विद्यार्थियों आपका स्वागत है आज हम  पर्यावरण संरक्षण पर निबंध हिंदी में जानेगे.

हमारे चारों ओर के आवरण को वातावरण कहा जाता है प्रदूषण की समस्या के चलते आज पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता हैं. 

Environment Conservation Essay in Hindi कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए 5, 10 लाइन, 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में एनवायरमेंट एस्से शेयर कर रहे है.

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध Environment Conservation Essay in Hindi

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध | Environment Conservation Essay in Hindi

Here We Share With You Environment Conservation Essay in Hindi For School Students & Kids In Pdf Format Let Read And Enjoy:-

Short Essay On Environment Conservation Essay in Hindi In 300 Words

भारत में पर्यावरण  के प्रति वैदिक काल से ही जागरूकता रही है. विभिन्न पौराणिक ग्रंथो में पर्यावरण के विभिन्न कारको का महत्व व उनको आदर देते हुए संरक्षण की बात कही गई है.

भारतीय ऋषियों ने सम्पूर्ण प्राकृतिक शक्तियों को ही देवता का स्वरूप माना है. सूर्य जल, वनस्पति, वायु व आकाश को शरीर का आधार बताया गया है.

अथर्ववेद में भूमिसूक्त पर्यावरण संरक्षण का प्रथम लिखित दस्तावेज है. ऋग्वेद में जल की शुद्दता, यजुर्वेद में सभी प्रकृति तत्वों को देवता के समान आदर देने की बात कही गई है.

पहले अमेरिका प्रदूषण का उत्सर्जन करता था, लेकिन अब चीन उससे आगे निकल चुका है।

वैदिक उपासना के शांति पाठ में भी अन्तरिक्ष, पृथ्वी, जल, वनस्पति, आकाश सभी में शान्ति एवं श्रेष्टता की प्रार्थना करी गई है. वेदों में ही एक वृक्ष लगाने का पुण्य सौ पुत्रो के पालन के समान बताया गया है. हमारे राष्ट्र गीत वंदेमातरम् में पृथ्वी को ही माता मानकर उसे पूजनीय माना गया है.

हमारी संस्कृति को अरण्य संस्कृति भी कहा जाता है . इसके पीछे भाव यही है कि वन हरे भरे वृक्षों से सदैव यहाँ का पर्यावरण समर्द्ध रहा है.

महाभारत व रामायण में वृक्षों के प्रति अगाध श्रद्धा बताई गई है. विष्णु धर्म सूत्र, स्कन्द पुराण तथा याज्ञवल्क्य स्मृति में वृक्षों को काटने को अपराध बताया गया है तथा वृक्ष काटने वालों के लिए दंड का विधान किया गया है.

विश्व पर्यावरण दिवस पूरे विश्व में 5 जून को मनाया जाता है.  पर्यावरण ही हमारी वैदिक परम्परा रही है कि प्रत्येक मनुष्य पर्यावरण में ही पैदा होता है, पर्यावरण में ही जीता है और पर्यावरण में ही लीन हो जाता है.

वर्तमान में पर्यावरण चेतना के प्रति जागरूकता अत्यंत आवश्यक है क्योकि पर्यावरण प्रदूषित हो जाने से ग्लोबल वार्मिग की समस्या उत्पन्न हो गई है. इसको रोकने के लिए पर्यावरण संरक्षण व पर्यावरण शिक्षा का प्रचार जरुरी है. हमारे देश में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कई अहम कदम उठाए गये है

जिनमे खेजड़ली आंदोलन, चिपकों आंदोलन, अप्पिको आंदोलन, शांतघाटी आंदोलन और नर्मदा बचाओ आंदोलन पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता के ही परिचायक है. राजस्थान के बिश्नोई समाज के 29 सूत्र पर्यावरण संरक्षण के महत्वपूर्ण नियम है.

भारत विश्व के प्रमुख जैव विविधता वाले देशों में से एक है, जहां पूरी दुनिया में पाए जाने वाले स्तनधारियों का 7.6%, पक्षियों का 12.6%, सरीसृप का 6.2% और फूलों की प्रजातियों का 6.0% निवास करती हैं.

Best Short Environment Conservation Essay in Hindi For Kids In 500 Words

प्रस्तावना- पर्यावरण शब्द परि+आवरण के संयोग से बना हुआ है. परि का आशय चारो ओर तथा आवरण का आशय परिवेश हैं. वास्तव में पर्यावरण में वायु, जल, भूमि, पेड़ पौधे, जीव जन्तु मानव और इसकी विविध गतिविधियों के परिणाम आदि सभी का समावेश होता हैं.

इस धरती और सृष्टि के पर्यावरण का निर्माण करने वाले भूमि जल एवं वायु आदि तत्वों में जब कुछ विकृति आ जाती हैं अथवा इसका आपस में संतुलन गडबडा जाता है, तब पर्यावरण प्रदूषित हो जाता हैं.

पर्यावरण संरक्षण की समस्या- धरती पर जनसंख्या की निरंतर वृद्धि, औद्योगिकीकरण एवं शहरीकरण की तीव्र गति से जहाँ प्रकृति के हरे भरे क्षेत्रों को समाप्त किया जा रहा है.

वहां ईधन चालित यातायात वाहनों, खदानों, प्राकृतिक संसाधनों के विदोहन और आण्विक ऊर्जा के प्रयोग से सारा प्राकृतिक संतुलन डगमगाता जा रहा हैं.

वर्तमान समय में गैसीय पदार्थों, अपशिष्ट पदार्थों, विभिन्न यंत्रों की कर्णकटु ध्वनियों एवं अनियंत्रित भूजल के उपयोग आदि कार्यों से भूमि, जल, वायु, भूमंडल तथा समस्त प्राणियों का जीवन पर्यावरण प्रदूषण से ग्रस्त हो रहा हैं. ऐसे में पर्यावरण का संरक्षण करना और इसमें संतुलन बनाएं रखना कठिन कार्य बन गया हैं.

पर्यावरण संरक्षण का महत्व- पर्यावरण संरक्षण का समस्त प्राणियों के जीवन तथा इस धरती के समस्त प्राकृतिक परिवेश से घनिष्ठ सम्बन्ध है. पर्यावरण संरक्षण को लेकर सन 1992 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा ब्राजील में विश्व के 174 देशों का पृथ्वी सम्मेलन आयोजित किया गया.

फिर सन 2002 में जोहांसबर्ग में पृथ्वी सम्मेलन आयोजित कर विश्व के सभी देशों को पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देने के लिए अनेक उपाय सुझाएँ गये.

वस्तुतः पर्यावरण संरक्षण से ही धरती पर जीवन सुरक्षित रह सकता हैं. अन्यथा मंगल आदि ग्रहों की तरह धरती का जीवन चक्र भी एक दिन समाप्त हो जाएगा.

पर्यावरण संरक्षण के उपाय- पर्यावरण संरक्षण के लिए इसे प्रदूषित करने वाले कारकों पर नियंत्रण रखना आवश्यक है. इस दृष्टि से आण्विक विस्फोटों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए.

युवा वर्ग विशेष रूप से विद्यार्थी वृक्षारोपण करे, पर्यावरण की शुद्धता के लिए जन जागरण का काम करे. विषैले अपशिष्ट छोड़ने वाले उद्योगों और प्लास्टिक कचरे का विरोध करे.

वे जल स्रोतों की शुद्धता का अभियान चलावे. पर्यावरण संरक्षण के लिए हरीतिमा का विस्तार, नदियों की स्वच्छता, गैसीय पदार्थों का उचित विसर्जन, रेडियोधर्मी बढ़ाने वाले संसाधनों पर रोक, गंदे जल मल का परिशोधन, कारखानों के अपशिष्टों का उचित निस्तारण और गलत खनन पर रोक आदि उपाय किये जा सकते हैं. ऐसे कारगर उपायों से ही पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त रखा जा सकता हैं.

उपसंहार- पर्यावरण संरक्षण किसी एक व्यक्ति या किसी एक देश का काम न होकर समस्त विश्व के लोगों का कर्तव्य है. पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले सभी कारकों को अतिशीघ्र रोका जाए. युवा वर्ग द्वारा वृक्षारोपण व जलवायु स्वच्छकरण हेतु जन जागरण का अभियान चलाया जाए, तभी पर्यावरण सुरक्षित रह सकेगा.

पर्यावरण संरक्षण का महत्व Environment Protection Essay In Hindi

प्रस्तावना – मनुष्य इस पृथ्वी नामक ग्रह पर अपने अविर्भाव से लेकर आज तक प्रकृति पर आश्रित रहा हैं. प्रकृति पर आश्रित रहना उसकी विवशता हैं.

प्रकृति ने पृथ्वी के वातावरण को इस प्रकार बनाया हैं कि वह जीव जंतुओं के जीवन के लिए उपयुक्त सिद्ध हुआ हैं. पृथ्वी का वातावरण ही पर्यावरण कहलाता हैं.

पर्यावरण संरक्षण –   मनुष्य ने सभ्य बनने और दिखने के प्रयास में पर्यावरण को दूषित कर दिया हैं. पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखना मानव तथा जीव जंतुओं के हित में हैं. आज विकास के नाम पर होने वाले कार्य पर्यावरण के लिए संकट बन गये हैं. पर्यावरण के संरक्षण की आज महती आवश्यकता हैं.

पर्यावरण प्रदूषण – आज का मनुष्य प्रकृति के साधनों का अविवेकपूर्ण और निर्मम दोहन करने में लगा हुआ हैं. सुख सुविधाओं की प्राप्ति के लिए नाना प्रकार के उद्योग खड़े किये जा रहे हैं.

जिनका कूड़ा कचरा और विषैला अवशिष्ट भूमि, जल और वायु को प्रदूषित कर रहा हैं. हमारी वैज्ञानिक प्रगति ही पर्यावरण को प्रदूषित करने में सहायक हो रही हैं.

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार – आज हमारा पर्यावरण तेजी से प्रदूषित हो रहा हैं. यह प्रदूषण मुख्य रूप से तीन प्रकार का हैं,

  • जल प्रदूषण – जल मानव जीवन के लिए परम आवश्यक पदार्थ हैं. जल के परम्परागत स्रोत हैं कुँए, तालाब, नदी तथा वर्षा जल. प्रदूषण ने इन सभी स्रोतों को दूषित कर दिया हैं. महानगरों के समीप से बहने वाली नदियों की दशा दयनीय हैं. गंगा, यमुना , गोमती आदि सभी नदियों की पवित्रता प्रदूषण की भेंट चढ़ गयी हैं. उनको स्वच्छ करने में करोड़ो रूपये खर्च करके भी सफलता नहीं मिली हैं, अब तो भूमिगत जल भी प्रदूषित हो चूका हैं.
  • वायु प्रदूषण- वायु भी जल की तरह अति आवश्यक पदार्थ हैं. आज शुद्ध वायु का मिलना भी कठिन हो गया हैं. वाहनों, कारखानों और सड़ते हुए औद्योगिक कचरे ने वायु में भी जहर भर दिया हैं. घातक गैसों के रिसाव भी यदा कदा प्रलय मचाते रहते हैं. गैसीय प्रदूषण ने सूर्य की घातक किरणों से धरती की रक्षा करने वाली ओजोन परत को भी छेद डाला है.
  • ध्वनि प्रदूषण – कर्णकटु और कर्कश ध्वनियाँ मनुष्य के मानसिक संतुलन को बिगाड़ती हैं. और उसकी कार्य क्षमता को भी प्रभावित करती हैं. आकाश में वायुयानों की कानफोड ध्वनियाँ, धरती पर वाहनों, यंत्रों और संगीत का मुफ्त दान करने वाले ध्वनि विस्तारकों का शोर सब मिलकर मनुष्य को बहरा बना देंने पर तुले हुए हैं. इनके अतिरिक्त अन्य प्रकार का प्रदूषण भी पनप रहा हैं और मानव जीवन को संकट में डाल रहा हैं.
  • मृदा प्रदूषण – कृषि में रासायनिक खादों तथा कीटनाशकों के प्रयोग ने मिट्टी को भी प्रदूषित कर दिया हैं.
  • विकिरणजनित प्रदूषण- परमाणु विस्फोटों तथा परमाणु संयंत्रों से होते रहने वाले रिसाव आदि ने विकिरणजनित प्रदूषण भी मनुष्य को भोगना पड़ रहा हैं.
  • खाद्य प्रदूषण – मिट्टी, जल और वायु के बीच पनपने वाली वनस्पति तथा उसका सेवन करने वाले पशु पक्षी भी आज दूषित हो रहे हैं. चाहे शाकाहारी हो या मांसाहारी, कोई भी भोजन प्रदूषण से नहीं बच सकता.

प्रदूषण नियंत्रण/रोकने/ संरक्षण के उपाय – प्रदूषण ऐसा रोग नहीं हैं जिसका कोई उपचार न हो. प्रदूषण फैलाने वाले सभी उद्योगों को बस्तियों से सुरक्षित दूरी पर ही स्थापित किया जाना चाहिए.

किसी भी प्रकार की गंदगी और प्रदूषित पदार्थ को नदियों और जलाशयों में छोड़ने पर कठोर दंड की व्यवस्था होनी चाहिए.

वायु को प्रदूषित करने वाले वाहनों पर भी नियंत्रण आवश्यक हैं. इसके अतिरिक्त प्राकृतिक जीवन जीने का अभ्यास करना भी आवश्यक हैं. प्रकृति के प्रतिकूल चलकर हम पर्यावरण प्रदूषण पर विजय नहीं पा सकते.

जनसंख्या की अनियंत्रित वृद्धि को रोकने की भी जरूरत हैं. छायादार तथा सघन वृक्षों का आरोपण भी आवश्यक हैं.कृषि में रासायनिक खाद तथा कीटनाशक रसायनों के छिड़काव से बचना भी जरुरी हैं.

उपसंहार – पर्यावरण प्रदूषण एक अद्रश्य दानव की भांति मनुष्य समाज या समस्त प्राणी जगत को निगल रहा हैं. यह एक विश्व व्यापी संकट हैं.

यदि इस पर समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया तो आदमी शुद्ध जल, वायु, भोजन और शांत वातावरण के लिए तरस जाएगा. प्रशासन और जनता दोनों के गम्भीर प्रयासों से ही प्रदूषण से मुक्ति मिल सकती हैं.

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000W)

पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000W)

आज हम इस आर्टिकल में पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000) लिखा है जिसमें हमने प्रस्तावना, पर्यावरण का अर्थ, पर्यावरण का महत्व, विश्व पर्यावरण दिवस, पर्यावरण से लाभ और हानि, पर्यावरण और जीवन, पर्यावरण प्रौद्योगिकी प्रगति और प्रदूषण, पर्यावरण संरक्षण के उपाय के बारे में लिखा है।

Table of Contents

प्रस्तावना (पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi)

प्रकृति ने हमें एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण सौंपा था। किंतु मनुष्य ने अपने लालची पन और विकास के नाम पर उसे खतरे में डाल दिया है। विज्ञान की बढ़ती प्रकृति ने एक और तो हमारे लिए सुख- सुविधा में वृद्धि की है तो दूसरी ओर पर्यावरण को दूषित करके मानव के अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है।

पर्यावरण का अर्थ Meaning of Environment 

“अमृत बांटें कर विष पान, वृक्ष स्वयं शंकर भगवान।”पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है पर +आवरण जिसका अर्थ है हमारे चारों ओर घिरे हुए वातावरण।

पर्यावरण और मानव का संबंध अत्यंत घनिष्ठ है। पर्यावरण से मनुष्य की  भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति होती है। पर्यावरण से हमें जल, वायु आदि कारक प्राप्त होते हैं।

पर्यावरण का महत्व Importance of Environment in Hindi

पर्यावरण से ही हम हैं, हर किसी के जीवन के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है, क्योंकि पृथ्वी पर जीवन पर्यावरण से ही संभव है। समस्त मनुष्य, जीव- जंतु, प्राकृतिक, वनस्पतियों, पेड़- पौधे, जलवायु, मौसम सब पर्यावरण के अंतर्गत ही निहित है।

पर्यावरण न सिर्फ जलवायु में संतुलन बनाए रखने का काम करता है, और जीवन के लिए आवश्यक सभी वस्तुएँ  उपलब्ध कराता है।

विश्व पर्यावरण दिवस World Environment Day 

लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।

5 जून 1973 को पहला पर्यावरण दिवस मनाया गया था। इस मौके पर कई जगहों पर जागरूकता कार्यक्रम कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।

पर्यावरण से लाभ और हानि Advantages and Disadvantages of Environment in Hindi

पर्यावरण से लाभ advantages of environment in hindi.

पर्यावरण से हमें स्वच्छ हवा मिलती है। पर्यावरण हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण भाग है। पर्यावरण में जैविक,  अजैविक, प्राकृतिक तथा मानव निर्मित वस्तु का समावेश होता है।

प्राकृतिक पर्यावरण में पेड़, झाड़ियां, नदी, जल, सूर्य प्रकाश, पशु, हवा आदि शामिल है।जो हवा हम हर पल सांस लेते हैं, पानी जिस के सिवा हम जी नहीं सकते और जो हम अपनी दिनचर्या में इस्तेमाल करते हैं, पेड़ पौधे उनका हमारे जीवन में बहुत महत्व है।

यह सब प्राकृतिक चीजें हैं जो पृथ्वी पर जीवन संभव बनाती हैं। वह पर्यावरण के अंतर्गत ही आती हैं। पेड़-पौधों की हरियाली से मन का तनाव दूर होता है, और दिमाग को शांति मिलती है। पर्यावरण से ही हमारे अनेक प्रकार की बीमारी भी दूर होती है।

पर्यावरण मनुष्य, पशुओं और अन्य जीव चीजों को बढ़ाने और विकास होने में मदद करती है। मनुष्य भी पर्यावरण का एक महत्वपूर्ण भाग है। पर्यावरण का एक घटक होने के कारण हमें भी पर्यावरण का एक संवर्धन करना चाहिए।

पर्यावरण पर हमारा यह जीवन बनाए रखने के लिए हमें पर्यावरण की वास्तविकता को बनाए रखना होगा।

और पढ़ें: जल संरक्षण पर निबंध

पर्यावरण से हानि Disadvantages of Environment in Hindi

आज के युग में पर्यावरण प्रदूषण बहुत तेजी से बढ़ रहा है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण पर्यावरण की प्रकृति नष्ट हो रही है। हर जगह जहां घने वृक्ष हैं उन्हें काट कर वहां बड़ी इमारत बनाए जा रहे हैं।

गाड़ी की धुआ, फैक्ट्री मे मशीनों की आवाज, खराब रासायनिक जल इन सब की वजह से, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, मृदा प्रदूषण हो रहा है। यह एक चिंता का विषय बन चुका है यह अत्यंत घातक है। जिसके कारण हमें अनेक प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है और हमारा शरीर हमेशा बिगड़ रहा है।

वही आज जहां विज्ञान में तकनीकी और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिला है और दुनिया में खूब विकास हुआ है तो दूसरी तरफ यह बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार है। आधुनिकीकरण, प्रौद्योगिकी करण और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से पर्यावरण पर गलत प्रभाव पड़ रहा है।

मनुष्य  अपने स्वार्थ के चलते पेड़ पौधों की कटाई कर रहा है एवं प्राकृतिक संसाधनों से खिलवाड़ कर रहा है, जिसके चलते पर्यावरण को काफी क्षति पहुंच रही है, यही नहीं कुछ मानव निर्मित कारणों की वजह से वायुमंडल, जलमंडल आदि प्रभावित हो रहे हैं धरती का तापमान बढ़ रहा है और ग्लोबल वाल्मिग की समस्या उत्पन्न हो रही है, जो कि मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है।

पर्यावरण हमारे लिए अनमोल रत्न है। इस पर्यावरण के लिए हम सभी को जागरूक होने की आवश्यकता है। पर्यावरण का सौंदर्य बढ़ाने के लिए हमें साफ-सफाई का भी बहुत ध्यान रखना चाहिए।

  • पेड़ों का महत्व समझ कर हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना चाहिए। घने वृक्ष वातावरण को शुद्ध रखते हैं और हमें  छाया प्रदान करते हैं। घने वृक्ष पशु पक्षी का भी निवास स्थान है। इसीलिए हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए।

पर्यावरण और जीवन Environment and life in Hindi

पर्यावरण और मनुष्य एक दूसरे के बिना अधूरे हैं, अर्थात पर्यावरण पर ही मनुष्य पूरी तरह से निर्भर है। पर्यावरण के बिना मनुष्य अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता है, भले ही आज विज्ञान ने बहुंत तरक्की कर ली हो।

लेकिन प्रकृति में जो हमें उपलब्ध करवाया है, उसकी कोई तुलना नहीं है। इसीलिए भौतिक सुख की प्राप्ति के लिए मनुष्य को प्रकृति का दोहन करने से बचना चाहिए।

वायु, जल, अग्नि, आकाश, थल ऐसे पांच तत्व है, जिस पर मानव जीवन टिका हुआ है, और यह सब हमें पर्यावरण से ही प्राप्त होते हैं। पर्यावरण ना केवल हमारे स्वास्थ्य का ख्याल रखता है बल्कि एक मां की तरह हमें सुख-शांति भी प्राप्त करता है।

पर्यावरण, प्रौद्योगिकी, प्रगति और प्रदूषण Environment, Technology, Progress and Pollution in Hindi

इसमें कोई दो राय नहीं है कि विज्ञान की उन्नत तकनीकी ने मनुष्य के जीवन को बेहद आसान बना दिया है, वहीं इससे ना सिर्फ समय की बचत हुई है बल्कि मनुष्य ने काफी प्रगति भी की है। लेकिन विज्ञान ने कई ऐसी खोज की है जिसका असर हमारे पर्यावरण पर पड़ रहा है, और जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय Environmental protection measures in Hindi

  • उद्योग से निकलने वाला दूषित पदार्थ और धोएं का सही तरीके से निस्तारण करना चाहिए।
  • पर्यावरण हमारे लिए अनमोल रत्न है। इस पर्यावरण के लिए हम सभी को जागरूक होने की आवश्यकता है। पर्यावरण का सौंदर्य बढ़ाने के लिए हमें साफ-सफाई का भी बहुत ध्यान रखना चाहिए। 
  • पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगानी चाहिए।
  • वाहनों का इस्तेमाल बेहद जरूरत के समय ही किया जाना चाहिए।
  • दूषित और जहरीले पदार्थों को निपटाने के लिए सख्त कानून बनाने चाहिए।
  • लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझने के लिए जागरूकता फैलाने चाहिए।

हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की। यह पर्यावरण संतुलन के लिए ही बनाया गया एक उपक्रम है।

इस तरह हमें अपने पर्यावरण को बचाना चाहिए। लोगों को पर्यावरण का महत्व समझाना चाहिए। स्वच्छ पर्यावरण एक शांतिपूर्ण और स्वास्थ्य जीवन जीने के लिए बहुत आवश्यक है। 

पर्यावरण पर 10 लाइन 10 Line on Environment in Hindi

  • पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है परिधान +आवरण इसका अर्थ होता है हमारे चारों ओर् घिरे हुये वातावरण।
  • पर्यावरण और मानव का संबंध घनिष्ठ है।
  • पर्यावरण से ही हम हैं हर किसी के जीवन  के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है क्योंकि पृथ्वी पर जीवन पर्यावरण से ही संभव है।
  • पर्यावरण से हमें जल, वायु आदि कारक प्राप्त होते हैं।
  • पर्यावरण आसिफ जलवायु में संतुलन बनाए रखता है बल्कि, जीवन के लिए सभी आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराता है।
  • लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और जागरूकता फैलाने के मकसद से 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
  • पर्यावरण से हमें स्वच्छ हवा मिलती है।
  • प्राकृतिक पर्यावरण में पेड़, झाड़ियां, नदी, जल, सूर्य प्रकाश, पशु, हवा आदि शामिल है।
  • पर्यावरण ना केवल हमारे स्वास्थ्य का ख्याल रखता है बल्कि एक मां की तरह हमें सुख-शांति भी प्राप्त करता है।
  • घने वृक्ष पशु-पक्षी का निवास स्थान है। घने वृक्ष वातावरण को शुद्ध रखते हैं और हमेशा या प्रदान करते हैं।

निष्कर्ष Conclusion

पर्यावरण के प्रति हम सब को जागरूक होने की आवश्यकता है। पेड़ों की हो रही है अंधाधुन कटाई पर सरकार द्वारा सख्त कानून बनाना चाहिए। इसके साथ ही पर्यावरण को स्वच्छ रखना और हमारा कर्तव्य समझना चाहिए, क्योंकि स्वच्छ पर्यावरण में ही रहकर स्वास्थ्य मनुष्य का निर्माण हो सकता है और उसका विकास हो सकता है।आशा करते हैं आपको हमारा पर्यावरण पर निबंध अच्छा लगा होगा।

1 thought on “पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000W)”

आपने पर्यावरण पर जो निबंध लिखा है सचमुच ही हृदय को छू लेने वाला है। अगर जन-जन में यह क्रांति फैलाई जाए की मनुष्य जहां- जहां घर बनाते हैं वहां 6 फुट का जगह छोड़ना चाहिए और एक आम और नीम का पेड़ जरूर लगाना चाहिए।

Leave a Comment Cancel reply

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed .

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (300, 500 और 600 शब्दों में)

दोस्तों, हम अपने पर्यावरण के विषय में तो जानते ही हैं, कि पर्यावरण ही दुनिया के समस्त भगौलिक स्थितियों का नियंत्रणकर्ता है। लेकिन आधुनिक भारत में नवीनीकरण व औद्यौगिककरण ने देश के पर्यावरण को इस तरह दूषित कर दिया है, कि मानव जाति का जीवन ही संकट में अा चुका है।

आज के आर्टिकल के जरिए हम अपने लेख में आपको पर्यावरण संरक्षण विषय पर निबंध प्रस्तुत कर रहे हैं। जो आपकी निबंध प्रतियोगिताओं, निबंध लेखन इत्यादि में लाभकारी साबित होंगे। तो आइए जानते हैं, पर्यावरण संरक्षण पर निबंध

Table of Contents (विषय सूची)

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (300).

पर्यावरण संरक्षण का मतलब है, हमारे आस पास के वातावरण को संरक्षित करना। पर्यावरण मानव जाति के लिए एक उपहार है। जिसको सुरक्षित करना हमारा कर्तव्य है। लेकिन आज के समय में स्वार्थी मनुष्य अपने हित के लिए पर्यावरण का अहित कर रहा है। जो वाकई बेहद घातक सिद्ध हो सकता है। पर्यावरण का मानव जीवन से सीधा संबंध है। इसलिए पर्यावरण को हानि पहुंचेगी तो मानव जीवन भी कलुषित हो जाएगा। यही कारण है कि वर्तमान समय में पर्यावरण संरक्षण के लिए सार्थक कदम उठाए जाने की मांग बढ़ती चली जा रही है।

पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता

हमारे आस पास का समस्त वातावरण जैसे पेड़ पौधे, पशु, पक्षी, मनुष्य, जीव जंतु इत्यादि पर्यावरण का ही एक हिस्सा हैं। इस प्रकार इन सभी का पर्यावरण से घनिष्ठ सम्बन्ध है। हम कह सकते हैं कि यह सब एक दूसरे के पूरक है। ऐसे में यदि आप अपने पूरक को ही दूषित कर देंगे तो निसंदेह आपका दूषित होने भी स्वाभाविक है।

पर्यावरण के दूषित होने से संसार में अनेकों बीमारियां जन्म ले रही हैं। जीव जंतुओं की संख्या भी घटती जा रही है। पेड़ पौधे जो हमें ताजी हवा प्रदान करते हैं. इनकी संख्या घटती जा रही है। ऐसे में पर्यावरण संरक्षण एक सोचनीय विषय बन जाता है।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय

पर्यावरण को सुरक्षित करना किसी व्यक्ति का कर्तव्य नहीं है। बल्कि यह संपूर्ण विश्व के लोगों का दायित्व है कि वह पर्यावरण संरक्षण को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। पर्यावरण संरक्षण हेतु अपनाए जाने वाले उपायों में निम्नलिखित उपाय शामिल हैं।

सबसे पहले हमें पर्यावरण को दूषित करने वाले कारकों के विषय में जानना होगी। जब तक इस बात का ज्ञान नहीं होगा कि आखिर पर्यावरण को दूषित करने के पीछे क्या कारण हैं तब तक हम उनका निवारण नहीं कर सकते हैं।

इस प्रकार, पर्यावरण से जन्म लेने वाले हम पर्यावरण के अंश हैं। हमें अपने पर्यावरण का आनंद लेने, उसका प्रयोग करने का जितना अधिकार है उतना ही पर्यावरण को संरक्षण करने का कर्तव्य है। अतः हमें सरकार के साथ मिलकर पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए और उसे प्रदूषण मुक्त करने के लिए एक साथ जागरूक होना होगा।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (500)

प्रस्तावना : पर्यावरण संरक्षण एक अभ्यास है जिसका उद्देश्य व्यक्तियों, संगठनों और सरकारों के हाथों से प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करना है। यह समय की मांग है क्योंकि पृथ्वी का पर्यावरण हर दिन बिगड़ रहा है और इसका कारण मनुष्य हैं। वे अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पृथ्वी के पर्यावरण को गलत तरीके से संभाल रहे हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो यह कहना मुश्किल है कि आने वाली पीढ़ी के पास रहने के लिए एक सुरक्षित वातावरण होगा या नहीं।

पर्यावरण व मानव जीवन

पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए अच्छा पर्यावरण होना आवश्यक है। ऐसी चीजें जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही हैं जैसे उद्योगों या कारखानों में काम करना, ईंधन से चलने वाले वाहनों से आना-जाना, एयर कंडीशनर का उपयोग करना आदि हमारे जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा बन गए हैं। हम जितनी ऊर्जा का उपयोग कर रहे हैं वह आवश्यक है और इसका कोई दूसरा विकल्प नहीं है। पर्यावरण की सुरक्षा के महत्व के बारे में पूरी तरह से जागरूक होने के बावजूद हम पर्यावरण क्षरण में प्रमुख योगदान करें। जो कि मानव जीवन के लिए एक श्राप साबित हो सकता है। इसीलिए बेहद जरूरी है कि आत्मा की शुद्धि पर मनुष्य की आयु वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले पर्यावरण का संरक्षण किया जाए।

पर्यावरण संरक्षण की जरूरत

हर साल प्रदूषण बढ़ने और प्राकृतिक पर्यावरण के बिगड़ने के कारण, प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा के लिए कदम उठाना आवश्यक हो गया है। जैसा कि हम जानते हैं कि इन सभी समस्याओं का कारण मनुष्य है, सरकारों को अपनी गतिविधियों को प्रतिबंधित करने के लिए नीतियां बनानी चाहिए जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही हैं। यदि इन्हें तत्काल नहीं रोका गया तो आने वाले वर्षों में विश्व में कुछ विनाशकारी विनाश देखने को मिल सकता है। उदाहरण के लिए, जलवायु परिवर्तन एक बहुत बड़ी समस्या रही है, और यह बढ़ते प्रदूषण के कारणों में से एक है। एक सुरक्षित भविष्य समग्र रूप से पर्यावरण पर निर्भर करता है।

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 में भारत की संसद द्वारा पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के प्रयास में पारित एक अधिनियम है। यह भोपाल गैस त्रासदी के बाद सरकार द्वारा अधिनियमित किया गया था। यह दिसंबर 1984 में भोपाल, मध्य प्रदेश में एक गैस रिसाव की घटना थी। इसे दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक आपदा माना जाता था क्योंकि आधिकारिक तौर पर मरने वालों की संख्या 2,259 थी और 500,000 से अधिक लोग मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस के संपर्क में आए थे। इस अधिनियम को स्थापित करने का उद्देश्य लोगों को मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के निर्णयों को लागू करना था। यह पर्यावरण के संरक्षण और सुधार और पर्यावरणीय खतरों की रोकथाम के लिए बनाया गया था।

अतः पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने से रोकने के लिए पर्यावरण संरक्षण अधिनियम बनाए गए हैं। व्यक्ति केवल अपने बारे में सोचते हैं। हालांकि, ये सभी प्रयास तब तक व्यर्थ जाएंगे जब तक कि लोग पर्यावरण को बचाने की अपनी जिम्मेदारी नहीं मानेंगे। हम सभी को अपने पर्यावरण को बचाकर अपने ग्रह को बचाने के लिए व्यक्तिगत रूप से एक साथ आना होगा।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (600)

मानव जाति हमेशा पर्यावरण के बारे में चिंतित रही है। प्राचीन यूनानियों ने पर्यावरण दर्शन को विकसित करने वाले पहले लोग थे, और उनके बाद भारत और चीन जैसी अन्य प्रमुख सभ्यताओं का पालन किया गया। हाल के दिनों में, पारिस्थितिक संकट के बारे में बढ़ती जागरूकता के कारण पर्यावरण के लिए चिंता बढ़ गई है। क्लब ऑफ रोम, एक थिंक टैंक, अपनी रिपोर्ट “द लिमिट्स टू ग्रोथ” (1972) में दुनिया को अति जनसंख्या और प्रदूषण के खतरों के बारे में चेतावनी देने वाले पहले लोगों में से था।

आधुनिक पर्यावरण आंदोलन 1960 के दशक में शुरू हुआ जब पर्यावरण पर मनुष्यों के नकारात्मक प्रभाव के बारे में चिंताएं शुरू हुईं। इन चिंताओं के जवाब में, दुनिया भर की सरकारों ने पर्यावरण की रक्षा के लिए कानून पारित करना शुरू कर दिया। उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका में, पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPA) की स्थापना 1970 में हुई थी।

पर्यावरण संरक्षण के सिद्धांत

पर्यावरण संरक्षण के तीन मूलभूत सिद्धांत है। पहला सिद्धांत बताता है कि यदि किसी गतिविधि में पर्यावरण के लिए नुकसान पहुंचाने की क्षमता है तो उस नुकसान को रोकने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। दूसरा, सिद्धांत प्रदूषण पैदा करने के लिए जिम्मेदार पार्टी को इसे साफ करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। तीसरा सिद्धांत, जनता को पर्यावरण के लिए किसी भी संभावित खतरों के बारे में जानने का अधिकार है और पर्यावरण को संरक्षित करने उनके कर्मों में से एक भी है।

पर्यावरण संरक्षण के लक्ष्य

पर्यावरण संरक्षण के तीन मुख्य लक्ष्य हैं।

  • मानव स्वास्थ्य की रक्षा करना: यह पर्यावरण संरक्षण का सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य है क्योंकि मनुष्य स्वस्थ पर्यावरण के बिना जीवित नहीं रह सकते हैं।
  • पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा के लिए: पारिस्थितिक तंत्र पृथ्वी पर जीवन की नींव हैं, और वे मनुष्यों को स्वच्छ हवा और पानी, भोजन और फाइबर जैसे कई लाभ प्रदान करते हैं।
  • सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए: सतत विकास एक ऐसा विकास है जो भविष्य की पीढ़ियों की अपनी जरूरतों को पूरा करने की क्षमता से समझौता किए बिना वर्तमान की जरूरतों को पूरा करता है।

पर्यावरण संरक्षण हेतु सुझाव

पर्यावरण संरक्षण के लिए कुछ सुझाव निम्नलिखित हैं:

  • यदि आप अपने घर को पेंट कर रहे हैं, तो लेटेक्स पेंट का उपयोग करें, क्योंकि तेल आधारित पेंट हाइड्रोकार्बन धुएं को छोड़ते हैं।
  • अपने निजी वाहन का उपयोग करने के बजाय, बाइक या सार्वजनिक परिवहन के लिए जाएं। क्योंकि ध्वनि प्रदूषण और स्मॉग में वाहन यातायात का प्रमुख योगदान है।
  • इसके बजाय कम उर्वरक का उपयोग करने या जैविक उर्वरकों का उपयोग करने का प्रयास करें क्योंकि जब बारिश होती है, तो उर्वरक बारिश के पानी के साथ नदियों में बह जाते हैं।
  • वाशिंग मशीन का उपयोग करते समय, इसे पूरा लोड करने का प्रयास करें या लोड के अनुसार जल स्तर को समायोजित करें। वाशिंग मशीन लगभग 40 गैलन पानी का उपयोग करती है।
  • कार या अन्य वाहनों को धोने के लिए नली के बजाय बाल्टी का प्रयोग करें। क्योंकि जब आप काम कर रहे होते हैं तो होज़ से निकलने वाला पानी बहुत सारा पानी बर्बाद करता है।
  • उपयोग में न होने पर लाइट, पंखे और अन्य बिजली के उपकरणों को बंद करके ऊर्जा बचाने का प्रयास करें। इससे आपके बिल को काफी हद तक कम करने में भी मदद मिलेगी।
  • सामान्य रूप से पेड़ पौधों को ना काटे और आसपास छोटे बड़े पेड़ पौधे लगाने का प्रयास करें।
  • देश में पॉलीथिन का प्रयोग करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस प्रकार आप भी पॉलिथीन का यूज़ कम से कम करें। बाजार या दुकान पर सामान लेने के लिए आप अपना कपड़े का थैला यूज करें।

इस प्रकार हम जानते हैं कि मनुष्य ही पर्यावरण को दूषित करने का कारण है। इसीलिए पर्यावरण संरक्षण में मनुष्य को ही अपना विशेष योगदान देना होगा। अब समय समझने का और समझदारी दिखाने का है। हम सभी को मिलकर पर्यावरण संरक्षण की महत्वता को समझना होगा और इसके लिए एक साथ आगे आना होगा।

Also Read:  पर्यावरण संरक्षण पर निबंध, 10 lines  //  पर्यावरण पर निबंध  //  पर्यावरण संतुलन पर निबंध  //  औद्योगीकरण का पर्यावरण पर प्रभाव निबंध, लेख  //  “पर्यावरण” हमारा दायित्व पर निबंध  //  पर्यावरण संरक्षण में विद्यार्थिओं का योगदान  |

पर्यावरण संरक्षण पर 10 LINES

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (300, 500 और 600 शब्दों में) 1

  • महान व्यक्तियों पर निबंध
  • पर्यावरण पर निबंध
  • प्राकृतिक आपदाओं पर निबंध
  • सामाजिक मुद्दे पर निबंध
  • स्वास्थ्य पर निबंध
  • महिलाओं पर निबंध

Related Posts

हर घर तिरंगा पर निबंध -Har Ghar Tiranga par nibandh

आलस्य मनुष्य का शत्रु निबंध, अनुछेद, लेख

मेरा देश भारत पर निबंध | Mera Desh par nibandh

होली पर निबंध-Holi Essay March 2024

‘मेरा स्टार्टअप एक सपना’ निबंध

Leave a Comment Cancel reply

पर्यावरण पर निबंध – 10 lines(Environment Essay in Hindi) 100, 150, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे

essay writing on environmental conservation in hindi

Essay on Environment in Hindi – पर्यावरण का अर्थ है एक ऐसा परिवेश जहां हम मिलते हैं, हम रहते हैं और हम सांस लेते हैं। यह जीवित प्राणियों के लिए बुनियादी आवश्यक चीजों में से एक है। पर्यावरण शब्द में सभी जैविक और अजैविक चीजें शामिल हैं जो हमारे आसपास मौजूद हैं। Essay on Environment यह हवा, पानी, भोजन और भूमि जैसी मूलभूत चीजें प्रदान करता है जो हमारी भलाई के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

यह ईश्वर द्वारा मनुष्य को दिया गया एक उपहार है जो मानव जीवन को पोषित करने में मदद करता है।

पर्यावरण का महत्व  (Importance of Environment)

  • यह जीवित चीजों को स्वस्थ और हार्दिक बनाए रखने में एक जोरदार भूमिका निभाता है।
  • यह पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
  • यह भोजन, आश्रय, वायु प्रदान करता है और मानव की सभी आवश्यकताओं को पूरा करता है।
  • इस वातावरण के अतिरिक्त प्राकृतिक सौंदर्य का स्रोत है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

पर्यावरण पर निबंध 10 पंक्तियाँ (Essay On Environment 10 Lines in Hindi)

  • हमारे चारों ओर जो कुछ भी है, उसे पर्यावरण कहा जाता है।
  • पर्यावरण को स्वच्छ और हरा-भरा रखना सभी का दायित्व है।
  • सभी जीवित और निर्जीव जीव पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं।
  • वृक्षारोपण, पुनर्चक्रण, पुन: उपयोग, प्रदूषण कम करने और जागरूकता पैदा करके पर्यावरण को बचाया जा सकता है।
  • एक स्वस्थ वातावरण सभी जीवित प्रजातियों के विकास और पोषण में मदद करता है।
  • हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी को ‘नीला ग्रह’ के नाम से जाना जाता है। फिर फिर, यह एकमात्र ऐसा है जो जीवन को बनाए रखता है।
  • पर्यावरण प्रदूषण के कारण ग्लोबल वार्मिंग, अम्लीय वर्षा और प्राकृतिक संसाधनों का ह्रास होता है।
  • पर्यावरण को प्रदूषित करने वाली किसी भी गतिविधि में कभी भी प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए।
  • सभी को यह मानना ​​चाहिए कि पौधों और पेड़ों को बचाना उनका कर्तव्य है। पर्यावरण की रक्षा के लिए प्लास्टिक के प्रयोग से बचें।
  • प्रकृतिक वातावरण
  • औद्योगिक वातावरण
  • सामाजिक वातावरण

इनके बारे मे भी जाने

  • Essay in Hindi
  • New Year Essay
  • New Year Speech
  • Mahatma Gandhi Essay
  • My Mother Essay
  • My Family Essay

पर्यावरण पर निबंध 100 शब्द (Essay On Environment 100 Words in Hindi)

Essay on Environment in Hindi – पर्यावरण वह परिस्थिति है जिसमें पृथ्वी के सभी प्राकृतिक संसाधन रहने के अनुकूल होते हैं। मनुष्य, जानवर, पेड़, महासागर, चट्टानें पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधन हैं और मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं। वे एक जीव के लिए रहने की स्थिति प्रदान करने के लिए जिम्मेदार हैं। पर्यावरण को भौतिक और जैविक में वर्गीकृत किया गया है। पहली श्रेणी में वायुमंडल (वायु), जलमंडल (जल), और स्थलमंडल (ठोस) शामिल हैं। दूसरी श्रेणी में मनुष्य जैसे सभी जीवित प्राणी शामिल हैं। पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए इन दोनों श्रेणियों की एक साथ आवश्यकता है। इनमें से किसी भी श्रेणी के अभाव में पृथ्वी पर जीवित रहने का कोई अवसर नहीं होगा।

पर्यावरण पर निबंध 150 शब्द (Essay On Environment 150 Words in Hindi)

वह परिवेश जिसमें पृथ्वी पर जीवन मौजूद है, पर्यावरण कहलाता है। पर्यावरण में हवा, पानी, सूरज की रोशनी, पेड़, जानवर और इंसान शामिल हैं। वे पृथ्वी के जीवित और निर्जीव प्राणी हैं। पेड़, मनुष्य और जानवर जीवित जीव हैं। सूर्य, जल और वायु निर्जीव जीव हैं जो मनुष्य के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण हैं। प्रत्येक प्राणी एक दूसरे के लिए एक प्राकृतिक संसाधन है। उदाहरण के लिए, हिरण एक प्राकृतिक संसाधन है जिसे शेर खा सकता है। इन प्राकृतिक संसाधनों में से किसी एक के अभाव में पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व नहीं हो पाएगा।

हालांकि, पर्यावरण में वायुमंडल और जलमंडल के घटक होते हैं जो जीवित प्राणियों के जीवन को प्रभावित करते हैं। वायुमंडल में नाइट्रोजन और ऑक्सीजन जैसी गैसें मौजूद हैं। जलमंडल सभी जल निकायों को कवर करता है, प्रत्येक जीवित प्राणी इन घटकों की विशेषताओं के अनुसार बनाया गया है। उदाहरण के लिए, जलीय जंतु पानी के भीतर सांस लेने के लिए बनाए जाते हैं। हवाई जानवर हवा में सांस लेने के लिए बने होते हैं

पर्यावरण पर निबंध 200 शब्द (Essay On Environment 200 Words in Hindi)

पर्यावरण पृथ्वी का प्राकृतिक परिवेश है जो किसी जीव को जीवित रहने में सक्षम बनाता है। फ्रांसीसी शब्द ‘एनवायरन’ जिसका अर्थ है घेरना, पर्यावरण शब्द का व्युत्पन्न है। इसमें मनुष्य, पौधे और जानवर जैसे जीवित प्राणी शामिल हैं। वायु, जल और भूमि निर्जीव हैं। उनकी कार्यप्रणाली प्रकृति द्वारा इस तरह से डिजाइन की गई है कि सब कुछ एक दूसरे पर निर्भर है। मनुष्य सभी प्राणियों में सबसे प्रभावशाली प्राणी है जो पृथ्वी के सभी प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर हो सकता है। उसे सांस लेने के लिए हवा की आवश्यकता होती है। न केवल मनुष्य बल्कि पौधों और जानवरों को भी सांस लेने के लिए हवा की आवश्यकता होती है। वायु के बिना पृथ्वी पर जीवन नहीं होगा। पर्यावरण की बर्बादी के लिए सिर्फ इंसान ही जिम्मेदार है।

पर्यावरण को विभिन्न परतों जैसे वायुमंडल, जलमंडल, स्थलमंडल और जीवमंडल में विभाजित किया गया है। वायुमंडल कई गैसों जैसे नाइट्रोजन और ऑक्सीजन से बना है। सभी जल निकाय जलमंडल बनाते हैं। लिथोस्फीयर पृथ्वी का आवरण है जो चट्टान और मिट्टी से बना है। जीवमंडल में जीवन मौजूद है।

पर्यावरण पर निबंध 250 शब्द (Essay On Environment 250 Words in Hindi)

Essay on Environment in Hindi – पृथ्वी परिवेश से बनी है जिसमें सभी सजीव और निर्जीव अपना जीवन व्यतीत करते हैं। प्रकृति की भौतिक, जैविक और प्राकृतिक शक्तियाँ एक साथ मिलकर ऐसी परिस्थितियाँ बनाती हैं जो एक जीव को जीने में सक्षम बनाती हैं। ऐसी परिस्थितियों को पर्यावरण कहते हैं। फ्रांसीसी शब्द ‘एनवायरन’ जिसका अर्थ है घेरना, पर्यावरण शब्द का व्युत्पन्न है।

सभी जैविक (जीवित) और अजैविक (निर्जीव) संस्थाएं पर्यावरण का निर्माण करती हैं। जैविक चीजों में शामिल हैं- मनुष्य, पौधे, जानवर और कीड़े। उन्हें पर्यावरण के जैविक घटकों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। प्रत्येक जैविक प्राणी का अपना एक निश्चित जीवन चक्र होता है। उदाहरण के लिए, मनुष्य पृथ्वी पर सबसे मजबूत जीवित जीव है। उसे अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पौधों और जानवरों की जरूरत है। उनके बिना उसका जीवन-चक्र अस्त-व्यस्त हो जाएगा।

जबकि, अजैविक घटकों में वायुमंडल, स्थलमंडल, जलमंडल और जीवमंडल शामिल हैं। वे पर्यावरण की परतें हैं। इन परतों को पर्यावरण के भौतिक घटकों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। वायुमंडल हवा की वह परत है जो नाइट्रोजन, ऑक्सीजन और अन्य गैसों से बनी होती है। सभी जल निकाय जैसे नदियाँ और महासागर मिलकर जलमंडल बनाते हैं। स्थलमंडल पृथ्वी का सबसे ठोस, सबसे बाहरी भाग है। यह क्रस्ट से बना है जो पृथ्वी की सतह पर मेंटल, चट्टानों और मिट्टी को ढकता है। सबसे महत्वपूर्ण परत जीवमंडल है जहां जीवन मौजूद है। इसमें जलीय, स्थलीय और हवाई पारिस्थितिक तंत्र शामिल हैं। पेड़ों की जड़ प्रणाली से लेकर गहरे पानी के नीचे के जीवन तक जीवमंडल की विशेषता है।

इन सभी जीवों का अस्तित्व एक दूसरे के साथ उनके निरंतर संपर्क पर निर्भर है। उनकी कार्यप्रणाली प्रकृति द्वारा व्यवस्थित है और एक बार बर्बाद होने पर नष्ट हो सकती है। आज पर्यावरण का क्षरण एक प्रमुख मुद्दा बन गया है जिससे मानव को निपटना है।

पर्यावरण पर निबंध 300 शब्द (Essay On Environment 300 Words in Hindi)

Essay on Environment in Hindi – कई तरह से हमारी मदद करने के लिए हमारे आस-पास के सभी प्राकृतिक संसाधनों को पर्यावरण में शामिल किया जाता है, यह हमें आगे बढ़ने और बढ़ने का एक बेहतर माध्यम देता है। यह हमें इस ग्रह पर रहने के लिए सभी चीजें देता है। हालांकि, अपने पर्यावरण को बनाए रखने के लिए, हमें सभी मदद की ज़रूरत है, ताकि यह हमारे जीवन का पोषण करे और हमारे जीवन को बर्बाद न करे। मानव निर्मित तकनीकी आपदा के कारण हमारे पर्यावरण के तत्व दिन-ब-दिन गिरते जा रहे हैं।

केवल पृथ्वी ही एक ऐसी जगह है जहाँ पूरे विश्व में जीवन संभव है और पृथ्वी पर जीवन को जारी रखने के लिए हमें अपने पर्यावरण की मौलिकता को बनाए रखने की आवश्यकता है। विश्व पर्यावरण दिवस एक अभियान है जो हर साल 5 जून को कई वर्षों तक मनाया जाता है ताकि पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के लिए दुनिया भर में जनता के बीच जागरूकता फैलाई जा सके। हमें इस वातावरण में भाग लेना चाहिए ताकि हमारे पर्यावरण संरक्षण के तरीके और सभी बुरी आदतें हमारे पर्यावरण दिवस को नुकसान पहुंचा सकें।

हम अपने पर्यावरण को पृथ्वी पर हर व्यक्ति द्वारा उठाए गए छोटे-छोटे कदमों से बहुत ही आसान तरीके से बचा सकते हैं; कचरे की मात्रा को कम करने के लिए, कचरे को ठीक से बदलने के लिए, पॉली बैग के उपयोग को रोकने के लिए, पुरानी वस्तुओं को नए तरीके से पुनर्चक्रण करने के लिए, टूटी हुई वस्तुओं की मरम्मत और पुनर्चक्रण, रिचार्जेबल बैटरी या फ्लोरोसेंट रोशनी का उपयोग करना। बारिश के पानी को बचाने, पानी की बर्बादी को कम करने, ऊर्जा बचाने और बिजली के उपयोग को कम करने के लिए अक्षय क्षारीय बैटरी का उपयोग करें।

  • My Best Friend Essay
  • My School Essay
  • pollution Essay
  • Essay on Diwali
  • Global Warming Essay
  • Women Empowerment Essay
  • Independence Day Essay
  • My Hobby Essay
  • Wonder Of Science Essay
  • Air Pollution Essay

पर्यावरण पर निबंध 500 शब्द (Essay On Environment 500 Words in Hindi)

पर्यावरण वह सब कुछ है जो हमारे चारों ओर प्राकृतिक है। आज यह प्राकृतिक पर्यावरण मानवीय गतिविधियों से खतरे में है। पेड़, जंगल, झीलें, नदियाँ, प्राकृतिक पर्यावरण के कुछ प्रमुख घटक हैं, जबकि सड़कों, कारखानों और कंक्रीट के ढांचे आदि का निर्माण पर्यावरण के अतिक्रमण के उदाहरण हैं। मानवीय हस्तक्षेप के कारण हमारे चारों ओर का प्राकृतिक वातावरण समाप्त होता जा रहा है।

पर्यावरण अनमोल है

‘पर्यावरण अनमोल है’; इस दावे को प्रमाणित करने के लिए कम से कम दो मुख्य स्पष्टीकरण हैं। पहला यह है कि आज हम जिस प्राकृतिक वातावरण में रहते हैं, जैसे नदियों, झीलों, जंगलों, पहाड़ियों, भूजल संसाधनों आदि को वर्तमान अवस्था में आने में हजारों या लाखों साल लग गए हैं। पर्यावरण की बहुमूल्यता को प्रमाणित करने का दूसरा तर्क यह है कि यह स्वस्थ और सुखी जीवन के लिए अति आवश्यक है। मुझे थोड़ा विस्तार से बताएं।

कोई भी वनाच्छादित क्षेत्र जिसे आप जानते हैं वह आपके बचपन से रहा है, शायद हजारों वर्षों में विकसित हुआ है। एक प्राकृतिक जंगल को अपनी पूर्ण महिमा में आने और उस सभी जैव विविधता का समर्थन करने में इतने सालों लगते हैं। लेकिन जब किसी जंगल को व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए काटा जाता है, तो चीजें कभी भी वैसी नहीं रहतीं, भले ही जंगल को फिर से बढ़ने का उचित मौका दिया जाए। अफसोस की बात है कि जैव विविधता के नुकसान की भरपाई कभी नहीं की जा सकती, चाहे हम कितनी भी कोशिश कर लें।

यही स्थिति पर्यावरण के अन्य तत्वों के साथ भी है। जिस भूजल का हम प्रतिदिन उपयोग करते हैं, वह हजारों वर्षों की अवधि में निर्मित हुआ है। इसका मतलब है कि भूजल के किसी भी अपशिष्ट को फिर से भरने में सदियों लगेंगे।

जीवन और पर्यावरण

हम रोज़मर्रा के कामों में इतने मशगूल हैं कि हमें उस हंगामे के पीछे की असली ताकत का एहसास नहीं होता, जो हमें चुनौतियों का सामना करने की ताकत देता है। हम सोचते हैं कि हमारी इच्छाएं और महत्वाकांक्षाएं हमें प्रेरित करती हैं, लेकिन यह केवल आधा सच है। महत्वाकांक्षाएं और कुछ नहीं बल्कि मन के लक्ष्य हैं जो हम अपने लिए निर्धारित करते हैं, लेकिन हम उन लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होते हैं, केवल इसलिए कि हमारा पर्यावरण स्वास्थ्य में हमारा समर्थन करता है।

यह हमें जीवन के लिए सभी आवश्यक आवश्यकताएं प्रदान करता है – ऑक्सीजन, पानी, भोजन, वायु और अन्य महत्वपूर्ण संसाधन। हम एक निर्दिष्ट सीमा से अधिक पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचा सकते। क्योंकि, अगर हम ऐसा करते हैं, तो पृथ्वी पर कोई जीवन नहीं होगा, एक कठिन जीवन के बारे में भूल जाओ।

सौभाग्य से, जिस हवा में हम सांस लेते हैं, उसमें अभी भी 20% ऑक्सीजन सांद्रता द्वारा होती है, जबकि मनुष्यों को सांस लेने या अधिक विशिष्ट होने के लिए – ‘जीने के लिए’ लगभग 19.5% ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। हालाँकि, जिस दर से हम अपने पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहे हैं, टेबल जल्दी से पर्याप्त रूप से बदल सकते हैं, मरम्मत के लिए कोई जगह नहीं छोड़ेंगे।

महासागरों से समुद्री ऑक्सीजन की हानि पहले से ही मछलियों और अन्य समुद्री प्रजातियों के अस्तित्व के लिए खतरा है। समुद्र में ऑक्सीजन के स्तर में गिरावट के लिए जिम्मेदार कारक जलवायु परिवर्तन और पोषक तत्व प्रदूषण हैं। जलवायु परिवर्तन मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियों का परिणाम है और यह समग्र रूप से पर्यावरण के लिए भी खतरा है।

ये परिवर्तन संभवत: अलार्म कॉल हैं जो पर्यावरण को होने वाले नुकसान के खिलाफ मानवता को चेतावनी देते हैं। स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण के बिना, ग्रह पर किसी भी तरह के जीवन के बारे में सोचना भी बेकार होगा। अगर पर्यावरण को नुकसान होता रहा तो पृथ्वी की सारी सुंदरता गायब हो जाएगी।

यह संदेह से परे है कि ग ग्रह पर जीवन के लिए आवश्यक है और जब तक अपने मूल रूप और आकार में रहता है, जीवन फलता-फूलता रहेगा। लेकिन, अगर यह एक निश्चित स्तर से अधिक क्षतिग्रस्त हो जाता है तो धीरे-धीरे भूमि और समुद्री जीवन समाप्त हो जाएगा, जिससे ग्रह बेजान हो जाएगा। इसलिए पर्यावरण को होने वाले नुकसान की जांच करना और इस संबंध में आवश्यक कदम उठाना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।

पर्यावरण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

पर्यावरण क्यों महत्वपूर्ण है.

पर्यावरण हर किसी के जीवन में एक आवश्यक भूमिका निभाता है। यह सभी जीवों का एकमात्र घर है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पर्यावरण हवा, भोजन, पानी और आश्रय प्रदान करता है।

मानव द्वारा किन प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जाता है?

मनुष्य पृथ्वी पर प्राकृतिक संसाधनों का प्रमुख उपभोक्ता है। वे जानवरों और पौधों से खाद्य उत्पाद प्राप्त करते हैं। वस्त्र मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है। वह फिर से उन्हीं उल्लिखित संसाधनों से कपड़े प्राप्त करता है।

मनुष्य पर्यावरण को कैसे खराब करेंगे?

मानव द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग प्राकृतिक पर्यावरण के क्षरण का प्रमुख कारण है। आदमी की जरूरत ने दुनिया भर के आधे से ज्यादा जंगलों का सफाया कर दिया है। फलस्वरूप आज बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएँ आम हो गई हैं।

एक पारिस्थितिकी तंत्र क्या है?

एक पारिस्थितिकी तंत्र एक बड़ा समुदाय है जिसमें जीवन के कुछ या सभी रूप एक साथ मिलकर जीवन यापन करते हैं। पृथ्वी पर एक स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र है। पेड़, पौधे, झाड़ियाँ बड़े और छोटे जानवर, कीड़े एक साथ रहते हैं और एक दूसरे पर निर्भर हैं। वन जानवरों का प्राकृतिक आवास है। जानवरों को उनके प्राकृतिक घर से बाहर निकालना उनके पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक बड़ी आपदा होगी।

वनों की कटाई क्या है?

निर्माण, कृषि भूमि और शहरीकरण जैसे विभिन्न उपयोगों के लिए दुनिया भर में पेड़ों को काटना। यह प्राकृतिक पर्यावरण को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है।

essay writing on environmental conservation in hindi

पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi

Essay on Environment in Hindi

पर्यावरण, पर  हमारा जीवन पूरी तरह निर्भर है, क्योंकि एक स्वच्छ वातावारण से ही स्वस्थ समाज का निर्माण होता है। पर्यावरण, जीवन जीने के लिए उपयोगी वो सारी चीजें हमें उपहार के रुप में उपलब्ध करवाता है।

पर्यावरण से ही हमें शुद्ध जल, शुद्ध वायु, शुद्ध भोजन,प्राकृतिक वनस्पतियां आदि प्राप्त होती हैं। लेकिन इसके विपरीत आज लोग अपने स्वार्थ और चंद लालच के लिए जंगलों का दोहन कर रहे हैं, पेड़-पौधे की कटाई कर रहे हैं, साथ ही भौतिक सुख की प्राप्ति हुए प्राकृतिक संसाधनों का हनन कर  प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे हैं, जिसका असर हमारे पर्यावरण पर पड़ा रहा है।

इसलिए पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने एवं प्राकृतिक पर्यावरण के महत्व को समझाने के लिए हर साल दुनिया भर के लोग 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस – World Environment Day के रूप में मनाते हैं। हमने कभी जाना हैं की इस दिवस को हम क्यों मनाते हैं। इस दिन का जश्न मनाने के पीछे का उद्देश्य लोगों के बीच जागरूकता पैदा करना है ताकि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सकारात्मक कदम उठा सकें।

और साथ ही कई बार स्कूलों में छात्रों के पर्यावरण विषय पर निबंध ( Essay on Environment) लिखने के लिए कहा जाता है, इसलिए आज हम आपको पर्यावरण पर अलग-अलग शब्द सीमा पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका चयन आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं –

Environment essay

पर्यावरण पर निबंध – Environment Essay in Hindi

पर्यावरण, जिससे चारों तरफ से  संपूर्ण ब्रहाण्ड और जीव जगत घिरा हुआ है। अर्थात जो हमारे चारों ओर है वही पर्यावरण है। पर्यावरण पर मनुष्य ही नहीं, बल्कि सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि पूरी तरह निर्भर हैं।

पर्यावरण के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती हैं, क्योंकि पर्यावरण ही पृथ्वी पर एक मात्र जीवन के आस्तित्व का आधार है। पर्यावरण, हमें स्वस्थ जीवन जीने के लिए शुद्ध, जल, शुद्ध वायु, शुद्ध भोजन उपलब्ध करवाता है।

एक शांतिपूर्ण और स्वस्थ जीवन जीने के लिए एक स्वच्छ वातावरण बहुत जरूरी है लेकिन हमारे पर्यावरण मनुष्यों की कुछ लापरवाही के कारण दिन में गंदे हो रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे सभी को विशेष रूप से हमारे बच्चों के बारे में पता होना चाहिए।

“ पर्यावरण की रक्षा , दुनियाँ की सुरक्षा! ”

पर्यावरण न सिर्फ जीवन को विकसित और पोषित करने में मद्द करता है, बल्कि इसे नष्ट करने में भी मद्द करता है। पर्यावरण, जलवायु के संतुलन में मद्द करता है और मौसम चक्र को ठीक रखता है।

वहीं अगर सीधे तौर पर कहें मानव और पर्यावरण एक – दूसरे के पूरक हैं और दोनों एक-दूसरे पर पूरी तरह से निर्भर हैं। वहीं अगर किसी प्राकृतिक अथवा मानव निर्मित कारणों की वजह से पर्यावरण प्रभावित होता है तो, इसका सीधा असर हमारे जीवन पर पड़ता है।

पर्यावरण प्रदूषण की वजह से जलवायु और मौसम चक्र में परिवर्तन, मानव जीवन को कई रुप में प्रभावित करता है और तो और यह परिवर्तन मानव जीवन के आस्तित्व पर भी गहरा खतरा पैदा करता है।

लेकिन फिर भी आजकल लोग भौतिक सुखों की प्राप्ति और विकास करने की चाह में पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करने से नहीं चूक रहे हैं। चंद लालच के चलते मनुष्य पेड़-पौधे काट रहा है, और प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर कई ऐसी प्रतिक्रियाएं कर रहा है, जिसका बुरा असर हमारे पर्यावरण पर पड़ रहा है।

वहीं अगर समय रहते पर्यावरण को बचाने के लिए कदम नहीं उठाए गए तो मानव जीवन का आस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।

इसलिए पर्यावरण को बचाने के लिए हम सभी को मिलकर उचित कदम उठाने चाहिए। हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिए और पेड़ों की कटाई पर पूरी तरह रोक लगानी चाहिए।

आधुनकि साधन जैसे वाहन आदि का इस्तेमाल सिर्फ जरूरत के समय ही इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि वाहनों से निकलने वाला जहरीला धुआं न सिर्फ पर्यावरण को दूषित कर रहा है, बल्कि मानव जीवन के लिए भी खतरा उत्पन्न कर रहा है। इसके अलावा उद्योगों, कारखानों से निकलने वाले अवसाद और दूषित पदार्थों के निस्तारण की उचित व्यवस्था करनी चाहिए,ताकि प्रदूषण नहीं फैले।

वहीं अगर हम इन छोटी-छोटी बातों पर गौर करेंगे और पर्यावरण को साफ-सुथरा बनाने में अपना सहयोग करेंगे तभी एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकेगा।

पर्यावरण पर निबंध – Paryavaran Sanrakshan Par Nibandh

प्रस्तावना

पर्यावरण, एक प्राकृतिक परिवेश है, जिससे हम चारों तरफ से घिरे हुए हैं और जो पृथ्वी पर मौजूद मनुष्य, जीव-जन्तु, पशु-पक्षी, प्राकृतिक वनस्पतियां को जीवन जीने में मद्द करता है। स्वच्छ पर्यावरण में ही  स्वस्थ व्यक्ति का विकास संभव है, अर्थात पर्यावरण का दैनिक जीवन से सीधा संबंध है।

हमारे शरीर के द्धारा की जाने वाली हर प्रतिक्रिया पर्यावरण से संबंधित है, पर्यावरण की वजह से हम सांस ले पाते हैं और शुद्ध जल -भोजन आदि ग्रहण कर पाते हैं, इसलिए हर किसी को पर्यावरण के  महत्व को समझना चाहिए।

पर्यावरण का अर्थ – Environment Meaning

पर्यावरण शब्द मुख्य रुप से दो शब्दों से मिलकर बना है, परि+आवरण। परि का अर्थ है चारो ओर और आवरण का मतलब है ढका हुआ अर्थात जो हमे चारों ओर से घेरे हुए है। ऐसा वातावरण जिससे हम चारों  तरफ से घिरे हुए हैं, पर्यावरण कहलाता है।

पर्यावरण का महत्व – Importance of Environment

पर्यावरण से ही हम है, हर किसी के जीवन के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है, क्योंकि पृथ्वी पर जीवन, पर्यावरण से ही संभव है। समस्त मनुष्य, जीव-जंतु, प्राकृतिक वनस्पतियां, पेड़-पौड़े, मौसम, जलवायु सब पर्यावरण के अंतर्गत ही निहित हैं। पर्यावरण न सिर्फ जलवायु में संतुलन बनाए रखने का काम करता है और जीवन के लिए आवश्यक  सभी वस्तुएं उपलब्ध करवाता है।

वहीं आज जहां विज्ञान से तकनीकी और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिला है और दुनिया में खूब विकास हुआ है, तो दूसरी तरफ यह बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार हैं। आधुनिकीकरण, औद्योगीकरण और बढ़ती टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से पर्यावरण पर गलत प्रभाव पड़ा रहा है।

मनुष्य अपने स्वार्थ के चलते पेड़-पौधे की कटाई कर रहा है एवं प्राकृतिक संसाधनों से खिलवाड़ कर रहा है, जिसके चलते पर्यावरण को काफी क्षति पहुंच रही है। यही नहीं कुछ मानव निर्मित कारणों की वजह से वायुमंडल, जलमंडल आदि प्रभावित हो रहे हैं धरती का तापमान बढ़ रहा है और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हो रही है, जो कि मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है।

इसलिए पर्यावरण के महत्व को समझते हुए हम सभी को अपने पर्यावरण को बचाने में सहयोग करना चाहिए।

पर्यावरण और  जीवन – Environment And Life

पर्यावरण और मनुष्य एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं, अर्थात पर्यावरण पर ही मनुष्य पूरी तरह से निर्भऱ है, पर्यावरण के बिना मनुष्य, अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता है, भले ही आज विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली हो, लेकिन प्रकृति ने जो हमे उपलब्ध करवाया है, उसकी कोई तुलना नहीं है।

इसलिए भौतिक सुख की प्राप्ति के लिए मनुष्य को प्रकृति का दोहन करने से बचना चाहिए।वायु, जल, अग्नि, आकाश, थल ऐसे पांच तत्व हैं, जिस पर मानव जीवन टिका हुआ है और यह सब हमें पर्यावरण से ही प्राप्त होते हैं।

पर्यावरण न सिर्फ हमारे स्वास्थ्य का एक मां की तरह ख्याल रखता है,बल्कि हमें मानसिक रुप से सुख-शांति भी उपलब्ध करवाता है।

पर्यावरण, मानव जीवन का अभिन्न अंग है, अर्थात पर्यावरण से ही हम हैं। इसलिए हमें पर्यावरण की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।

उपसंहार

पर्यावरण के प्रति हम  सभी को जागरूक होने की जरुरत हैं।  पेड़ों की हो रही अंधाधुंध कटाई पर सरकार द्धारा सख्त कानून बनाए जाना चाहिए। इसके साथ ही पर्यावरण को स्वच्छ रखना हम सभी को अपना कर्तव्य समझना चाहिए, क्योंकि स्वच्छ पर्यावरण में रहकर ही स्वस्थ मनुष्य का निर्माण हो सकता है और उसका विकास हो सकता है।

पर्यावरण पर निबंध – Paryavaran Par Nibandh

पर्यावरण हमें जीवन जीने के लिए सभी आवश्यक चीजें जैसे कि हवा, पानी, रोशनी, भूमि, अग्नि, पेड़-पौधे, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि उपलब्ध करवाता है। हम पर्यावरण पर पूरी तरह निर्भर हैं। वहीं अगर हम अपने पर्यावरण को साफ-सुथरा रखेंगे तो हम स्वस्थ और सुखी जीवन का निर्वहन कर सकेंगे। इसिलए पर्यावरण को सरंक्षित करने एवं स्वच्छ रखने के लिए हम सबको मिलकर प्रयास करना चाहिए।

पर्यावरण, प्रौद्योगिकी, प्रगति और प्रदूषण – 

इसमें कोई दो राय नहीं है कि विज्ञान की उन्नत तकनीक ने मनुष्य के जीवन को बेहद आसान बना दिया है, वहीं इससे न सिर्फ समय की बचत हुई है बल्कि मनुष्य ने काफी प्रगति भी की है, लेकिन विज्ञान ने कई ऐसी खोज की हैं, जिसका असर पर्यावरण पर पड़ रहा है, और जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है।

एक तरफ विज्ञान से प्रोद्यौगिकी का विकास हुआ, तो वहीं दूसरी तरफ उद्योंगों से निकलने वाला धुआं और दूषित पदार्थ कई तरह के प्रदूषण को जन्म दे रहा है और पर्यावरण के लिए खतरा पैदा कर रहा है।

उद्योगों से निकलने वाला दूषित पदार्थ सीधे प्राकृतिक जल स्त्रोत आदि में बहाए जा रहे हैं, जिससे जल प्रदूषण की समस्या पैदा हो रही है,इसके अलावा उद्योगों से निकलने वाले धुंए से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, जिसका मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय – Paryavaran Sanrakshan Ke Upay

  • उद्योगों से निकलने वाला दूषित पदार्थ और धुएं का सही तरीके से निस्तारण करना चाहिए।
  • पर्यावरण की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
  • ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाना चाहिए।
  • पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगानी चाहिए।
  • वाहनों का इस्तेमाल बेहद जरूरत के समय ही किया जाना चाहिए।
  • दूषित और जहरीले पदार्थों के निपटान के लिए सख्त कानून बनाए जाने चाहिए।
  • लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने के लिए जागरूकता फैलानी चाहिए।

विश्व पर्यावरण दिवस – World Environment Day

लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से 5 जून से 16 जून के बीच विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाया जाता है। इस मौके पर कई जगहों पर जागरूकता कार्यक्रमों का भी आय़ोजन किया जाता है।

पर्यावरण हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं, इसलिए इसकी रक्षा करना हम सभी की जिम्मेदारी है, अर्थात हम सभी को  मिलकर अपने पर्यावरण को स्वच्छ और सुंदर बनाने में अपना सहयोग करना चाहिए।

  • Slogans on pollution
  • Slogan on environment
  • Essay in Hindi

I hope these ” Essay on Environment in Hindi” will like you. If you like these “Paryavaran Par Nibandh” then please like our Facebook page & share on Whatsapp.

15 thoughts on “पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi”

' src=

Nice sir bhote accha post h aapne to moj kar de h sir thank you sir app easi past karte rho ham logo ke liye

' src=

Thank you sir aapne bahut accha post Kiya h mere liye bahut labhkaari h government job ki tayari ke liye

' src=

bahut badhiya jaankari share kiye ho sir, Environment Essay.

' src=

Thanks sir bhaut acha essay hai helpful hai aur needful bhi isme sari jankari di gye hai environment ke baare Mai and isse log inspire bhi hongee isko.pdkee……..

I love this essay…

' src=

Thanks mujhe ye bahut kaam diya speech per

Leave a Comment Cancel Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Gyan ki anmol dhara

Grow with confidence...

  • Computer Courses
  • Programming
  • Competitive
  • AI proficiency
  • Blog English
  • Calculators
  • Work With Us
  • Hire From GyaniPandit

Other Links

  • Terms & Conditions
  • Privacy Policy
  • Refund Policy

Essay on Environmental Conservation in Hindi

essay writing on environmental conservation in hindi

Here is an essay on ‘Environmental Conservation’ in Hindi language!

Essay # 1. पर्यावरण संरक्षण का अर्थ :

पर्यावरण में संतुलन, घर, समाज व आसपास के समन्वय और सरसता लाया जाना आवश्यक है, ऐसे कार्यकलाप रोकने होगें, जिससे पर्यावरण ह्रास स्पष्ट दिखाई पड़ता हैं- जैसे वनों की कटाई, वायु प्रदूषण, जल स्रोतों में गिरता औद्योगिक और सामाजिक कचरा, कुछ निजी शौकों की बलि होते वनों के प्राणी, पर्वतों पर होते विस्फोट, युद्ध क्षेत्र में प्रयुक्त होने वाले रसायनिक प्रकार के अनेक घातक अस्त्र आदि ।

पर्यावरण के किसी भी एक अंग की क्षति पर्यावरण संतुलन पर अपना प्रभाव डालती है । छोटे-छोटे जीव जन्तु भी सुरम्य पर्यावरण में सन्तुलन बनाने में अपना योगदान दे रहे हैं । अत: मानव समाज के लिए आवश्यक हो जाता है कि वह पर्यावरण संतुलन के प्रति अपनी जागरूकता रखे ।

स्वस्थ पर्यावरण व उसके संरक्षण के लिए निम्न कदम आसानी से उठाए जा सकते हैं:

(i) अधिक वृक्ष लगाकर हरियाली बनाई जाए ।

(ii) वन्य जीवन की सुरक्षा और संरक्षण को बढ़ावा दिया जाए ।

(iii) नदी, झरने, तालाबों, कुओं आदि जल स्रोतों को प्रदूषण से बचाएँ ।

(iv) घनी बस्तियों और उसके समीपवर्ती क्षेत्रों में पेड़ पौधों की हरित पट्टी का विकास किया जाए ।

(v) वायु और शोर प्रदूषण की यथा सम्भव रोकथाम की जाए ।

ADVERTISEMENTS:

(vi) औद्योगिक विकास अथवा आर्थिक लाभ के लिए वनों के विनाश को रोका जाए ।

(vii) औद्योगिक कारखानों के साथ-साथ वृक्षारोपण कर हरित पट्‌टी का विकास किया जाए ।

(viii) बस्तियों से दूर उद्योगों की स्थापना की जाए ।

(ix) प्रत्येक व्यक्ति अपने आसपास की जगह साफ सुथरी रखें । कूड़ाकरकट इधर उधर न फेंककर गंदगी को फैलने से रोके ।

(x) हर परिवार अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पेड़ जरूर लगाए । खाली बंजर जमीन, खेतों की मेड़, सार्वजनिक स्थान आदि का सदुपयोग वृक्ष लगाकर किया जाए ।

(xi) उद्योगों से निकले कचरे की समुचित सफाई की जाए, रसायनिक कचरों का विनाश कर पुन: उपयोग के योग्य बनाया जाए ।

(xii) स्वच्छ जल में गंदगी डालना बंद किया जाए । गंदे नालों का जल नदी, झरनों में गिरने से रोका जाए । नदी, कुओं तालाबों में गंदगी फैलने से रोकी जाए, उसमें पशुओं का नहलाना कपड़े आदि धोना, विशेष रूप से ठहरे जल में, आदि जैसे कार्यों को रोका जाए ।

(xiii) वायु प्रदूषण को रोकने के लिए और अधिक वृक्षारोपण साथ-साथ धुआँ छोडने वाले वाहनों का कम उपयोग व इनकी उचित सम्भाल की जाए ।

(xiv) गांवों व उपनगरों में जीवन की जरूरी सुविधाओं व रोजगार की व्यवस्था कर नगरों की तरफ खिंचाव को कम करके प्रवासी नगरीय जनसंख्या को बढ़ते में रोका जाए । वह जनसंख्या नगरीय पर्यावरण के लिए अत्याधिक संकट उपस्थित कर रही है । वहां. पर दिन प्रतिदिन गंदी बस्तियों झुग्गी-झौपडियों का जमाव होता जा रहा है ।

Essay # 2. पर्यावरण संरक्षण के तत्वों:

पर्यावरण में उपरोक्त व्यवस्थाओं के साथ निम्न कार्यों की सहायता से पर्यावरण के विभिन्न तत्वों का संरक्षण किया जा सकता है:

1. मृदा संरक्षण :

मृदा अथवा भूमि के संरक्षण से हमारा तात्पर्य भूमि व मृदा के अपरदन को रोकना है । वर्तमान कृषित भूमि की उपजाऊ शक्ति में किसी भी प्रकार की कमी न आने देना है, बल्कि साथ-साथ उसमें अपरदन क्रो रोकना है । भूमि अपरदन की गति को निम्न उपायों द्वारा धीमा किया जा सकता है, व कहीं-कहीं उसे पूरी तरह से नियंत्रित किया जा सकता है ।

( i) वनारोपण करना:

भूमि को अपरदन से बचाने के लिए वनों का विस्तार करना काटने योग्य वृक्षों को समूल न काटना जैसे कदम उठाना आवश्यक हो गया है, वृक्षारोपण मृदा अपरदन रोकने के साथ जल बहाव पर नियंत्रण तथा जलवायु में नमी की मात्रा को बढ़ाने में मदद देता है । मृदा को संगठित करने में इसका विशेष योग होता है ।

यदि वनों का विस्तार किया जाए तो पारिस्थितिकी संतुलन को बनाए रखा जा सकता है । यह पौधे मृदा को जीवाँश प्रदान करके उसकी उपजाऊ शक्ति को बढ़ा रहे हैं । यह जीवांश मृदा की जल सोखने की शक्ति को भी बढ़ा देते हैं, जैसे जल के बहाव की तीव्रता कम हो जाती है, तथा ऐसी भूमि पर यदि कोई उत्पादन किया जाता है तो उसको जल की का आवश्यकता पड़ती है ।

( ii) पशुचारण को नियन्त्रित करना:

जीव जन्तुओं की संख्या का एक बहुत बड़ा भाग अपने आहार के लिए पौधों पर निर्भर करता है । कुछ जन्तु घास खाते हैं, कुछ जन्तु खरपतवार खाते है, कुछ जन्तु झाडियों से अपना भोजन प्राप्त करते है, तो कुछ जन्तु पौधों को नष्ट करते है, विशेष रूप से भेड़-बकरी अनेक दुधारू पशु गाय, भैंस के घास चरने से भूमि कुचली जाती है, जिसमें जड़ें खुल जाती हैं, तथा मिट्‌टी ढीली पड़ जाती है और इसमें भूमि का अपरदन होता है ।

अत: आवश्यक है कि पशुओं के चरने को इस तरह नियन्त्रित किया जाए, कि वे भूमि का अपरदन भी न करें तथा पौधे खाकर अपना आहार भी प्राप्त कर सकें । जिन स्थानों पर भूमि अपरदन अधिक होता है, उन स्थानों पर पशुओं का चरना प्रतिबन्धित होना चाहिए । पर्वतीय दालों पर ऐसी ढोल बनाई जाए, जिसमें पशुओं द्वारा पौधों के खाने पर भूमि का अपरदन यदि हो तो मिट्टी वहां से हटकर अन्यत्र नहीं जाए ।

( iii) समोच्च रेखीय जुताई:

ढ़ाल के अनुसार भूमि को न जोता जाए बल्कि दाल को काटकर सीढ़ीनुमा खेत बनाएँ जाएं और इस प्रकार समोच्च रेखीय जुताई की जाए । यह जुताई पर्वतीय भागों में की शिखर से नीचे की ओर समकोण बनाते भूमि का अपरदन भी कम हो जाता है व जल के बहाव को आवेग भी मंद रहता है ।

( iv) बाढ़ नियंत्रण:

नदियों में बाढ़ नियंत्रण हेतु उनकी घाटियों में बांध बाँधना और विशाल जलाश्य बनाना । इनके द्वारा जल बहाव पर नियंत्रण रहता है तथा भूमि का अपरदन रुक जाता है । इस संचित जल का उपयोग आवश्यकता पड़ने पर किया जा सकता है ।

( v) परती भूमि:

कृषित भूमि को परती भूमि के रूप में कम से कम छोड़ी जानी चाहिए । खाली पड़ी भूमि पर अपरदन की मात्रा अधिक रहती है ।

( vi) फसल प्रत्यावर्तन:

एक ही भूमि पर फसलों को हेरफेर करके बोने पर भूमि की उर्वरता भी बनी रहती हैं, तथा साथ-साथ उसका अपरदन भी नहीं होता है । क्योंकि इस प्रकार भूमि में से कुछ विशेष तत्व कुछ फसलें अधिक मात्रा में ग्रहण का लेती है, तथा कुछ फसलें भूमि को इन तत्वों की पूर्ति करने में मदद देती हैं । अत: फसलों को उचित अदला बदली करके बोया जाए तो भूमि की उर्वरता भी बनी रहती है, और उसका अपरदन भी रूक जाता है ।

( vii) मरूस्थल का विस्तार रोकना:

मरूस्थलों को रोकने के लिए वनों की अनेक कताई लगाई जाएं । इसके द्वारा हवाओं की तीव्रता को कम किया जा सकता है । जिसमें उनकी रेत को दूर तक उड़ा ले जाने की क्षमता कम हो जाती हैं । जब यह रेत उपजाऊ भूमि पर एकत्र होने लगती है, तब उसकी उर्वरा शक्ति कम होने लगती हैं । हमारे देश में विशेष रूप से हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश राज्यों से सटे राजस्थान के सीमावर्ती भाग इस प्रकार की समस्या से पीड़ित है, अत: मरूस्थल के विस्तार को इन क्षेत्रों में रोकने के लिए विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ।

( viii) भूमि की उपजाऊ शक्ति एक सदैव एक सी रखने के लिए उसमें खाद व उर्वरक का समुचित मात्रा में उपयोग करना ।

( ix) स्थानान्तरण कृषि:

इन क्षेत्रों को स्थायी कृषि क्षेत्रों में बदलना ताकि इस प्रकार की कृषि के लिए वनों को बेकार में न काटा जाए । इससे भूमि अपरदन के साथ-साथ वन ह्रास को रोका जा सकता ।

2. जल संरक्षण :

जल ही जीवन है, अत: जल का संरक्षण अति आवश्यक है ।

इस सम्बन्ध में निम्न बातों पर ध्यान दिया जा सकता हैं:

(i) प्रत्येक गांव में तालाब अवश्य होने चाहिए जिनमें वर्षा के जल को एकत्रित किया जा सके । इस जल का उपयोग आवश्यकता पड़ने पर अनेक कामों में किया जा सकता है ।

(ii) नदियों पर छोटे-छोटे बांध व जलाश्य बनाये जाने चाहिए । इससे अतिरिक्त जल को एकत्र करके आवश्यकता पड़ने काम में लाया जा सकता है । इन बांधो पर विद्युत भी उत्पादित की जा सकती है ।

(iii) नदियों में प्रदूषित जल को डालने से पूर्व उसे साफ करके डाला जाए, ताकि नदियों का जल स्वच्छ बना रहे ।

(iv) जल प्रवाह की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए । कस्बों, नगरों में दूषित जल के निकास की उचित व्यवस्था होनी चाहिए ।

(v) जल का व्यर्थ न गँवाना एवं पदूषित न होने देना भी संरक्षण के लिए आवश्यक है ।

(vi) भूमिगत जल का उपयोग उनकी समय उपलब्धता के आधार पर किया जाए । धरातलीय जल की अनुपस्थिति में इस जल को काम में लाया जाए ।

3. पर्वतीय क्षेत्र और पर्यावरण संरक्षण :

जनसंख्या के बढ़ते दबाव तथा खनिज संसाधनों के अन्धाधुन्ध दोहन से पर्यावरण की अनेक समस्याओं का सामना पर्वतीय क्षेत्रों को करना पड़ रहा है । भू-स्खलन और भू-कटाव के रूप में वहां के पर्यावरणीय आधार का तेजी से हास हो रहा है । पर्वतीय विकास और पर्यावरण में तालमेल होना चाहिए तथा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वहां के लोगों की भागीदारी इसमें अवश्य रहे ।

पर्यावरण संतुलन के लिए बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण, एकीकृत जलागम प्रबन्धन, भूमि एवं जल संरक्षण, वनों का वैज्ञानिक प्रबन्धन, पर्यावरण संरक्षण हेतु शोध एवं पर्यावरण शिक्षा, जनजागरूकता पारिस्थितिकी विकास, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्याँकन आदि कार्यक्रमों को बढावा दिया जाना चाहिए ।

पर्वतीय क्षेत्रों में सड़क निर्माण के समय पर्यावरण पर ध्यान चाहिए । मोटर मार्गों के बजाए हल्के वाहन मार्ग पैदल मार्ग तथा पुल मार्ग आदि के समन्वित निर्माण पर्यावरण को हानि पहुंचाए बिना बनाए जाए तथा सडकें बनाते समय स्थानीय पर्यावरण की वाहक क्षमता का ध्यान अवश्य रखा जाए ।

प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धि के साथ ही पर्यावरण की रक्षा में वनों की विशेष भूमिका है । वन पर्वतीय क्षेत्र के आर्थिक विकास के मुक्त स्त्रोत भी है । कच्चा माल, ईधन प्रदान करने, भूरक्षण रोकने, पर्यावरण की सुरक्षा करने तथा मैदानी क्षेत्रों को बाढ़ से बचाने के महत्वपूर्ण कार्य पर्वतीय क्षेत्र के वन करते है ।

अत: पर्वतीय भू-भाग का 60 प्रतिशत भाग वन क्षेत्र होना चाहिए । एक हजार मीटर से अधिक ऊंचाई पर स्थित पेड़ों की व्यापारिक कटान पर रोक लगाई जाए । वन्य जन्तु तथा वनों का विनाश रोकने, जैविक विविधता बनाये रखने, भारी पैमाने पर वनीकरण करने, वन सम्पदा के बढ़ाने आदि को महत्व दिया जाए ।

यहाँ पर ऐसे उद्योगों के विकास पर बल दिया जाए, जो पर्यावरण असन्तुलन भी पैदा न करें और लोगों का जीवन स्तर भी ऊँचा उठ सके । इलैक्ट्रानिक्स उद्योग, लघु एवं कुटीर उद्योग तथा हाथकरघा उद्योग इस दृष्टि से अधिक उपयोगी हो सकते हैं ।

4. परिवहन एवं पर्यावरण संरक्षण :

जनसंख्या की तीव्र वृद्धि के साथ वाहनों की संख्या में तेजी से वृद्धि होती जा रही है । इससे निकलने वाला धुंआ पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है ।

जिसको निम्न उपायों द्वारा रोका जा सकता है:

(i) धुँआ उगलने वाले परिवहनों की वृद्धि को रोका जाये ।

(ii) परिवहनों के धुएँ की माप धुँआ मीटर, से की जाये ।

(iii) वायु प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम का सख्ती से पालन कराया जाये ।

(iv) सड़कों पर पेड़ लगाए जाएँ । यद्यपि इसका असर प्रदूषण पर सीमित ही पड़ेगा ।

(v) परिवहन साधनों में बसों, ट्रकों, मोटरों, स्कूटरों आदि में शोर शमन यंत्र (Silencer) ठीक काम करते है या नहीं इसकी पूरी देख रेख की जाये । शोर मचाने वाले वाहनों को चलन में लाने से रोक दिया जाये ।

(vi) अनिवार्य स्थिति में ही वाहनों को हार्न बजाने की अनुमति दी जाए ।

(vii) विविध प्रकार के हार्न का बढ़ता उपयोग रोका जाये ।

5. जीव जन्तुओं एवं समुद्री दोहन का संरक्षण :

जीव जन्तुओं की विभिन्न नस्लों के संरक्षण के लिए उनके प्राकृतिक पर्यावरण को सुरक्षित किया जाए । इसके लिए वनों का होना आवश्यक है । इस प्रकार प्रत्येक प्रकार के जीव अपना विकास कर सकते है । इसलिए इन जन्तुओं के शिकार पर रोक लगाई जाए, वनों को काटने से रोका जाए, वनों के क्षेत्र को बढ़ाया जाए आदि ।

समुद्रों के जल में दिन-प्रतिदिन प्रदूषण बढ़ता जा रहा है । इस जल में तेल के मिलने, कारखानों का प्रदूषित जल को गिराने आदि के कारण प्रदूषण बढ़ रहा है । इसके दुष्प्रभाव से समुद्री जल से मछलियों की प्रजनन शक्ति पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है । उनकी संख्या भी घट रही है, तथा उनका शरीर भी अम्लीय हो रहा है, जो लोगों का आहार बनकर उनको नुकसान पहुँचा रहा है । अत: आवश्यक है कि समुद्रों के जल को प्रदूषित होने से रोका जाए ।

6. वनों का संरक्षण :

किसी भी देश के पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए कम से कम 33 प्रतिशत भाग वन आवरण होना चाहिए । भारत का यह वन क्षेत्र मात्र 64 लाख हैक्टेयर अर्थात मात्र 19.4 प्रतिशत रह गया है । भारत की अर्थव्यवस्था में अभी तक वनों ने कोई महत्वपूर्ण योगदान नहीं दिया है परन्तु भविष्य में अति आवश्यक है कि वन संसाधन का विस्तार एवं संरक्षण वैज्ञानिक तथा सही व्यवस्था के द्वारा किया जाये ।

आज भारत में वर्तमान वन संसाधन को संरक्षण प्रदान करने की जरूरत है तथा क्षेत्र के विस्तार को अविलम्ब बढ़ाये जाने की आवश्यकता है । हमारी गलत एवं त्रुटिपूर्ण वन-नीतियों ने जो विनाश किया है उसकी भरपाई किया जाना बहुत जरूरी है । भारतीय कृषि आयोग ने इस ओर विशेष ध्यान दिया है एवं सामाजिक वानिकी पर विशेष बल दिया है ।

इस हेतु निम्न उपाय किए जाने आवश्यक हैं:

(i) वनों की रक्षा के लिए सरकारी नियम बनने चाहिए तथा उनका कठोरता से पालन होना चाहिए ।

(ii) केन्द्र सरकार को प्रदेश सरकारी के लिए प्रत्येक पंचवर्षीय योजना में वनों के विस्तार के लिए निश्चित क्षेत्र का लक्ष्य रखने को कहना चाहिए ।

(iii) जनता का ध्यान पर्यावरण के संरक्षण में वनों की उपयोगिता पर दिया जाना चाहिए ।

(iv) सामाजिक वानिकी को आर्थिक प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए । जिससे प्रत्येक घर में कम से कम एक वृक्ष लगाना आवश्यक हो तथा मनुष्य खाली स्थानों पर वृक्षारोपण करें ।

(v) वन अपराधियों के लिए कठोर दण्ड-नियम बनाये जायें जिससे वनों का गैर कानूनी कटान रोका जा सके ।

(vi) वनों के प्रति जनता को नया दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, जिससे वे वनों को राष्ट्रीय सम्पदा मानकर उनके विकास एवं संरक्षण में सहयोग करें ।

(vii) वन क्षेत्रों की देखभाल प्रशिक्षित कर्मचारियों के द्वारा की जानी चाहिए ।

(viii) वैज्ञानिक वन व्यवस्था एवं बन उपजों के उपयोग को आर्थिक संरक्षण दिया जाना चाहिए ।

(ix) वृक्षों के प्रकार एवं उपयोग के लिए अनुसंधान किये जाने चाहिए, जिससे गौण उपयोग में अच्छी किस्म की लकड़ी का दुरूपयोग न हो ।

(x) वन रक्षण में वनों के काटने के वैज्ञानिक तरीकों के प्रयोग पर बल दिया जाना चाहिए ।

(xi) वनों के विकास में युवा मानव संसाधन जैसे राष्ट्रीय सेवा योजना राष्ट्रीय कैडेट कोर स्काउट एवं अनेक समाजसेवी संस्थाओं का सहयोग लिया जाना चाहिए ।

(xii) वन संरक्षण को सरकारी संचार माध्यमों पर विशेष ध्यान देकर जन चेतना जाग्रत की जानी चाहिए ।

(xiii) वन महोत्सव, विश्व वानिकी दिवस, पर्यावरण दिवस अथवा अनेक राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय महत्वपूर्ण दिवसों पर वहत स्तर पर वृक्षारोपण, वृक्ष सेवा, वृक्ष संरक्षण कार्यशाला, श्रमदान अथवा संकल्प कार्यक्रम किये जाने चाहिए ।

(xiv) भारत के केन्द्रीय वन मण्डल, वन अनुसंधान संस्थान, वन अध्ययन आदि संस्थाएं वन विकास, सरंक्षण एवं शोध कार्य कर वनों के विकास में विशेष योगदान दे रही हैं । ये संस्थान अनेक प्रकार के संकर वृक्षों, कीटनाशक दवाओं आदि पर खोज कर वन विज्ञान को नया जीवन एवं दिशा प्रदान कर रही है ।

Related Articles:

  • वन-सदक्षण की आवश्यक्ता पर निबन्ध | Essay on Necessity of Forest Conservation in Hindi
  • वन-संरहाण: महत्त्व और उपयोगिता | Essay on Forest Conservation
  • पर्यावरण असंतुलन हेतु हम सब जिम्मेदार (निबन्ध) | Essay on Environmental Degradation in Hindi
  • Essay on Environmental Management in Hindi

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध PDF | Essay on Environmental Conservation in Hindi

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Essay on Environmental Conservation in Hindi) सभी प्राकार के परीक्षाओं लिए एक महत्वपूर्ण एवं कॉमन टॉपिक है। पर्यावरण किसी भी देश का बहुमुल्य अमानत होता है जो सभी जीवों का जीने का आधार होता है। प्रकृति ने पृथ्वी पर उपहार स्वरूप विभिन्न प्राकार के पर्यावरणीय संसाधन प्रदान किया है जिसे प्रत्येक जीव अपने आवश्यकता के अनुरूप उपयोग करता रहा है।

लेकिन प्राकृति द्वारा प्रदत संसाधनो का मानव द्वारा अंधाधुन दोहन एवं बढ़ते प्रदूषण ने पर्यावरण को क्षति हो रही है जिसे संरक्षित करना हमारा कर्तव्य है। अतः इस लेख में पर्यावरण संरक्षण पर एक बेहतर निबंध सरल भाषा में लिखा गया है जो आपके लिए उपयोगी हो सकता है।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध Essay on Environmental Conservation in Hindi

1000 शब्दों में पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Essay on Environmental Conservation in Hindi)

पर्यावरण पृथ्वी पर जीवन के लिए मूल तत्वों में से एक है। हमरे आस पास की वो सभी चीजे जिससे हम प्रभावित होते हैं उसे हम पर्यावरण कहते हैं। प्राकृतिक रूप से वायु, वन, मिट्टी और जल पर्यावरण के मूल तत्व है जिसका जीवन के साथ सीधा संबंध होता था। प्रकृति ने पृथ्वी पर जीवन यापन करने के लिए विभिन्न प्राकार के संसाधन प्रदान किया है जो मानव जीवन के पर्याप्त है।

परन्तु बढ़ते तकनीकि विकास एवं भौतिक शुख-सुविधाओं ने विभिन्न प्रकार के पर्यावरणीय प्रदूषण को बढ़ाया है। प्रदुषण हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है जो पर्यावरण एवं स्वास्थ्य को सीधे प्रभावित किया है। पर्यावरणीय क्षति से मानव जीवन के साथ साथ अन्य जीवों एवं वनस्पतियों पर  प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है जिसके कारण आज कई जीव विलुप्त हो गए हैं और कई विलुप्त होने के कगार पर है। अतः पर्यावरण संरक्षण आज एक ज्वलंत मुद्दों में से एक है।

पर्यावरण संरक्षण क्या है? 

पर्यावरण संरक्षण का तात्पर्य हमारे पर्यावरण, वनस्पतियों और अन्य प्राकृतिक तत्वों को सुरक्षा प्रदान करना है। पर्यावरण संरक्षण हमारे पर्यावरण में होने वाले विभिन्न प्राकार के प्रदूषण यथा जल प्रदुषण, वायु प्रदुषण, ध्वनि प्रदुषण, मृदा प्रदुषण, एवं जल संसाधनों की कमी, वनस्पतियों की अपेक्षाकृति समस्याओं, आदि सुधार निश्चित करने के लिए की जाती है जिससे हमारे पर्यावरण में जीव-जन्तुओं, वनस्पतियों और पर्यावरण से संबंधित समस्याओं का समाधान हो सके। 

पर्यावरण संरक्षण के उपाय  

पर्यावरण संरक्षण के लिए हम पर्यावरण से संबंधित समस्याओं को चिन्हित कर उसका हल निश्चित करने के लिए कई तरह के उपायों को अपनाकर पर्यवरण सुरक्षा का प्रयास करते हैं जो हमारे पर्यावरण और जीवनस्थलों को सुरक्षित रखने में मदद कर सकते हैं। इसके लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध

प्रदूषण नियंत्रण : 

प्रदुषण नियंत्रण पर्यावरण संरक्षण का सबसे महत्वपूर्ण एवं प्राथमिक उपाय है, वायु, जल, ध्वनि, मृदा जैसे प्रदूषण को कम कर के हमारे पर्यावरण में हो रही नुकसान को बहुत हद तक सुधरा जा सकता है। इसलिए हमारे आस पास के स्थानों पर हो रहे प्रदूषण में वृद्धि होने वाली प्रक्रियाओं को कम कर एवं अपने जीवन शैली में बदलाव ला कर पर्यावरण को संरक्षित किया जा सकता है। इसके लिए निम्नलिखित उपाय किया जा सकता है:

  • घर में होने वाले विभिन्न प्राकार के भौतिक सुख संसाधन जिससे प्रदुषण फैलता है को कम उपयोग में लाया जाए।
  • मल एवं गंदे नाले को उपचार कर नदियों में बहाना।
  • वाहनों में स्वच्छ ईंजन का इस्तेमाल एवं कम प्रयोग।
  • कल कारखानों से निकलने वाली वाली विभिन्न प्रदूषित पदार्थों को नियंत्रण।
  • पर्यावरण के अनुकूल रसायनिक उर्वरक एवं रसायनिक पदार्थों का प्रयोग।
  • प्लास्टिक उत्पादों एवं थैला का का कम प्रयोग। अधिक से अधिक रिसाइकल योग्य वस्तुओं को उपयोग में लाए।
  • परमाणु हथियार एवं अन्य विस्फोटक सामग्री पर नियंत्रण।
  • कूड़ा कचड़ा को गढ़े में दबाएं इसे जलाने पर रोक।

वनों का संरक्षण :

बढते औधोगीकरण एवं नगरीकरण के कारण वानो का अंधाधुन दोहन से पर्यावरण असंतुलित हुई है। इस लिए वनों एवं जंगलों में में वृद्धि जरुरी है जिससे पर्यावरण संतुलन बना रहे। इसके लिए वनों को हमारे आसपास के जगहों पर वानिकी को स्थान देने तथा बचे हुए वनों को संरक्षित कर पर्यावरण में प्रदूषित वायु के परिवर्तन किया जा सकता है, मृदा अपरदन रोका जा सकता है, तथा बाढ़ एवं सुखा जैसे आपदा को भी कम करने में सहायता मिल सकती है। 

स्वच्छ स्थान सुधार :

स्वच्छ पर्यावरण के लिए स्वच्छ स्थान होना जरुरी है। इसके लिए कूड़ा कचड़ा को यत्र-तत्र नहीं फेके और सर्वजनिक स्थान जैसे सड़कों, हवाई अड्डों और बस स्टेशन आदि स्थानों को साफ रखें एवं गंदगी फैलाने से बचे। इससे मृदा, जल एवं वायु जैसे प्रदूषण को कम किया जा सकता है तथा पर्यावरणीय निम्नीकरण को रोका जा सकता है।

प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण : 

प्रकृति ने पृथ्वी पर वायु, जल, मृदा,  वन आदि के अलावा और कई बहुमूल्य प्राकार के संसाधनों को उपहार स्वरूप दीया है जिसे मानव ने अधिक लाभ के लिए अविवेकपूर्ण दोहन किया है। हमारे पर्यावरण में गुणवत्ता बरकरार रखने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग एवं इनका संरक्षण बहुत ही महत्वपूर्ण है। जैसे ही हम सभी प्रकार के प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करते हैं तो हमारे पर्यावरण में संतुलन होने लगती हैं।

सरकार द्वारा चलाए जाने वाले पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रम में सहयोग 

विश्व में हो रहे पर्यावरणीय क्षति एवं उनके प्रभाव को देखते हुए लोगों में पर्यावरण से संबंधित जागरूकता बढ़ाने के लिए 1972 के स्टॉकहोम के दस दिवसीय सभा (5 से 16 जून) में पर्यावरण दिवस की शुरुआत यूनाइटेड नेशन द्वारा किया गया। लेकिन 5 जून 1984 से इसे प्रति वर्ष जागरूकता के लिए पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसके अलावा पृथ्वी सम्मेलन 1992 , क्योटो प्रोटोकॉल 1977 , भारतीय पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1982 आदि सरंक्षण कानूनों को पालन करने में हम सभी को अनिवार्य रूप से सहयोग करना चाहिए।

इसे भी जाने – बेरोजगारी क्या है? भारत में बेरोजगारी के कारण जाने।

पर्यावरण संरक्षण के लाभ 

  • पर्यावरण में गुणवत्ता बहाल होता है एवं अबोहवा में परिर्वतन।
  • ग्लोबल वार्मिंग एवं ग्रीन हाउस प्रभाव को कम किया जा सकता है।
  • जैवविविधता में हो रही ह्रास को रोका जा सकता है।
  • जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
  • स्वस्थ जीवन जीने का लाभ प्राप्त होता है तथा जीवन प्रत्यासा में वृद्धि होती है।
  • प्रकीतिक आपदाओं के पुनरावृति में कमी आती हैं।
  • समुद्री जल स्तर के वृद्धि में कमी तथा भौम जल स्तर में वृद्धि होगी।
  • बिजली, जल एवं अन्य संसाधन की बचत होती है।

निष्कर्ष 

विश्व के सभी भागों में प्रत्येक मानव एवं जीव जंतुओं को स्वच्छ पर्यावरण में रहने का मूल अधिकार है, लेकिन मानव ने पृथ्वी पर जीवन में सुख सुविधा के लिए जितना ही तकनीकि एवं औधोगिक विकास किया है उतना ही प्रकृति के साथ छेड़-छाड़ किया हैं जिसके  परिणाम स्वरूप पर्यावरण को क्षति पहुंची है। भरपाई के लिए पर्यावरण संरक्षण अर्थात वायु,जल, मृदा, वन एवं वन्य जीवों और समुद्र का संरक्षण नितांत आवश्यकता है। पर्यावरण की गुणवत्ता को बनाए रखना मानवीय कर्तव्य है। इसके लिए पर्यावरणीय कानूनों को सख्ती से पालन अनिवार्य होना चाहिए।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध PDF Free डाउनलोड करें

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध

अधिकतम पूछे जाने वाले प्रश्न FAQ

पर्यावरण की परिभाषा क्या है.

पर्यावरण दो शब्दों के मेल परि+आवरण से बना है जिसका अर्थ हमरे चारों तरफ घिरे आवरण है। अर्थात हमरे चारों तरफ फैले सभी पदार्थ जिससे जीवन प्रभावित होता है उसे पर्यावरण कहते है।

पर्यावरण के घटक क्या है?

पर्यावरण में दो घटक शमिल किए जाते हैं जिसे जैव तथा अजैव घटक कहते हैं। जीव-जंतु एवं वनस्पति जैव घटक है जबकि स्थलमंडल, जलमंडल एवं वायुमंडल पर्यावरण के अजैव घटक हैं।

पर्यावरण का महत्व क्या है?

स्थलमंडल, जलमंडल, वायुमंडल एवं जैवमंडल पर्यावरण के मूल तत्व हैं जो पृथ्वी पर मानव को प्रश्रय देने के साथ ही साथ विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक संसाधनों को भी दीया है अतः पर्यावरण पृथ्वी पर मानव जीवन का आधार है।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय क्या है?

प्रदुषण नियंत्रण के साथ साथ संसाधनों का विवेकपूर्ण पूर्ण उपयोग पर्यावरण संरक्षण का मुख्य उपाय है।

Leave a Comment Cancel reply

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

  • Now Trending:
  • Nepal Earthquake in Hind...
  • Essay on Cancer in Hindi...
  • War and Peace Essay in H...
  • Essay on Yoga Day in Hin...

HindiinHindi

Save environment essay in hindi पर्यावरण संरक्षण पर निबंध.

Many of you are also searching for Save Environment Essay in Hindi (पर्यावरण संरक्षण पर निबंध – पर्यावरण बचाओ पर निबंध Paryavaran Sanrakshan Essay in Hindi language). This Save Environment essay comes in the exam with different names as environment protection essay in Hindi or Environment conservation essay in Hindi. Students of class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 and college are searching for “Save our environment essay in Hindi”. Here your search is over. So read long and short essay on save environment in Hindi.

Save Environment Essay in Hindi

Short Save Environment Essay in Hindi 250 Words

पर्यावरण वह है जो प्राकृतिक रूप से हमारे चारों तरफ है। हम चारो और पर्यावरण से घिरे हुए है। हम पर्यावरण पर पूरी तरह निर्भर है। पृथ्वी पर जीवन बनाए रखने के लिए हमें पर्यावरण के वास्तविकता को बनाए रखना होगा। पर्यावरण पर मनुष्य ही नहीं, बल्कि सभी जीव – जंतु और पेड़-पौधे भी पूरी तरह निर्भर है। बेहतर जिंदगी जीने के लिए एक स्वच्छ वातावरण बहुत जरूरी है। पर्यावरण हमें स्वस्थ जीवन जीने के लिए शुद्ध जल , शुद्ध वायु और शुद्ध भोजन उपलब्ध करवाता है। शहरीकरण और आधुनिकरण पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख कारण है। पर्यावरण के प्रदूषित होने के कारण ग्लोबल वार्मिंग की वैश्विक समस्या उत्पन्न हुई है। पेड़ पौधों की अंधाधुध कटाई भी पर्यावरण को बहुत प्रभावित करती है।

आज के इस आधुनिक युग में हम टेक्नोलॉजी टेक्नोलॉजी करते है और अपने पर्यावरण का खयाल रखना भूल चुके है। हमें टेक्नोलॉजी के साथ साथ पर्यावरण पर भी पूरा ध्यान रखना होगा। पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने एवं प्राकृतिक पर्यावरण के महत्व को समझाने के लिए हर साल दुनिया भर के लोग 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाते है। पर्यावरण को बचाने के लिए हम सभी को मिलकर उचित कदम उठाने चाहिए। हमे ज्यादा से ज्यादा पेड़- पौधे लगाने चाहिए। प्लास्टिक का प्रयोग बंद करना चाहिए। जितना हो सके वाहनों का कम प्रयोग करना चाहिए। पर्यावरण को बचाने के लिए भारत । में सरकार द्वारा अब तक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट स्वच्छ भारत अभियान है। इस योजना का मकसद भारत को पूरी तरह से साफ सुथरा बनाना और हमारे पर्यावरण को सुरक्षित रखना है।

अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करे। आपको हमारा Save Environment Essay in Hindi पर्यावरण संरक्षण पर निबंध कैसे लगा?

Share this:

  • Click to share on Facebook (Opens in new window)
  • Click to share on Twitter (Opens in new window)
  • Click to share on LinkedIn (Opens in new window)
  • Click to share on Pinterest (Opens in new window)
  • Click to share on WhatsApp (Opens in new window)

About The Author

essay writing on environmental conservation in hindi

Hindi In Hindi

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Email Address: *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Notify me of follow-up comments by email.

Notify me of new posts by email.

HindiinHindi

  • Cookie Policy
  • Google Adsense
  • गर्भधारण की योजना व तैयारी
  • गर्भधारण का प्रयास
  • प्रजनन क्षमता (फर्टिलिटी)
  • बंध्यता (इनफर्टिलिटी)
  • गर्भावस्था सप्ताह दर सप्ताह
  • प्रसवपूर्व देखभाल
  • संकेत व लक्षण
  • जटिलताएं (कॉम्प्लीकेशन्स)
  • प्रसवोत्तर देखभाल
  • महीने दर महीने विकास
  • शिशु की देखभाल
  • बचाव व सुरक्षा
  • शिशु की नींद
  • शिशु के नाम
  • आहार व पोषण
  • खेल व गतिविधियां
  • व्यवहार व अनुशासन
  • बच्चों की कहानियां
  • बेबी क्लोथ्स
  • किड्स क्लोथ्स
  • टॉयज़, बुक्स एंड स्कूल
  • फीडिंग एंड नर्सिंग
  • बाथ एंड स्किन
  • हेल्थ एंड सेफ़्टी
  • मॉम्स एंड मेटर्निटी
  • बेबी गियर एंड नर्सरी
  • बर्थडे एंड गिफ्ट्स

FirstCry Parenting

  • प्रीस्कूलर (3-5 वर्ष)
  • बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

पर्यावरण पर निबंध (Essay On Environment In Hindi)

पर्यावरण पर निबंध (Essay On Environment In Hindi)

In this Article

पर्यावरण पर 5 लाइन का छोटा निबंध (5 Lines On Environment in Hindi)

पर्यावरण पर 10 लाइन का निबंध (10 lines on environment in hindi), पर्यावरण पर निबंध 200-300 शब्दों मे (short essay on environment in hindi 200-300 words), पर्यावरण पर निबंध 400-500 शब्दों में (essay on environment in 400-500 words), पर्यावरण के बारे में रोचक तथ्य (interesting facts about environment in hindi), पर्यावरण के इस निबंध से हमें क्या सीख मिलती है (what will your child learn from an environment essay), अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (faqs).

हमारे आसपास मौजूद हर चीज पर्यावरण है, जिसमें हवा, पानी, पेड़-पौधे व अन्य सभी सजीव और निर्जीव शामिल हैं। दुनिया में जीवन आने के बाद से विकास शुरू हुआ और हर दौर के लोगों ने पर्यावरण का अपने अनुरूप प्रयोग किया। समय के साथ आधुनिकीकरण भी बढ़ता गया और हम मनुष्यों ने भविष्य की चिंता न करते हुए प्राकतिक संसाधनों का दुरुपयोग करना शुरू कर दिया। नतीजा यह हुआ कि पर्यावरण खतरे में आ गया और उसके साथ-साथ अब हम सब का जीवन भी खतरे में है। इसलिए पर्यावरण को बचाना बहुत जरूरी और हम सभी को मिलकर लोगों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलानी चाहिए।

नीचे हिंदी में दिए पर्यावरण संरक्षण पर निबंध के जरिए आप बेहतर रूप से पर्यावरण की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और अपने बच्चे को भी शिक्षित कर सकते हैं। क्योंकि आने वाले समय में पर्यावरण संरक्षण की डोर आपके बच्चे के हाथों में होगी।

निबंध लिखने की शुरुआत छोटे क्लास से ही शुरू हो जाती है। क्लास 1, 2 या 3 के बच्चों को एंवायरमेंट पर हिंदी एस्से लिखना है, तो वो किस तरह से लिख सकते हैं नीचे 5 लाइन में बताया गया है।

  • हमारे आसपास और चारों ओर जो कुछ भी सजीव और निर्जीव है, वह पर्यावरण है।
  • इंसान और जानवरों को जीने के लिए साफ और स्वच्छ पर्यावरण की जरूरत है।
  • स्थलमंडल, जलमंडल, वायुमंडल, और जैवमंडल मिलकर पर्यावरण बना है।
  • प्लास्टिक और अन्य हानिकारक घटक हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है।
  • पर्यावरण में सुधार के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए।

पर्यावरण हम सब के जीवित रहने के लिए जरूरी है और इसे जीवित रखने के लिए पर्यावरण संरक्षण जरूरी है। जिसकी जानकारी आने वाली जनरेशन को होना चाहिए। नीचे दिए गए 10 लाइन के पर्यावरण पर लेख से आप इसके बारे में आसानी से समझ सकते हैं।

  • हमारे आसपास के सभी सजीव और निर्जीव घटक से पर्यावरण बना है।
  • स्थलमंडल, जलमंडल, वायुमंडल, और जैवमंडल पर्यावरण के प्रमुख घटक है।
  • विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को मनाया जाता है।
  • पर्यावरण दूषित होने से इंसान और जानवरों पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा।
  • स्वस्थ जीवन के लिए साफ और स्वच्छ पर्यावरण का होना जरूरी है।
  • पर्यावरण के दूषित होने के कारण लोगों में बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं।
  • हमें लोगों में पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर जागरूकता फैलानी चाहिए।
  • पर्यावरण बचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए।
  • प्लास्टिक की थैलियों का इस्तेमाल बिलकुल बंद कर देना चाहिए।
  • पुनःउपयोग और पुनःचक्रण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

निबंध लिखने की शुरुआत क्लास 1, 2 और 3 के बच्चों से कर दी जाती है, जैसे-जैसे क्लास बढ़ता है निबंध और विस्तार में लिखा जाने लगता है। बड़ों के लिए निबंध लिखना आसान होता है, लेकिन छोटे बच्चों के लिए यह एक चुनौती हो सकता है। इस चुनौती को आसान बनाने के लिए हिंदी में पर्यावरण पर दिए गए निबंध को पढ़ें।

पर्यावरण का मतलब होता है हमारे आसपास मौजूद सभी चीजें जो कही न कहीं हमे प्रभावित कर रही हैं। जैसे कि हवा, पानी, पेड़, जानवर, गंदगी, आदि। अगर आपका पर्यावरण स्वच्छ है तो पृथ्वी पर मौजूद सभी जीवित चीजें जैसे कि मनुष्य, जानवर को बढ़ने और विकास करने में मदद मिलेगी। लेकिन अब कई इंसानों द्वारा विकसित की गई तकनीकों के कारण हमारी पृथ्वी पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है, जो हमारा पर्यावरण का संतुलन बिगाड़ रहा है। ऐसे कर के इंसान बिना भविष्य के बारें में सोचकर अपने ही जीवन को खतरे में डाल रहा है। क्योंकि पर्यावरण हमें वो सभी जरूरतमंद संसाधन प्रदान करता है जो हमारे बढ़ने और विकास के लिए बेहतर माने जाते हैं। पृथ्वी पर जीवित रहने के लिए हमें पर्यावरण को दूषित करने वाले सभी कार्यों को रोकने का प्रयास करते रहना चाहिए ताकि बच्चों के आने वाले भविष्य को सुरक्षित किया जा सके।

पर्यावरण को बचाने के लिए पेड़ लगाएं

पर्यावरण हमारे आसपास के सभी सजीव और निर्जीव घटक से मिलकर बना है। स्थलमंडल, जलमंडल, वायुमंडल, और जैवमंडल पर्यावरण के प्रमुख अंग है। पर्यावरण का महत्व समझते हुए हम सब को पर्यावरण बचाने का प्रयास करना चाहिए जिसमें ज्यादा से ज्यादा बच्चों को शामिल करें, क्योंकि अब भविष्य इन्हे ही तय करना है, और उसकी तैयारी अभी से शुरू कर देनी चाहिए। कुछ नीचे बताए बिंदुओं से पर्यावरण के बारे में हम विस्तार में हम जानेंगे।

पर्यावरण क्या है? (What Is the Environment?)

पर्यावरण का अर्थ है ‘’चारों ओर से घिरा हुआ’’ जिसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि हमारे आसपास मौजूद लगभग हर चीज पर्यावरण के दायरे में आती है। प्राकृतिक और मानवीय पर्यावरण मिलकर एक संपूर्ण पर्यावरण का निर्माण करते हैं। जिसमें भूमि, हवा, पानी, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी तथा जीव जन्तु आदि शामिल है।

पर्यावरण का महत्व (Significance of Environment)

  • मनुष्य जीवन का निर्भर होना: हम इंसानों का जीवन पूरी तरह से पर्यावरण पर निर्भर करता है। जैसे भोजन, पानी हवा आदि।
  • प्राकृतिक संसाधन का बेहतरीन स्रोत: पर्यावरण हमारी रोज की दिनचर्या को चलाने के लिए वो सभी प्राकृतिक तत्व प्रदान करता है जो पृथ्वी पर जिंदा रहने वाले सभी प्राणियों के लिए आवश्यक है।
  • रोजगार का माध्यम: लाखों-करोड़ों किसान अपनी रोजी-रोटी के लिए पर्यावरण पर निर्भर रहते हैं। जो किसानी कर के फसलों को उगाने और बेचने का काम कर रहे हैं और इससे उनका घर चल रहा है।
  • खाने का मुख्य स्रोत: पर्यावरण के कारण ही पृथ्वी पर जीवन संभव हो सका है, इसके जरिए हमे वो मिलता है जिसके बिना जीवन मुमकिन नहीं है और वो है भोजन, हमारा खाना जो हमारी सबसे बड़ी जरूरतों में से एक है।
  • औषधियों का स्रोत: हमारी प्रकृति औषधियों का एक समृद्ध स्रोत है। सालों से ही लोगों के इलाज लिए जड़ी-बूटी और आयुर्वेद का सहारा लिया जाता रहा है और अभी इसका उपयोग जारी है।

पर्यावरणीय अवनयन या पर्यावरण ह्रास के प्रमुख कारण (Major Causes Of Environmental Degradation)

पर्यावरणीय ह्रास के दो प्रमुख कारण हैं पहला प्राकृतिक और दूसरा मानव निर्मित, जिसकी वजह से हमारे नेचुरल रिसोर्सेज और इकोसिस्टम प्रभावित हो रहे हैं। प्राकृतिक कारणों के पीछे भी कही न कहीं हम ही जिम्मेदार हैं। इसे समय रहते रोकना बहुत जरूरी है। हमारे द्वारा पैदा किया जाने वाले प्रदूषण, फैक्ट्री और वाहनों से निकलने वाली जहरीली गैसों से पर्यावरण को काफी ज्यादा नुकसान पहुंच रहा है। इसके अलावा लड़कियों से बनने वाले सामानों की बढ़ती मांग के चलते पेड़ों को तेजी से काटा जा रहा है, जंगल खत्म किए जा रहे हैं, जिसकी वजह से वातावरण में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का संतुलन बिगड़ने लगा है। इतना ही नहीं इन दिनों नॉन-बायोडिग्रेडेबल कचरों की वृद्धि के कारण रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग को बढ़ाया जा रहा है, जो हमारी मिटटी की गुणवत्ता पर प्रभाव डाल रहा और फसलों पर भी।

पर्यावरण को बचाने के उपाय (Measures To Protect The Environment)

हम पर्यावरण को बचाने के लिए यह आसान उपाय अपने जीवन में लागू कर सकते हैं:

  • पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं।
  • नहाते वक्त या घर के अन्य कामों के लिए सिर्फ जरूरत भर पानी का इस्तेमाल करें।
  • जरूरत न होने पर घर के पंखें और लाइट को बंद कर दें।
  • बिजली बचाने वाले उपकरणों का प्रयोग करें।
  • इको-फ्रैंडली चीजों का जितना हो सके प्रयोग करें।
  • लोगों के बीच पर्यावरण को लेकर जागरूकता फैलाएं।
  • हर दिन लगभग 27,000 से ज्यादा पेड़ काटे जा रहे हैं।
  • प्लास्टिक के कारण हर साल लगभग 1,000,000 समुद्री जानवरों की मौत हो जाती है।
  • पृथ्वी का केवल 1% पानी ही पीने योग्य है।
  • ऑक्सीजन हर जीवित प्राणियों के लिए जरूरी है।
  • पेड़ से बनाए गए पेपर को 6 बार रीसायकल किया जा सकता है।

हमारा पर्यावरण अगर बेहतर होगा तो हमारी पृथ्वी और उस पर रहने वाले जीवित लोग भी सुरक्षित रहेंगे। बच्चे आने वाले कल का भविष्य हैं और इसलिए बच्चों को इसके महत्व के बारे में जानकारी होना जरूरी है। ध्यान रहे कि प्लास्टिक और पर्यावरण को दूषित करने वाली हर वस्तु के प्रयोग से हमे बचना चाहिए और एको फ्रैंडली चीजों का उपयोग करना चाहिए साथ साथ जितना हो सके उतने ज्यादा पेड़ लगाएं।

1. प्रथम पर्यावरण दिवस कब मनाया गया था ?

प्रथम विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 1973 को मनाया गया था।

2. भारत की मदर ऑफ एनवायरनमेंट किसे कहा जाता है?

श्रीमती सुनीता नारायण को भारत की मदर ऑफ एनवायरनमेंट कहा जाता है। यह एक भारतीय एनवीरोंमेंटलिस्ट और राजनीतिक कार्यकर्ता थी।

3. पर्यावरण में क्या-क्या शामिल होता है?

पर्यावरण में सभी तरह की जीवित और निर्जीव चीजें शामिल होती हैं, जैसे पेड़, जीव-जंतु, वायु, स्थल, जल आदि जिसके आधार पर मानव जीवन टिका हुआ है।

यह  भी पढ़ें:

गाय पर निबंध (Essay On Cow In Hindi) प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi)

RELATED ARTICLES MORE FROM AUTHOR

बेटी दिवस पर कविता (poem on daughter’s day in hindi), गणेश चतुर्थी पर निबंध (ganesh chaturthi essay in hindi), शिक्षक दिवस 2024 पर कविता, बच्चों के लिए टीचर्स डे पर 40 बेस्ट कोट्स और मैसेजेस, रक्षाबंधन पर कविता (poems on raksha bandhan in hindi), जन्माष्टमी पर निबंध (essay on janmashtami in hindi), popular posts, राष्ट्रीय बेटी दिवस – तारीख, महत्व और इस दिन को खास कैसे बनाएं, 100+ बेटी दिवस की शुभकामनाएं, कोट्स, विशेस, मैसेज और स्टेटस, 120+ गणेश चतुर्थी 2024 की शुभकामनाएं देने के लिए कोट्स, विशेस, मैसेज और स्टेटस, राष्ट्रीय बेटी दिवस – तारीख, महत्व और इस दिन को खास..., 120+ गणेश चतुर्थी 2024 की शुभकामनाएं देने के लिए कोट्स, विशेस,....

FirstCry Parenting

  • Cookie & Privacy Policy
  • Terms of Use
  • हमारे बारे में

Question and Answer forum for K12 Students

Environment Essay In Hindi

पर्यावरण बचाओ पर निबंध – Environment Essay In Hindi

पर्यावरण बचाओ पर छोटे तथा बड़े निबंध (essay on save environment in hindi), प्रदूषण-वृद्धि की समस्या अथवा पर्यावरण बचाओ अभियान – (pollution problem – save environment campaign).

  • प्रस्तावना,
  • पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार,
  • पर्यावरण प्रदूषण : जिम्मेदार कौन,
  • पर्यावरण प्रदूषण रोकने के उपाय,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना- आज की दुनिया विचित्र नवीन, प्रकृति पर सर्वत्र है विजयी पुरुष आसीन। हैं बँधे नर के करों में वारि, विद्युत, भाप, हुक्म पर चढ़ता-उतरता है पवन का ताप। वैज्ञानिक प्रगति के उन्माद से ग्रस्त मानव ने प्रकृति-माता को दासी के पद पर धकेल दिया है। वह नाना प्रकार से प्रकृति के निर्मम दोहन में व्यस्त है। उसे विरूप बना रहा है। उद्योगों का कूड़ा-कचरा और विषैले विसर्जन पर्यावरण को प्रदूषित करने की होड में लगे हए हैं। मनुष्य ने अपने ही प्रमाद से अपने भविष्य को अंधकारमय बना डाला है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार-आज सृष्टि का कोई पदार्थ, कोई कोना प्रदूषण के प्रहार से नहीं बच पाया है। प्रदूषण मानवता के अस्तित्व पर एक नंगी तलवार की भाँति लटक रहा है। प्रदूषण मुख्य रूप से निम्नलिखित प्रकार का है-

(1) जल प्रदूषण-जल मानव जीवन के लिए परम आवश्यक पदार्थ है। जल के परम्परागत स्रोत हैं-कुएँ, तालाब, नदी तथा वर्षा का जल। प्रदूषण ने इस सभी स्रोतों को दूषित कर दिया है। औद्योगिक प्रगति के साथ-साथ हानिकारक कचरा और रसायन बड़ी बेदर्दी से इन जलस्रोतों में मिल रहे हैं। महानगरों के समीप से बहने वाली नदियों की दशा तो अत्यन्त दयनीय है। गंगा, यमुना, गोमती आदि सभी नदियों की पवित्रता प्रदूषण की भेंट चढ़ गई है।

(2) वायु प्रदूषण-वायु भी जल जितना ही आवश्यक पदार्थ है। श्वास-प्रश्वास के साथ वायु निरन्तर शरीर में आती आज शद्ध वायु का मिलना भी कठिन हो गया है। वाहनों, कारखानों और सड़ते हुए औद्योगिक कचरे ने वायु में भी . जहर भर दिया है। घातक गैसों के रिसाव भी यदा-कदा प्रलय मचाते रहते हैं। गैसीय प्रदूषण ने सूर्य की घातक किरणों से रक्षा करने वाली ‘ओजोन परत’ को भी छेद डाला है।

(3) खाद्य प्रदूषण-प्रदूषित जल और वायु के बीच पनपने वाली वनस्पति या उसका सेवन करने वाले पशु-पक्षी भी आज दूषित हो रहे हैं। चाहे शाकाहारी हो या माँसाहारी कोई भी भोजन के प्रदूषण से नहीं बच सकता।

(4) ध्वनि प्रदूषण-कर्णकटु और कर्कश ध्वनियाँ मनुष्य के मानसिक सन्तुलन को बिगाड़ती हैं और उसकी कार्य-क्षमता को भी कुप्रभावित करती हैं। आकाश में वायुयानों की कानफोड़ ध्वनियाँ, धरती पर वाहनों, यन्त्रों और संगीत का मुफ्त दान करने वाले ध्वनि-विस्तारकों का शोर। सब मिलकर मनुष्य को बहरा बना देने पर तुले हुए हैं।

(5) विकिरणजनित प्रदूषण-परमाणु विस्फोटों तथा परमाणु संयन्त्रों से होते रहने वाले रिसाव आदि से विकिरणजनित प्रदूषण भी मनुष्य को भोगना पड़ रहा है। रूस के चेर्नोबिल तथा जापान के परमाणु केन्द्रों से होने वाला प्रदूषण जग विख्यात है।

पर्यावरण प्रदूषण : जिम्मेदार कौन ?-प्रायः हर प्रकार के प्रदूषण की वृद्धि के लिए हमारी औद्योगिक और वैज्ञानिक प्रगति तथा मनुष्य का अविवेकपूर्ण आचरण ही जिम्मेदार है। वाहनों का गैस-विसर्जन, चिमनियों का धुआँ, रसायनशालाओं की विषैली गैसें मनुष्यों की साँसों में जहर फूंक रही हैं। सभी प्रकार के प्रदूषण हमारी औद्योगिक और जीवन-स्तर की प्रगति से जुड़ गये हैं। हमारी हालत साँप-छछूदर जैसी हो रही है।

पर्यावरण प्रदूषण रोकने के उपाय-प्रदूषण ऐसा रोग नहीं है कि जिसका कोई उपचार ही न हो। प्रदूषण फैलाने वाले सभी उद्योगों को बस्तियों से सुरक्षित दूरी पर ही स्थापित किया जाना चाहिए। किसी भी प्रकार की गन्दगी और प्रदूषित पदार्थ को नदियों और जलाशयों में छोड़ने पर कठोर दण्ड की व्यवस्था होनी चाहिए।

वायु को प्रदूषित करने वाले वाहनों पर भी नियन्त्रण आवश्यक है। प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने जो दीर्घगामी नीति बनाई है, भारत उसे स्वीकार कर चुका है। बहुसंख्यक देश भी इसे स्वीकार करने को तत्पर दिखते हैं। किन्तु अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति महोदय (ट्रंप) की भूमिका अत्यंत निराशाजनक है।

उपसंहार-पर्यावरण का प्रदूषण एक अदृश्य दानव की भाँति मनुष्य-समाज को निगल रहा है। यह एक विश्वव्यापी संकट है। यदि इस पर समय रहते नियन्त्रण नहीं किया गया तो आदमी शुद्ध जल, वायु, भोजन और शान्त वातावरण के लिए तरस जायेगा। प्रशासन और जनता, दोनों के गम्भीर प्रयासों से ही प्रदूषण से मुक्ति मिल सकती है।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध व नारे Save Environment Essay & Slogans in Hindi

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध व नारे Save Environment Essay & Slogans in Hindi

इस लेख में हमने पर्यावरण संरक्षण पर निबंध, बेहतरीन नारे (Save Environment Essay & Slogans in Hindi) प्रस्तुत किया है।

तो आईये शुरू करते हैं – पर्यावरण संरक्षण पर निबंध व नारे Save Environment Essay & Slogans in Hindi

Table of Content

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध Save Environment Essay in Hindi

हमारे आस-पास का वो आवास पर्यावरण है जिसमे हम रहते है। इस प्राकृतिक आवास में उपस्थित प्राकृतिक घटक जो मनुष्यों और जानवरों के जीवन के लिए बहुत ही आवश्यक है। इन घटकों में मुख्य है हवा, पानी, मिट्टी तथा अन्य घटक भी शामिल है।

पर्यावरण संरक्षण क्या है? What is Save Environment in Hindi?

पर्यावरण संरक्षण का अर्थ है हमारे पर्यावरण को सुरक्षित करना यानी की पर्यावरण सुरक्षा। लेकिन हमारे द्वारा किये गए कई कारणों से हमारा पर्यावरण खराब हो रहा है।

न केवल मानव के लिए बल्कि अन्य जीवित प्राणियों के लिए भी पर्यावरण संरक्षण बहुत ही आवश्यक है। क्योंकि यदि पर्यावरण सुरक्षित नही रहेगा, तो पृथ्वी पर भी जीवन की संभावना कम हो जायेगी। इसीलिए हमे अपने पर्यावरण के संरक्षण के लिए ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहे।

पर्यावरण संरक्षण का महत्व Importance of Save Environment in Hindi

वैसे तो हम भोजन में दूध, अंडे, और सब्जियों के साथ अन्य चीजों का सेवन करते हैं लेकिन वे सभी भी जानवरों और पौधों से ही प्राप्त होते हैं। जो हमारे वातावरण के द्वारा ही हमें प्राप्त होता है।

पर्यावरण संरक्षण, इस पृथ्वी पर उपस्थित सभी प्राणियों के जीवन तथा प्राकृतिक संसाधनों के लिए बहुत ही आवश्यक है। आज की इस आधुनिकता में प्रदूषण के कारण पृथ्वी दूषित हो रही है। इसके परिणाम स्वरूप एक समय ऐसा आयेगा जब पृथ्वी पर मानव का जीवन असंभव हो जायेगा।

इसके बाद सन 2002 में जोहान्सबर्ग में एक बार फिर ‘पृथ्वी सम्मेलन’ का आयोजन किया गया। जिसमे विश्व के सभी देशों ने पर्यावरण संरक्षण के लिए अपने अपने सुझाव दिए।

पर्यावरण संरक्षण के कारण Why Should We Protect Our Environment?

1. प्रदूषण का बढ़ना increased pollution.

जिससे वायु प्रदूषण , जल प्रदूषण , भूमि प्रदूषण जैसी समस्या उत्पन्न हो रही है। प्रदूषण के कारण आज स्थिति इतनी गंभीर है कि लगभग 2 बिलियन लोगो के पास स्वच्छ पीने का पानी नही है। जो हमारे पर्यावरण के संकट का मुख्य कारण प्रदूषण है।

2. ग्लोबल वार्मिंग का बढ़ना Increased Global Warming

दोस्तों क्या आप सभी को पता भी है कि दिन प्रतिदिन ग्लोबल वार्मिंग (पढ़ें: ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध ) का खतरा धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा है।

इसका मुख्य कारण है कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2)। हमारे द्वारा उपयोग किये गए जीवाश्म ईंधनों से निकलने वाला कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) हमारे वातावरण में उपस्थित होता है जो पृथ्वी के तापमान में वृद्धि करता है।

जिसके फलस्वरूप ग्लेशियर पिघलने लगते है और समुद्र के जल का स्तर बढ़ जाता है। इसके फलस्वरूप जो शहर तट पर उपस्थित होते है उनके डूबने का खतरा बढ़ जाता है।

3. वनों की कटाई में बढौतरी Increasing cutting of Trees

वनों की कटाई (पढ़ें: वनोन्मूलन पर निबंध ) पर्यावरण के संकट का एक मुख्य कारण है। मानव अपनी आवश्यकताओं के अनुसार वनों की कटाई करते रहते है। इसके कारण जंगली जंतुओं और पक्षियों का आवास नष्ट हो रहा है।

इसके अलावा वनों की कटाई के कारण वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) और कार्बन मोनो ऑक्साइड की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है, क्योंकि पेड़ ही कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) को ऑक्सीजन में बदलने का काम करते है।

4. जनसंख्या वृद्धि Population Growth

जिससे मनुष्य अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिए पक्षियों और जानवरों का आश्रय नष्ट कर देता है। इससे पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बिगड़ जाता है। जो हमारे पर्यावरण के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय How to Save Environment?

दोस्तों जिस तरह से हम रह रहे है, जिससे हमारा वातावरण तेजी से दूषित हो रहा है। अगर ऐसे ही चलता रहा तो एक समय ऐसा भी आएगा। जब पृथ्वी पर भी जीवन असंभव हो जाएगा। इसके लिए हमें सही तरीके से पर्यावरण की देख-रेख करनी होगी और हमारे आने वाली नस्ल के लिए पर्यावरण को सुरक्षित रखना होगा।

पर्यावरण सुरक्षा के लिए सरकार के कदम Government Steps for Save Environment in India

हमारे पर्यावरण को बचाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाये है। इसके साथ ही सरकार ने लोगो को जागरूक करने के लिए कई पहल भी किये है। जिनके बारे में जानकर सभी नागरिक पर्यावरण को बचाने के लिए सही कदम उठा सके। पर्यावरण को बचाने के लिए सरकार द्वारा उठाये कदम इस प्रकार है:

1. स्वच्छ भारत अभियान Swachh Bharat Abhiyaan

पर्यावरण को बचाने के लिए भारत में सरकार द्वारा अब तक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट स्वच्छ भारत अभियान है।

2. नदियों की सफाई Cleaning of Rivers

आपको बता दें कि हमारे पंद्रहवें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने तीन दिन गंगा नदी की सफाई के अपने लक्ष्य को पूरा किया है।

पर्यावरण संरक्षण पर 10 नारे Slogans on Save Environment in Hindi

नीचे हमने पर्यावरण संरक्षण पर 10 बेहतरीन नारे दिए हैं जिन्हें आप विभिन्न कार्यक्रम और उत्सवों में उपयोग कर सकते हैं-

निष्कर्ष Conclusion

आज अगर हम पर्यावरण सुरक्षा पर ध्यान नहीं देंगे तो आने वाले समय में हम पृथ्वी के विनाश को रोक नहीं पाएंगे। हमें अपने पर्यावरण को बचाने की शुरुवात आज और इसी वक्त से शुरू कर देना चाहिए।

आशा करते हैं पर्यावरण संरक्षण पर निबंध व नारे (Save Environment Essay & Slogans in Hindi) पर यह लेख आपको पसंद आया होगा।

essay writing on environmental conservation in hindi

Similar Posts

कोयल पक्षी पर निबंध essay on the cuckoo bird in hindi, शहीद दिवस पर निबंध essay on martyrs day india in hindi, हेलोवीन दिवस पर निबंध essay on halloween day in hindi, महाराष्ट्र हडगा त्योहार पर निबंध essay on hadaga festival in hindi, कन्या भ्रूण हत्या पर निबंध essay on female foeticide in hindi, अहिंसा और युवा पर निबंध essay on non-violence and youth in hindi, leave a reply cancel reply, 12 comments.

दा इंडियन वायर

प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण पर निबंध

essay writing on environmental conservation in hindi

By विकास सिंह

Essay on conservation of natural resources in hindi

प्राकृतिक संसाधन वे संसाधन हैं जिन्हें प्रकृति द्वारा हमें उपलब्ध कराया जाता है। सूर्य का प्रकाश, हवा, पानी और खनिज प्राकृतिक संसाधनों के कुछ उदाहरण हैं। जबकि कुछ प्राकृतिक संसाधन नवीकरणीय हैं और अन्य गैर-नवीकरणीय हैं। प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना आवश्यक है ताकि उनका उपयोग अधिक समय तक किया जा सके।

प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता पर बार-बार जोर दिया गया है। यदि हम इस गति से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करते रहेंगे तो हम पर्यावरण में असंतुलन पैदा करेंगे।

प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, Essay on conservation of natural resources in hindi (200 शब्द)

प्राकृतिक संसाधन विभिन्न प्रकार के होते हैं लेकिन इन्हें बड़े पैमाने पर नवीकरणीय और गैर-नवीकरणीय के रूप में वर्गीकृत किया गया है। नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधनों के कुछ उदाहरण सूरज की रोशनी, पानी, हवा, लकड़ी और मिट्टी हैं। जबकि इनमें से कुछ प्राकृतिक संसाधन प्रकृति में बहुतायत में उपलब्ध हैं और इन्हें तेजी से फिर से बनाया जा सकता है ताकि अन्य लोगों को नवीनीकृत होने में समय लगे।

कोयला, तेल और प्राकृतिक गैसें गैर-नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधनों के कुछ उदाहरण हैं। हालांकि पर्यावरण में स्वाभाविक रूप से उपलब्ध है, इन प्राकृतिक संसाधनों को फिर से भरने या रीसायकल करने में सैकड़ों साल लग जाते हैं।

पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए प्राकृतिक संसाधनों की उपस्थिति आवश्यक है। हालांकि, हम उन्हें उपयोग करने से पहले दो बार नहीं सोचते हैं। हम अपने प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहे हैं और वे तीव्र गति से कम हो रहे हैं। हमें प्राकृतिक संसाधनों के महत्व और भविष्य में उपयोग के लिए उनके संरक्षण की आवश्यकता को समझना चाहिए।

हमें विशेष रूप से गैर-नवीकरणीय संसाधनों के साथ-साथ नवीकरणीय संसाधनों का उपयोग करने के लिए सतर्क रहना चाहिए जो फिर से भरने में समय लेते हैं। ये संसाधन हमारी मूलभूत आवश्यकताएं हैं। वे हमारे अस्तित्व के लिए आवश्यक हैं। अगर हम उन्हें संरक्षित करने के लिए गंभीर कदम नहीं उठाते हैं, तो हमारे लिए पृथ्वी पर रहना लगभग असंभव हो जाएगा।

हर देश की सरकार को प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के महत्व पर जोर देने और अपने नागरिकों को किसी भी प्रकार के अपव्यय से बचने के लिए सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।

प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण पर निबंध, 300 शब्द:

प्रस्तावना:.

प्राकृतिक संसाधन ज्यादातर सीमित हैं और यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उन्हें बुद्धिमानी से उपयोग करें और हमारी भावी पीढ़ियों के लिए उनका संरक्षण करें। प्राकृतिक संसाधन मानव के साथ-साथ अन्य जीवित प्राणियों के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण हैं। जबकि कुछ प्राकृतिक संसाधन पृथ्वी पर जीवन को संभव बनाते हैं जबकि अन्य इसे सहज बनाते हैं।

भविष्य की पीढ़ी का अस्तित्व:

जल, वायु और सूर्य के प्रकाश जैसे प्राकृतिक संसाधन वातावरण में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। ये नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन हैं और मनुष्य को इनकी उपलब्धता के बारे में अधिक चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, कई नवीकरणीय संसाधन जैसे लकड़ी, मिट्टी, आदि हैं जो नवीकरण करने में वर्षों लगते हैं। इस प्रकार इनका सावधानी से उपयोग किया जाना चाहिए।

इसके अलावा, जीवाश्म ईंधन और खनिजों जैसे गैर-नवीकरणीय संसाधनों का बार-बार उपयोग नहीं किया जा सकता है। एक बार सेवन करने पर ये दोबारा नहीं बन सकते। दोनों नवीकरणीय और गैर-नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन जीवित प्राणियों के अस्तित्व के लिए आवश्यक हैं।

हम विभिन्न प्रयोजनों के लिए इनका उपयोग करते हैं। इनमें से कुछ का उपयोग सीधे किया जाता है जबकि अन्य का उपयोग विभिन्न चीजों के निर्माण के लिए किया जाता है जो हमारे द्वारा व्यापक रूप से उपयोग की जाती हैं।

सरकार की भूमिका:

हालांकि लोगों को जिम्मेदारी से व्यवहार करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे मूल्यवान प्राकृतिक संसाधनों को बर्बाद न करें, सरकार को प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए भी कदम उठाना चाहिए। हमें केवल यह सुनिश्चित करने के लिए कठोर कानूनों का निर्माण करना चाहिए कि हमें किसी भी प्रकार के उपयोग से बचना चाहिए और किसी भी प्रकार के अपव्यय से बचना चाहिए।

सरकार को पेड़ों की कटाई, पेट्रोलियम की खपत, खनिजों की बर्बादी और यहां तक ​​कि पानी के उपयोग पर भी नजर रखनी चाहिए। उनकी खपत को सीमित करने के लिए नए तरीकों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। जो भी इनका शोषण करता पाया गया उसे दंडित किया जाना चाहिए।

निष्कर्ष:

यदि हम अपने प्राकृतिक संसाधनों का उसी दर पर उपयोग करना जारी रखते हैं जो हम वर्तमान में उनका उपयोग कर रहे हैं, तो हम भविष्य में उनमें से बहुत कम ही छोड़ेंगे। यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक समस्या पैदा करेगा। हमें प्राकृतिक संसाधनों का सावधानी से उपयोग करना चाहिए ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियों को नुकसान न हो।

प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण पर निबंध, Essay on conservation of natural resources in hindi (400 शब्द)

हमारे प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा और संरक्षण की आवश्यकता पर अक्सर जोर दिया जाता है। यह विशेष रूप से पिछले कुछ दशकों से चिंता का एक प्रमुख कारण बन गया है। जबकि वायु, जल और सूर्य के प्रकाश जैसे कई प्राकृतिक संसाधन वायुमंडल में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं और प्राकृतिक रूप से दूसरों जैसे कि पेट्रोलियम, खनिज और प्राकृतिक गैसों को नवीनीकृत किया जा रहा है और इसे पुनर्नवीनीकरण या नवीनीकृत नहीं किया जा सकता है। ये तेज दर से घट रहे हैं।

प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा और संरक्षण की आवश्यकता है:

हमारे प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा और संरक्षण की सख्त जरूरत है। यदि हम अब उनकी रक्षा नहीं करते हैं, तो हम इस ग्रह पर लंबे समय तक जीवित नहीं रह पाएंगे। इन मूल्यवान संसाधनों की रक्षा और संरक्षण के लिए कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:

प्राकृतिक संसाधन सीमित है

प्राकृतिक संसाधन दो श्रेणियों में विभाजित हैं – नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन और गैर नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन। जबकि कई नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन प्रकृति में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं और आसानी से नवीनीकृत हो जाते हैं और दूसरों को फिर से भरने में समय लगता है।

जिन प्राकृतिक संसाधनों के नवीनीकरण में समय लगता है उनमें लकड़ी, मिट्टी और बायोमास शामिल हैं। ऐसे नवीकरणीय संसाधनों का सावधानीपूर्वक उपयोग करना आवश्यक है क्योंकि ये सीमित हैं और हमें स्वाभाविक रूप से फिर से भरने से पहले इंतजार करना होगा। गैर-नवीकरणीय संसाधन जैसे खनिज, धातु और पेट्रोलियम सीमित हैं और ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे हम इनका नवीनीकरण कर सकें। इस प्रकार, उन्हें बुद्धिमानी से उपयोग करने के लिए अत्यधिक महत्व है।

प्राकृतिक संसाधन: मानव जीवन रक्षा के लिए आवश्यक

हमें प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा और संरक्षण करने की आवश्यकता है क्योंकि वे मानव और साथ ही अन्य जीवित प्राणियों के अस्तित्व के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता के कारण ही पृथ्वी पर जीवन संभव है। यदि हम प्राकृतिक संसाधनों का दोहन जारी रखते हैं और उन्हें इस दर पर समाप्त करते हैं, तो हम इस ग्रह पर लंबे समय तक जीवित नहीं रह पाएंगे।

हम न केवल नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधनों का तेजी से उपभोग कर रहे हैं और जल्द ही इनको कम करने का जोखिम उठा रहे हैं, बल्कि ये प्रचुर मात्रा में उपलब्ध लोगों की गुणवत्ता को भी खराब कर रहे हैं। प्रदूषण के कारण हवा और पानी की गुणवत्ता कम हो गई है और आने वाले समय में इसके और खराब होने की संभावना है। हमें अपनी भावी पीढ़ियों के लिए प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा और संरक्षण करने की आवश्यकता है ताकि वे वैसा ही आरामदायक जीवन का आनंद ले सकें जैसा हम करते हैं।

अपने प्राकृतिक संसाधनों की बर्बादी से बचने के लिए हम सभी को इसे अपनी जिम्मेदारी के रूप में लेना चाहिए। हमें इन बहुमूल्य संसाधनों के संरक्षण और बातचीत में योगदान देना चाहिए जो प्रकृति ने हमें प्रदान किए हैं।

प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण पर निबंध, 500 शब्द:

प्राकृतिक संसाधन प्रकृति में स्वतंत्र रूप से उपलब्ध हैं लेकिन इनमें से ज्यादातर या तो सीमित हैं या रीसायकल करने में सैकड़ों साल लगते हैं। यही कारण है कि हमें इन संसाधनों का सावधानीपूर्वक उपयोग करना चाहिए और किसी भी प्रकार के अपव्यय से बचना चाहिए। हालाँकि, यह करना आसान है।

मानव विभिन्न उद्देश्यों के लिए प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करने के लिए इतना आदी हो गया है कि उनके बिना रहना मुश्किल है। हमें महसूस नहीं होता है कि ये तेजी से घट रहे हैं और आने वाले समय में हम इनमें से बहुत कुछ नहीं छोड़ सकते हैं। हम जो कल्पना नहीं करते हैं वह यह है कि भविष्य में इन मूल्यवान संसाधनों के बिना जीवन बेहद कठिन हो जाएगा।

प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के तरीके:

यहाँ प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के कुछ तरीके दिए गए हैं:

बिजली बचाओ

नवीकरणीय और गैर-नवीकरणीय दोनों प्राकृतिक संसाधनों से बिजली का उत्पादन किया जाता है। बिजली का उत्पादन करने के लिए बड़ी मात्रा में जीवाश्म ईंधन का उपयोग किया जा रहा है। पानी, कोयला, प्राकृतिक गैसों और बायोमास जैसे प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के लिए बिजली की बचत एक लंबा रास्ता तय कर सकती है। एयर कंडीशनर के उपयोग को सीमित करना, दिन के समय रोशनी बंद रखना, उपकरणों को अनप्लग करना और उपयोग न करने पर ऊर्जा कुशल उपकरणों का उपयोग करने जैसे सरल अभ्यास मदद कर सकते हैं।

ईंधन बचाओ

पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन, जिस पर हमारे वाहन चलते हैं, पेट्रोलियम से प्राप्त होते हैं जो एक गैर नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन है। हमें अपने परिवहन के साधनों का चयन बुद्धिमानी से करना चाहिए ताकि आने वाले समय में हम ईंधन को बचा सकें। सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना, नियमित कार पूलिंग, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चयन करना और लाल बत्ती पर इंजन बंद करना ईंधन बचाने के कुछ तरीके हैं।

कागज का उपयोग प्रतिबंधित करें

कागज लकड़ी से बना है जो एक अक्षय प्राकृतिक संसाधन है। हालांकि, यह एक अक्षय संसाधन है जिसे फिर से भरने में समय लगता है। पेड़ों को तेज गति से काटा जा रहा है और वे उतनी तेजी से नहीं बढ़ते हैं। इस प्राकृतिक संसाधन को नवीनीकृत होने में वर्षों लगते हैं। यही कारण है कि हमें कागज बर्बाद करना बंद करना चाहिए।

कुछ तरीके जिनमें हम ऐसा कर सकते हैं, छपाई करते समय कागज के दोनों किनारों का उपयोग करते हैं, ऑनलाइन बिलों का चयन करते हैं और रीसाइक्लिंग के लिए उपयोग किए गए कागजात भेजते हैं। हमें पेड़ लगाने और अपने आसपास के लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

जल बचाओ

यद्यपि एक अक्षय प्राकृतिक संसाधन, पानी को बचाना आवश्यक है, हम स्वच्छ पानी से बाहर निकल सकते हैं, जिसका उपयोग पीने, खाना पकाने, सफाई और ऐसे अन्य उद्देश्यों के लिए किया जाता है। यह हमारी दिनचर्या में छोटे-छोटे बदलाव करके किया जा सकता है जैसे कि नहाते समय बाल्टी से पानी का उपयोग करना चाहिए।

पौधों में पानी देना और कार धोना आदि कार्यों के लिए बौछारों या पाइपों का उपयोग करने के बजाय बाल्टी का प्रयोग करना चाहिए। इसी तरह, दांतों को धोते समय या बर्तन धोते समय उपयोग में नहीं आने पर नल को बंद रखने से पानी की बर्बादी से बचने में मदद मिल सकती है।

अपने भविष्य को सुरक्षित करने और आरामदायक जीवन जीने के लिए, हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों का बुद्धिमानी से उपयोग करना चाहिए। इन संसाधनों के संरक्षण के कई तरीके हैं जैसे कि हमारे परिवहन के साधनों को बुद्धिमानी से चुनना, पेड़ लगाना, बिजली के उपकरणों के उपयोग से बचना और पानी की बर्बादी से बचना।

यदि हम में से प्रत्येक प्राकृतिक संसाधनों के अपव्यय से बचने के लिए इसे एक जिम्मेदारी के रूप में लेता है और सरकार प्राकृतिक संसाधनों के उपभोग पर एक गंभीर नियंत्रण रखती है, तो इसका संरक्षण करना, आसान हो जाएगा।

प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण पर निबंध, Essay on conservation of natural resources in hindi (600 शब्द)

प्राकृतिक संसाधन वे संसाधन हैं जिन्हें प्रकृति द्वारा हमें उपलब्ध कराया गया है। इन संसाधनों के उत्पादन में कोई मानवीय हस्तक्षेप नहीं है। सदियों से मनुष्य ने इन संसाधनों का उपयोग अपनी कई जरूरतों को पूरा करने के लिए किया है। इनमें से कई संसाधनों का उपयोग सीधे किया जाता है जबकि अन्य का अप्रत्यक्ष रूप से उपयोग किया जाता है।

इन संसाधनों का उपयोग उन चीजों को तैयार करने के लिए किया जाता है जो हमारे जीवन में काम आती हैं। इन प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करने से लेकर उनमें से हर एक का दोहन करने के लिए – आदमी ने एक लंबा सफर तय किया है। हमें प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता है ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां भी अपने जीवन को आरामदायक बनाने के लिए इनका उपयोग कर सकें।

प्राकृतिक संसाधनों के प्रकार:

मूल रूप से दो प्रकार के प्राकृतिक संसाधन हैं। ये नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन और गैर-नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन हैं। नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन वे संसाधन हैं जिन्हें प्राकृतिक रूप से वायु, जल, सूर्य के प्रकाश, लकड़ी, मिट्टी, आदि के लिए नवीनीकृत किया जा सकता है।

इन्हें आगे दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है – वे प्राकृतिक संसाधन जिन्हें आसानी से नवीनीकृत किया जा सकता है और जिन्हें फिर से भरने में समय लगता है। लकड़ी और मिट्टी दूसरी श्रेणी में आती है। गैर नवीकरणीय संसाधन वे संसाधन हैं जिन्हें पुनर्नवीनीकरण या नवीनीकृत नहीं किया जा सकता है। जबकि इनमें से कुछ प्रकृति में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं, अन्य सीमित हैं।

गैर नवीकरणीय संसाधनों के कुछ उदाहरणों में खनिज, प्राकृतिक गैस और धातु शामिल हैं। गैर-नवीकरणीय संसाधनों का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है और तेजी से दर में कमी हो रही है। चूंकि इनका नवीनीकरण नहीं किया जा सकता है इसलिए ये आने वाले समय में पृथ्वी की सतह से गायब हो जाएंगे क्योंकि हम उनका बुरी तरह से शोषण कर रहे हैं।

प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण क्यों करना चाहिए?

हमें अक्षय और गैर-नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और संरक्षण की आवश्यकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ये प्राकृतिक संसाधन सीमित हैं। यही कारण हैं कि हम इस ग्रह पर जीवित हैं और एक आरामदायक जीवन जी रहे हैं। अगर हम उन्हें इस दर पर जारी रखते हैं, तो पृथ्वी पर हमारा अस्तित्व बेहद मुश्किल हो जाएगा।

प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के महत्व पर बार-बार जोर दिया गया है। हालाँकि, हम अभी भी इनका लापरवाही से इस्तेमाल करते हैं। इस मुद्दे को गंभीरता से लेना और इन बहुमूल्य संसाधनों की अनावश्यक बर्बादी को रोकना हमारे लिए महत्वपूर्ण है। हमें समझना चाहिए कि हमारी लापरवाही भविष्य की पीढ़ियों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकती है। अगर हमें इनके उपयोग के लिए प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण नहीं किया गया तो उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।

प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण कैसे करें?

ऐसे कई तरीके हैं जिनसे प्राकृतिक संसाधनों को बचाया जा सकता है। सरल प्रथाओं का पालन करने से एक बड़ा अंतर पैदा करने में मदद मिल सकती है।

प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए, हमें पहले स्वयं को ऐसा करने की आवश्यकता के बारे में याद दिलाना चाहिए। हम अपने दिन-प्रतिदिन के जीवन में विभिन्न चीजों का उपयोग करने के लिए इतने आदी हो गए हैं कि हमें यह महसूस नहीं होता है कि ऐसा करने में हम प्राकृतिक संसाधनों का अच्छी मात्रा में उपभोग कर रहे हैं।

ऐसे कई बार होते हैं जब हम इन चीजों का उपयोग किए बिना कर सकते हैं, लेकिन हम बिना किसी एहसास के इनका अंधाधुंध इस्तेमाल करते रहते हैं कि हम कैसे अपने विलुप्त होने की दिशा में योगदान दे रहे हैं। जिस बिजली का हम उपयोग करते हैं, उस बिजली से हम अपने वाहनों में उपयोग होने वाले ईंधन से लेकर कागज पर हम जो लिखने के लिए उपयोग करते हैं, सब कुछ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्राकृतिक संसाधनों से प्राप्त होता है।

कमरे से बाहर जाने से पहले लाइट बंद करना, बिजली के उपकरणों को अनप्लग करना, जब वे उपयोग में न हों, कागज की छपाई से बचना और ई-कॉपियों का उपयोग जहां भी आप कर सकते हैं, कपड़े धोने के दौरान कपड़े धोने की मशीन को पूरी तरह से लोड करना और बाल्टी का उपयोग करना स्नान और कपड़े धोने के दौरान शॉवर या पाइप के बजाय प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में मदद कर सकते हैं।

हमारे लिए यह महसूस करना महत्वपूर्ण है कि प्राकृतिक संसाधन सीमित हैं। हमें योजनाबद्ध तरीके से इनका उपयोग करना चाहिए ताकि ये बर्बाद न हों। यह हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए उनका संरक्षण करने में मदद करेगा। प्रत्येक व्यक्ति को यह जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि वह प्राकृतिक संसाधनों का सावधानीपूर्वक उपयोग करे और उनका संरक्षण करने में योगदान दे।

[ratemypost]

इस लेख से सम्बंधित अपने सवाल और सुझाव आप नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

Related Post

Paper leak: लाचार व्यवस्था, हताश युवा… पर्चा लीक का ‘अमृत काल’, केंद्र ने पीएचडी और पोस्ट-डॉक्टोरल फ़ेलोशिप के लिए वन-स्टॉप पोर्टल किया लॉन्च, एडसिल विद्यांजलि छात्रवृत्ति कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ, 70 छात्रों को मिलेगी 5 करोड़ की छात्रवृत्ति, leave a reply cancel reply.

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

जर्मनी अफ्रीका में महामारी को रोकने के लिए 100,000 एमपॉक्स वैक्सीन खुराक दान करेगा

Landslide in kerala: वायनाड भूस्खलन- प्राकृतिक हादसा या मानव जनित, paris olympic 2024: “जलवायु आपातकाल” के बीच ऐतिहासिक आयोजन, 25 जुलाई को मनाया जायेगा संविधान हत्या दिवस – अमित शाह.

HindiSarkariResult

Environment Conservation Hindi (पर्यावरण संरक्षण)

October 20, 2018 HindiSarkariResultDesk General Knowledge 0

http://www.hindisarkariresult.com/environment-conservation-hindi/

Environment Conservation Hindi / पर्यावरण संरक्षण / What is Environment Conservation in Hindi / Importance of Environment Conservation

जैसा कि हम सब जानते हैं कि प्राकृतिक संसाधन के अंतर्गत आने वाले संसाधन वन, जल, खनिज एवं ऊर्जा किसी भी राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं। इन संपदाओं के अधिशोषण ने प्राकृतिक संसाधनों को क्षीण कर दिया है तथा कई समस्याओं को जन्म दिया है, जिससे इनके संरक्षण एवं संवर्द्धन की आवश्यकता बढ़ गई है। 

पर्यावरण क्या है? What is environment in Hindi? ( Environment meaning in Hindi)

पर्यावरण शब्द दो शब्दों के संयोग से बना है: परि+आवरण। ‘परि’ का आशय चारो ओर तथा ‘आवरण’ का आशय परिवेश है।

दूसरे शब्दों में कहें तो पर्यावरण वनस्पतियों, प्राणियों, और मानव जाति सहित सभी सजीवों और उनके साथ संबंधित भौतिक परिसर का समुच्चय है जिसे पर्यावरण कहतें हैं. पर्यावरण में वायु, जल, भूमि, पेड़-पौधे, जीव-जन्तु, मानव और उसकी विविध गतिविधियों के परिणाम आदि सभी का समावेश होता हैं।

पर्यावरण संरक्षण क्या है? What is Environment Conservation? ( Environment Conservation in Hindi)

विज्ञान के क्षेत्र में असीमित प्रगति तथा नये आविष्कारों की स्पर्धा के कारण आज का मानव प्रकृति पर पूर्णतया विजय प्राप्त करना चाहता है। इस कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है। वैज्ञानिक उपलब्धियों से मानव प्राकृतिक संतुलन को उपेक्षा की दृष्टि से देख रहा है। दूसरी ओर धरती पर जनसंख्या की निरंतर वृद्धि , औद्योगीकरण एवं शहरीकरण की तीव्र गति से जहाँ प्रकृति के हरे भरे क्षेत्रों को समाप्त किया जा रहा है

पर्यावरण संरक्षण का अर्थ

पर्यावरण संरक्षण अर्थ है पर्यावरण को किसी भी तरह के दुष्प्रभाव से बचाना. पर्यावरण के किसी भी एक अंग की क्षति पर्यावरण संतुलन पर अपना प्रभाव डालती है। प्रकृति में रहने वाले छोटे-छोटे जीव जन्तु भी सुरम्य पर्यावरण का सन्तुलन बनाने रखने में अपना योगदान देते हैं। अत: मानव समाज के लिए आवश्यक हो जाता है कि वह पर्यावरण संतुलन के प्रति अपनी जागरूकता रखे और उसको बचाने का भरसक प्रयास करे. Environment Conservation Hindi

पर्यावरण में संतुलन लाने के लिए, उसको संरक्षित करने के लिए हमें अपने घर, समाज व आसपास के वातावरण समन्वयता और सरसता लाना आवश्यक है. हमें ऐसे कार्यकलाप रोकने होगें, जिससे पर्यावरण ह्रास स्पष्ट दिखाई पड़ता हैं- जैसे वनों की कटाई, वायु प्रदूषण, जल स्रोतों में गिरता औद्योगिक और सामाजिक कचरा, कुछ निजी शौकों कके लिए वन्य जीवों का शिकार, पर्वतों पर होते विस्फोट, युद्ध क्षेत्र में प्रयुक्त होने वाले रसायनिक प्रकार के अनेक घातक अस्त्र आदि।

पर्यावरण संरक्षण का महत्त्व (Importance of environment conservation)

इस धरती पर रहने वाले समस्त प्राणियों के जीवन तथा समस्त प्राकृतिक परिवेश से पर्यावरण संरक्षण का घनिष्ठ सम्बन्ध है। हम सबको पता है कि प्रदूषण के कारण सारी पृथ्वी दूषित हो रही है और इसी कारण निकट भविष्य में मानव सभ्यता का अंत दिखाई दे रहा है।

इस स्थिति को ध्यान में रखकर सन 1992 में ब्राजील में विश्व के 174 देशों का ‘पृथ्वी सम्मेलन’ आयोजित किया गया था। इसके पश्चात सन 2002 में दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन हुआ और विश्व के सभी देशों को पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देने के लिए अनेक उपाय सुझाए गये। आज सभी को यह जानने की आवश्यकता है कि पर्यावरण के संरक्षण से ही धरती पर जीवन का संरक्षण हो सकता है.

पर्यावरण संरक्षण के प्रकार

पर्यावरण संरक्षण के निम्लिखित मुख्य प्रकार हैं: 

1. जल संरक्षण ( Water Conservation)

  •  भूमिगत जल का विवेकपूर्ण उपयोग कर जल संरक्षण किया जा सकता है।
  •  वर्षा जल को एकत्रित करके भी भूमिगत जल का संरक्षण किया जा सकता है।
  •  वनस्पति विनाश पर नियंत्रण कर जल संरक्षण को उपयोगी बनाया जा सकता है।
  •  प्राकृतिक वनस्पति जलीय चक्र को संपादित करने में सहायक होती है।
  •  पुनर्चक्रण द्वारा घरेलू जल की बर्बादी को कम किया जा सकता है।
  •  शुष्क एवं अर्द्धशुष्क प्रदेशों में जल की आपूर्ति का महत्वपूर्ण स्रोत भूमिगत जल होता है, जिसका संरक्षण आवश्यक है।
  •  अपशिष्ट जल का शोधन कर उसे पुनः उपयोगी बनाकर जल की कमी को पूरा किया जा सकता है।
  • Environment Conservation Hindi

2. मृदा संरक्षण ( Soil Conservation)

  •  मृदा पृथ्वी की ऊपरी परत को कहते हैं, जिसका निर्माण जलवायु ,जीव तथा भौतिक कारकों की पारस्परिक क्रियाओं के परिणाम स्वरुप होता है।
  •  दीर्घकालीन क्रियाओं के फलस्वरूप मृदा की परतें बनती है।
  •  यांत्रिक विधियों तथा शस्य कृषि अपनाकर मृदा का संरक्षण किया जा सकता है।

3. वन संरक्षण ( Forest Conservation)

  •  वनों की कटाई नियोजित एवं विवेकपूर्ण ढंग से तथा वृक्षों का पुनःरोपण कर वन संरक्षण को बढ़ावा दिया जा सकता है।
  •  वन्य संसाधनों का दोहन धारणीय तथा पोषणीय सीमा तक कर वन संरक्षण का विकास किया जा सकता है।
  •  पर्यावरण संबंधी विश्वव्यापी कानून द्वारा भी वनों के संरक्षण पर ध्यान दिया जा सकता है।

इसे भी पढ़ें: पर्यावरण से सम्बंधित संस्थाएं, आन्दोलन और पुरस्कार 

4. वन्यजीव संरक्षण ( wild life conservation).

  •  वन्यजीवों तथा पक्षियों के महत्व को देखते हुए सर्वप्रथम 1887 ई. में वन्य पक्षियों के सुरक्षा कानून को पास किया गया।
  •  इसके बाद 1883 ई. में स्थापित ‘ बम्बई नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी ‘ के प्रयास से ‘इंडियन बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ’ की स्थापना की गई।
  •  1935 ई. में ‘ अखिल भारतीय वन्य जीव सुरक्षा सभा’ को स्थापित कर वन्य जीवों की सुरक्षा की विशेष नीति अपनाई गई ।
  •  सर्वप्रथम 1952 ई. में ‘ भारतीय वन्य जीव परिषद ‘ की स्थापना में जीवों के अध्ययन के आधार पर 13 वन्य जीवों को दुर्लभ घोषित किया गया ।
  •  1972 ई. में  पारित ‘ वन्य जीव रक्षा अधिनियम ‘ द्वारा वन्य जीवों के शिकार एवं व्यापार पर भारत सरकार द्वारा कठोर प्रतिबंध लगाया गया है।

5. जैव-विविधता संरक्षण ( Diversity Conservation)

  • जैव-विविधता से आशय किसी भी क्षेत्र में, देश में, महाद्वीपों में अथवा विश्व स्तर पर पाए जाने वाले जीव धारियों (जीव और पौधे ) की जैविकीय रचना में विविधता से है।
  •  जैव-विविधता की दृष्टि से भारत विश्व के 10 सबसे बड़े समृद्ध राष्ट्रों में से एक है।
  •  जैव-विविधता अधिनियम, 2002 की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य जैव-विविधता बनाए रखने हेतु सुरक्षा और समन्वय को बढ़ावा देना है ।
  •  जैव-विविधता में तीव्रता से ह्रास के कारण विश्व स्तर पर सर्वप्रथम 1992 ई. में रियो-डी- जेनेरियो (ब्राजील) में सम्पन्न ‘पृथ्वी सम्मेलन’ में अगली पीढ़ियों के सुरक्षित भविष्य के लिए जैव-विविधता की सुरक्षा, संरक्षण एवं विकास पर बल दिया गया।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव

पर्यावरण प्रदूषण के कुछ दूरगामी दुष्प्रभाव होने वाले हैं जो अत्यंत घातक हैं, जैसे आणविक विस्फोटों से रेडियोधर्मिता का मानव और अन्य जीव जंतुओं पर आनुवांशिक प्रभाव, वायुमण्डल का तेजी से बढ़ता हुआ तापमान, ओजोन परत की हानि, भूक्षरण आदि ऐसे घातक दुष्प्रभाव हैं।

प्रत्यक्ष दुष्प्रभाव के रूप में जल, वायु तथा परिवेश का दूषित होना एवं वनस्पतियों का विनष्ट होना, मानव का अनेक नये रोगों से आक्रान्त होना आदि देखे जा रहे हैं। बड़े कारखानों से विषैला अपशिष्ट बाहर निकलने से तथा प्लास्टिक आदि के कचरे से प्रदूषण की मात्रा उत्तरोत्तर बढ़ रही है।

पर्यावरण संरक्षण की विधियां

जल पर्यावरण संरक्षण .

अपने पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए हमें सबसे पहले अपनी मुख्य जरूरत ‘जल’ को प्रदूषण से बचाना होगा। कारखानों का गंदा पानी, घरेलू गंदा पानी, नालियों में प्रवाहित मल, सीवर लाइन का गंदा निष्कासित पानी को समीपस्थ नदियों और समुद्र में गिरने से रोकना होगा। कारखानों के पानी में हानिकारक रासायनिक तत्व घुले रहते हैं जो नदियों के जल को विषाक्त कर देते हैं, परिणामस्वरूप जलचरों के जीवन को संकट का सामना करना पड़ता है। दूसरी ओर हम देखते हैं कि उसी प्रदूषित पानी को किसान सिंचाई के काम में लेते हैं जिसमें उपजाऊ भूमि भी विषैली हो जाती है। उसमें उगने वाली फसल व सब्जियां भी पौष्टिक तत्वों से रहित और विषैली हो जाती हैं जिनके सेवन से अवशिष्ट जीवननाशी रसायन मानव शरीर में पहुंच कर खून को विषैला बना देते हैं। कहने का तात्पर्य यही है कि यदि हम अपने कल को स्वस्थ देखना चाहते हैं तो आवश्यक है कि बच्चों को पर्यावरण सुरक्षा का समुचित ज्ञान समय-समय पर देते रहें। अच्छे व मंहगें ब्रांड के कपड़े पहनाने से कहीं महत्वपूर्ण है उनका स्वास्थ्य, जो हमारा भविष्य व उनकी पूंजी है।

वायु पर्यावरण संरक्षण 

आज वायु प्रदूषण ने भी हमारे पर्यावरण को बहुत हानि पहुंचाई है। जल प्रदूषण के साथ ही वायु प्रदूषण भी मानव के सम्मुख एक चुनौती है। माना कि आज मानव विकास के मार्ग पर अग्रसर है परंतु वहीं बड़े-बड़े कल-कारखानों की चिमनियों से लगातार उठने वाला धुआं, रेल व नाना प्रकार के डीजल व पेट्रोल से चलने वाले वाहनों के पाइपों से और इंजनों से निकलने वाली गैसें तथा धुआं, जलाने वाला हाइकोक, ए.सी., इन्वर्टर, जेनरेटर आदि से कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन, सल्फ्यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड प्रति क्षण वायुमंडल में घुलते रहते हैं। वस्तुतः वायु प्रदूषण सर्वव्यापक हो चुका है। सही मायनों में पर्यावरण पर हमारा भविष्य आधारित है, इसके लिए हमें वायु प्रदूषण से पर्यावरण को बचाना बहुत आवश्यक है.

ध्वनि पर्यावरण संरक्षण 

आज पर्यावरण के लिए ध्वनि प्रदूषण भी एक बहुत बड़ी समस्या के रूप में उभरा है. अब हाल यह है कि महानगरों में ही नहीं बल्कि गाँवों तक में लोग ध्वनि विस्तारकों का प्रयोग करने लगे हैं। बच्चे के जन्म की खुशी, जन्मदिन पार्टी, शादी-पार्टी सभी में डी.जे. एक आवश्यकता समझी जाने लगी है। जहां गाँवों को विकसित करके नगरों से जोड़ा गया है। वहीं मोटर साइकिल व वाहनों की चिल्ल-पों महानगरों के शोर को भी मुँह चिढ़ाती नजर आती है। औद्योगिक संस्थानों की मशीनों के कोलाहल ने भी ध्वनि प्रदूषण को बढ़ाया है। ध्वनि प्रदूषण से मानव की श्रवण-शक्ति का ह्रास होता है। ध्वनि प्रदूषण का मस्तिष्क पर भी घातक प्रभाव पड़ता है।

जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण ये तीनों ही हमारे व हमारे फूल जैसे बच्चों के स्वास्थ्य को चौपट कर रहे हैं। ऋतुचक्र का परिवर्तन, कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा का बढ़ता जाना हिमखंड को पिघला रहा है। सुनामी, बाढ़, सूखा, अतिवृष्टि या अनावृष्टि जैसे दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं, जिन्हें देखते हुए अपने बेहतर कल के लिए ‘5 जून’ को समस्त विश्व में ‘पर्यावरण दिवस’ के रूप में मनाया जा रहा है।

उपर्युक्त सभी प्रकार के प्रदूषण से बचने के लिए यदि थोड़ा सा भी उचित दिशा में प्रयास किया जाए तो बचा जा सकता है। और साथ ही साथ अपना पर्यावरण भी बचाया जा सकता है। इसके लिए सर्वप्रथम हमें जनसँख्या को नियंत्रित करना होगा तथा जंगलों व पहाड़ों की सुरक्षा पर ध्यान देना होगा। देखने में आता है कि पहाड़ों पर रहने वाले लोग कई बार घरेलू ईंधन के लिए जंगलों से लकड़ी काटकर इस्तेमाल करते हैं जिससे जंगलों का पूरा पारिस्थिक तंत्र खराब हो रहा है। कहने का तात्पर्य है जो छोटे-छोटे व बहुत कम आबादी वाले गांव हैं, जिनको पहाड़ों पर सड़क, बिजली-पानी जैसे सुविधाएं मुहैया कराने से बेहतर है कि उन्हें प्लेन में विस्थापित किया जाए इससे पहाड़ व जंगल कटान कम होगा, साथ ही पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।

  • Ecomark policy of India
  • Forest conservation
  • Paryavaran sanrakshan
  • paryavaran sanrakshan ke upay
  • Soil conservation
  • Water conservation
  • Wild life conservation

Copyright © 2024 | WordPress Theme by MH Themes

HindiKiDuniyacom

वन्यजीव संरक्षण पर निबंध (Wildlife ConservationEssay in Hindi)

“वन्यजीव संरक्षण” यह शब्द हमें उन संसाधनों को बचाने की याद दिलाता है जो हमें प्रकृति द्वारा उपहार के रूप में प्रदान किए गए हैं। वन्यजीव उन जानवरों का प्रतिनिधित्व करता है जो पालतू या समझदार नहीं हैं। वे सिर्फ जंगली जानवर हैं और पूरी तरह से जंगल के माहौल में रहते हैं। ऐसे जानवरों और पौधों की प्रजातियों का संरक्षण जरूरी है ताकि वे विलुप्त होने के खतरे से बाहर हो सकें, और इस पूरी क्रिया को ही वन्यजीव संरक्षण कहा जाता है। इस विषय पर हम आपके लिए अलग-अलग शब्द संख्या में कुछ निबंध लेकर आये हैं ताकि आपका दृष्टिकोण पूर्ण रूप से स्पष्ट हो सके।

वन्यजीव संरक्षण पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essays on Wildlife Conservation in Hindi, Vanyajiv Sanrakshan par Nibandh Hindi mein)

वन्यजीव संरक्षण पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

उपयुक्त तरीकों को लागू करने से विलुप्त होने या लुप्त होने से वन्यजीवों की प्रजातियों की सुरक्षा की जा सकती है और इसे ही वन्यजीव संरक्षण कहा जाता है। जंगली जानवर और पौधे उस पारिस्थितिकी तंत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जहाँ वे रहते हैं। वन्यजीव प्राणी और पौधे हमारी प्रकृति में सुंदरता को जोड़ते हैं। उनकी विशिष्टता, कुछ पक्षियों और जानवरों की सुंदर आवाज, वातावरण और निवास स्थान को बहुत ही मनभावन और अद्भुत बनाती है।

वन्यजीव संरक्षण की आवश्यकता

पेड़ों और जंगलों की भारी कटाई से वन्यजीवों के आवास नष्ट हो रहे हैं। मानव के विचारहीन कर्म वन्यजीव प्रजातियों के बड़े पैमाने पर विलुप्त होने के लिए जिम्मेदार हैं। शिकार करना या अवैध रूप से शिकार का कार्य भी एक दंडनीय अपराध है, किसी भी वन्यजीव की प्रजाति को अपने आनंद के उद्देश्य से नहीं मारा जाना चाहिए।

वन्यजीव संरक्षण के उपाय

जंगली जानवर और पौधे पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनके महत्व को नकारा नहीं जा सकता। ऐसे कई कारक हैं जो वन्यजीव प्राणियों के लिए खतरा हैं। बढ़ता प्रदूषण, तापमान और जलवायु परिवर्तन, संसाधनों का अत्यधिक दोहन, अनियमित शिकार या अवैध शिकार, निवास स्थान की हानि, आदि वन्यजीवों की समाप्ति के प्रमुख कारण हैं। वन्यजीवों के संरक्षण की दिशा में सरकार द्वारा कई कार्य और नीतियां तैयार और संशोधित की गईं हैं।

यह मनुष्य की एकमात्र और सामाजिक जिम्मेदारी है,  व्यक्तिगत आधार पर, हर किसी को चाहिए कि हम अपने अक्षय संसाधनों के संरक्षण के लिए प्रयास करें। वे बहुमूल्य हैं और इनका बुद्धिमानी से उपयोग किया जाना चाहिए।

निबंध 2 (400 शब्द) – वन्यजीवों के घटने का कारण

जंगली पौधों और जानवरों की प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाने के लिए की गयी कार्रवाई को वन्यजीव संरक्षण कहा जाता है। मानव द्वारा विभिन्न योजनाओं और नीतियों को अमल में लाकर इसे हासिल किया जाता है। वन्यजीव हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण कारक है, उनके अस्तित्व के बिना, पारिस्थितिक संतुलन एक असंतुलित स्थिति में बदल जाएगी। जिस तरह से इस धरती पर मौजूद हर एक प्राणी को अपने अस्तित्व का अधिकार है और इसलिए उन्हें एक उचित निवास स्थान और उनकी शर्तों का अधिकार मिलना चाहिए।

लेकिन वर्तमान में हो रही परिस्थितियां पूरी तरह से अलग हैं। मनुष्य अपनी इच्छाओं को लेकर इतना अधिक स्वार्थी हो गया है कि वो यह भूल गया कि अन्य जीवों को भी यही अधिकार प्राप्त है। विभिन्न अवैध प्रथाओं, उन्नति, आवश्यकताओं ने एक ऐसी स्थिति का निर्माण किया है जो काफी चिंताजनक है।

वन्यजीवों की कमी के कारण

वन्यजीवों के विनाश के लिए कई कारक हैं जिनमे से कुछ को हमने यहाँ सूचीबद्ध किया है:

  • निवास स्थान की हानि – कई निर्माण परियोजनाओं, सड़कों, बांधों, आदि को बनाने के लिए जंगलों और कृषि भूमि की अनावश्यक तरह से कटाई विभिन्न वन्यजीवों और पौधों के निवास स्थान की हानि के लिए जिम्मेदार है। ये गतिविधियाँ जानवरों को उनके घर से वंचित करती हैं। परिणामस्वरूप या तो उन्हें किसी अन्य निवास स्थान पर जाना पड़ता है या फिर वे विलुप्त हो जाते है।
  • संसाधनों का अत्यधिक दोहन – संसाधनों का उपयोग बुद्धिमानी से करना होता है, लेकिन यदि इसका अप्राकृतिक तरीके से उपयोग किया जाता है, तो उसका अत्यधिक इस्तेमाल होता है। जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल तमाम तरह की प्रजातियों के विलुप्त होने को बढ़ावा देगा।
  • शिकार और अवैध शिकार – मनोरंजन के लिए जानवरों का शिकार करना या उनका अवैध तरह से शिकार का कार्य वास्तव में घिनौना है क्योंकि ऐसा करने का मतलब है अपने मनोरंजन और कुछ उत्पाद प्राप्त करने के आनंद के लिए जानवरों को फंसाना और उनकी हत्या करना। जानवरों के कुछ उत्पाद बेहद मूल्यवान हैं, उदाहरण के लिए, हाथी दांत, त्वचा, सींग, आदि। जानवरों को बंदी बनाने या उनका शिकार करने और उन्हें मारने के बाद उत्पाद हासिल किया जाता है। यह बड़े पैमाने पर वन्यजीवों के विलुप्त होने के लिए अग्रणी है, जिसका एक उदाहरण कस्तूरी हिरण है।
  • रिसर्च पेर्पस के लिए जानवरों का उपयोग करना – अनुसंधान संस्थानों की प्रयोगशाला में परीक्षण परिणामों के लिए कई जानवरों का चुनाव किया जाता है। इन प्रजातियों को बड़े पैमाने पर अनुसंधान के लिए इस्तेमाल में लाया जाना भी इनके विलुप्त होने के लिए जिम्मेदार है।
  • प्रदूषण – पर्यावरण की स्थिति में अनावश्यक बदलाव जिसको परिणामस्वरूप हम प्रदूषित कह सकते है। और ऐसा ही वायु, जल, मृदा प्रदूषण के साथ भी है। लेकिन हवा, पानी, मिट्टी की गुणवत्ता में परिवर्तन की वजह से पशु और पौधों की प्रजातियों की संख्या में कमी होना काफी हद तक जिम्मेदार है।

दूषित जल से समुद्री जैव विविधता भी काफी प्रभावित होती है; पानी में मौजूद रसायन समुद्री जलचरों की कार्यात्मक गतिविधियों को बिगाड़ते हैं। मूंगा-चट्टान तापमान परिवर्तन और दूषितकरण से काफी ज्यादा प्रभावित होती है।

वन्यजीवों के संरक्षण के लिए एक सकारात्मक दृष्टिकोण होना चाहिए। सरकार द्वारा पहले से ही संरक्षण उद्देश्यों के लिए काम कर रही कई नीतियां, योजनाएं और पहल जारी हैं। जंगली जानवरों और पौधों को अपने स्वयं के आवास के भीतर संरक्षित करना आसान है उन्हें अनुवान्सिक तौर पर संरक्षण उपाय करने के बाद संरक्षित किया जाना चाहिए। वे जानवर और पौधे जो अपने स्वयं के निवास स्थान में सुरक्षित नहीं रह पा रहे हैं या विलुप्त हो रहे क्षेत्रों का सामना कर रहे हैं, उन्हें प्रयोगशालाओं के भीतर या पूर्व-भरण-पोषण उपायों के बाद कुछ भण्डारों में संरक्षित किया जाना चाहिए।

निबंध 3 (600 शब्द) – वन्यजीव संरक्षण: कारक, प्रकार, महत्व और परियोजनाएं

वन्यजीव संरक्षण, विलुप्त होने के खतरे का सामना कर रहे वन्यजीवों के संरक्षण और प्रबंधन की एक प्रक्रिया है। वन्यजीव हमारी पारिस्थितिकी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। वे जानवर या पौधे ही हैं जो हमारे पारिस्थितिकी तंत्र की सहायक प्रणाली हैं। वे जंगल वाले माहौल में या तो जंगलों में या फिर वनों में रहते हैं। वे हमारे पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में मदद कर रहे हैं। अमानवीय क्रियायें वन्यजीव प्राणियों के लुप्त या विलुप्त होने में सबसे बड़ी भूमिका निभा रही हैं। भारत जैव विविधता में समृद्ध है, लेकिन इसके नुकसान के लिए भी कई कारक हैं।

वन्यजीवों के विनाश के लिए अग्रणी कारक

  • संसाधनों का अत्यधिक इस्तेमाल
  • प्राकृतिक निवास का नुकसान
  • निवास स्थान को टुकड़ों में बंटाना
  • शिकार और अवैध शिकार
  • जलवायु परिवर्तन

वन्यजीव संरक्षण के प्रकार

  • इन-सीटू संरक्षण – इस प्रकार के संरक्षण में, पौधों और जानवरों की प्रजातियां और उनके आनुवंशिक सामग्री को उनके निवास स्थान के भीतर ही सुरक्षित या संरक्षित किया जाता है। इस प्रकार के क्षेत्रों को संरक्षित क्षेत्र कहा जाता है। वे राष्ट्रीय उद्यान, अभयारण्य, जीवमंडल भंडार, आदि होते हैं।
  • एक्स-सीटू संरक्षण – संरक्षण की इस तकनीक में पौधों और जानवरों की प्रजातियों को सुरक्षित या संरक्षण करने के साथ-साथ उनके आवास के बाहर की आनुवंशिक सामग्री भी शामिल है। यह जीन बैंकों, क्रायोप्रेज़र्वेशन, टिशू कल्चर, कैप्टिव ब्रीडिंग और वनस्पति उद्यान के रूप में किया जाता है।

वन्यजीव संरक्षण का महत्व

  • पारिस्थितिकी संतुलन
  • सौंदर्य और मनोरंजन मूल्य
  • जैव विविधता को बनाए रखने के लिए बढ़ावा देना

भारत में वन्यजीव संरक्षण के प्रयास

  • प्रोजेक्ट टाइगर : यह परियोजना 1973 में भारत सरकार द्वारा बाघों की घटती जनसंख्या के संरक्षण और प्रबंधन के लिए एक पहल के साथ शुरू की गई थी। बंगाल के बाघ बढ़ती मानव गतिविधियों और प्रगति के परिणामस्वरूप अपनी संख्या और आवासों में काफी तेजी से कम होते जा रहे थे। इसलिए उनके निवास स्थान और उनकी संख्या को बचाने के लिए एक परियोजना की पहल की गई। परियोजना को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा प्रशासित किया गया था।

परियोजना का मुख्य उद्देश्य बाघों के आवास को विनाश से बचाना था। साथ ही साथ दूसरे, बाघों की संख्या में वृद्धि सुनिश्चित करना।

हमारे रॉयल बंगाल टाइगर्स को बचाने के लिए परियोजना में सकारात्मक दृष्टिकोण था, क्योंकि इस प्रयास के बाद उनकी संख्या 1000-5000 के लगभग बढ़ गई थी। प्रारंभिक स्तर पर, 9 संरक्षित क्षेत्र थे जो 2015 तक बढ़कर 50 हो गए। यह वास्तव में राष्ट्रीय पशु बाघ के संरक्षण की दिशा में एक सफल प्रयास था।

  • प्रोजेक्ट एलीफेंट : सड़क, रेलवे, रिसॉर्ट, इमारत, आदि के निर्माण जैसी विकास संबंधी गतिविधियां कई जंगलों और चराई के स्थानों को साफ करने के लिए जिम्मेदार हैं, जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न जंगली जानवरों के निवास स्थान का विनाश होता है। हाथियों के साथ भी कुछ ऐसा ही देखा गया। भारत सरकार द्वारा वर्ष 1992 में हाथियों की संख्या को संरक्षित करने, उनके आवास के रखरखाव, मानव-पशु संघर्ष को कम करने के साथ-साथ शिकार और अवैध शिकार को कम करने के लिए हाथी परियोजना का शुभारंभ किया गया था।

यह परियोजना केंद्रीय स्तर पर शुरू की गई थी, लेकिन इसकी पहल राज्यों द्वारा की गई थी, इस परियोजना के तहत विभिन्न राज्यों को आवश्यकताओं के अनुसार धन भी प्रदान किया गया था। 16 राज्य मुख्य रूप से इस अधिनियम को लागू कर रहे थे।

  • मगरमच्छ संरक्षण परियोजना : यह परियोजना साल 1975 में राज्य स्तरों पर शुरू की गई थी। इस परियोजना का उद्देश्य मगरमच्छों के आवास के होते विनाश को रोकना था और इस प्रकार उनकी संख्या को बढ़ाने में मदद करना था। मगरमच्छों के शिकार और हत्या पर नजर रखी जानी चाहिए। इस पहल के परिणामस्वरूप, वर्ष 2012 तक उनकी संख्या को 100 से बढ़ाकर 1000 कर दिया गया।
  • यूएनडीपी सागर कछुआ संरक्षण परियोजना : यूएनडीपी द्वारा शुरू की गई इस परियोजना का उद्देश्य कछुओं की आबादी की घटती संख्या का उचित प्रबंधन और संरक्षण करना था।

जनसंख्या विस्फोट और शहरीकरण के ही परिणाम हैं कि वनों को काटकर इसे इमारतों, होटलों, या मानव बस्तियों में बदलने की गतिविधियों में वृद्धि हुई है। इसके परिणामस्वरूप जंगल में रहने वाले विभिन्न प्रजातियों के निवास स्थान में कमी आई है। उन्हें उन स्थानों को छोड़ना पड़ता था और नए आवास की तलाश करनी होती थी जो कि आसान नहीं होता है। नए निवास स्थान की खोज, भोजन के लिए बहुत सारी प्रतियोगिता, कई प्रजातियों को लुप्त होने की कगार पर ले जाती है।

वन्यजीव जानवर और पौधे प्रकृति के महत्वपूर्ण पहलू हैं। किसी भी स्तर पर नुकसान होने पर इसके अप्राकृतिक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। वे पारिस्थितिक संतुलन के लिए जिम्मेदार हैं और मानव जाति के निर्वाह के लिए, यह संतुलन बनाए रखना चाहिए। इसलिए सरकार द्वारा संरक्षण प्रयासों के साथ, यह हमारी सामाजिक जिम्मेदारी भी है, कि हम व्यक्तिगत रूप से वन्यजीवों के संरक्षण में अपना योगदान करें।

संबंधित पोस्ट

मेरी रुचि

मेरी रुचि पर निबंध (My Hobby Essay in Hindi)

धन

धन पर निबंध (Money Essay in Hindi)

समाचार पत्र

समाचार पत्र पर निबंध (Newspaper Essay in Hindi)

मेरा स्कूल

मेरा स्कूल पर निबंध (My School Essay in Hindi)

शिक्षा का महत्व

शिक्षा का महत्व पर निबंध (Importance of Education Essay in Hindi)

बाघ

बाघ पर निबंध (Tiger Essay in Hindi)

Leave a comment.

Your email address will not be published. Required fields are marked *

IMAGES

  1. 10 lines on save environment in hindi easy words

    essay writing on environmental conservation in hindi

  2. hindi essay on conservation of environment

    essay writing on environmental conservation in hindi

  3. पर्यावरण पर निबंध । Essay on Environment in Hindi । Paryavaran par nibandh Hindi mein

    essay writing on environmental conservation in hindi

  4. world-environment-day-essay-in-hindi

    essay writing on environmental conservation in hindi

  5. पर्यावरण बचाओ पर निबंध

    essay writing on environmental conservation in hindi

  6. Essay on Save Water in Hindi

    essay writing on environmental conservation in hindi

COMMENTS

  1. पर्यावरण संरक्षण पर निबंध

    Here We Share With You Environment Conservation Essay in Hindi For School Students & Kids In Pdf Format Let Read And Enjoy:-Short Essay On Environment Conservation Essay in Hindi In 300 Words. भारत में पर्यावरण के प्रति वैदिक काल से ही जागरूकता रही है ...

  2. पर्यावरण बचाओ पर निबंध (Save Environment Essay in Hindi)

    पर्यावरण बचाओ पर निबंध (Save Environment Essay in Hindi) By अर्चना सिंह / June 3, 2023. पर्यावरण का संबंध उन जीवित और गैर जीवित चीजो से है, जो कि हमारे आस-पास मौजूद ...

  3. प्रकृति संरक्षण पर निबंध (Conservation of Nature Essay in Hindi)

    प्रकृति संरक्षण पर निबंध (Conservation of Nature Essay in Hindi) By अर्चना सिंह / July 21, 2023. प्रकृति का संरक्षण प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से सबंधित है। इनमें ...

  4. Essay on conservation of nature in hindi: प्रकृति संरक्षण पर निबंध, लेख

    प्रकृति संरक्षण पर निबंध, Essay on conservation of nature in hindi (600 शब्द) प्रकृति का संरक्षण मूल रूप से उन सभी संसाधनों का संरक्षण है जो प्रकृति ने मानव जाति ...

  5. पर्यावरण पर निबंध (Environment Essay in Hindi)

    पर्यावरण पर निबंध (300 - 400 शब्द) - Environment par Nibandh. प्रस्तावना. धरती पर हम जिस परिवेश में रहते हों उसे पर्यावरण कहते हैं जो हमारे जीवन का अनिवार्य हिस्सा है और हमें ...

  6. पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000W)

    प्रस्तावना (पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi) प्रकृति ने हमें एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण सौंपा था। किंतु मनुष्य ने अपने लालची पन और ...

  7. पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (300, 500 और 600 शब्दों में)

    पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (300, 500 और 600 शब्दों में) August 17, 2023 by Anshika Johari. 3.7/5 - (9 votes) दोस्तों, हम अपने पर्यावरण के विषय में तो जानते ही हैं, कि पर्यावरण ...

  8. पर्यावरण पर निबंध

    पर्यावरण पर निबंध 10 पंक्तियाँ (Essay On Environment 10 Lines in Hindi) हमारे चारों ओर जो कुछ भी है, उसे पर्यावरण कहा जाता है।. पर्यावरण को स्वच्छ और हरा-भरा ...

  9. पर्यावरण पर निबंध

    Essay on Environment in Hindi. पर्यावरण, पर हमारा जीवन पूरी तरह निर्भर है, क्योंकि एक स्वच्छ वातावारण से ही स्वस्थ समाज का निर्माण होता है। पर्यावरण, जीवन जीने के लिए ...

  10. Essay on Environmental Conservation in Hindi

    Here is an essay on 'Environmental Conservation' in Hindi language! Essay # 1. पर्यावरण संरक्षण का अर्थ: पर्यावरण में संतुलन, घर, समाज व आसपास के समन्वय और सरसता लाया जाना आवश्यक ...

  11. Essay on environment in hindi, article, paragraph: पर्यावरण पर निबंध, लेख

    पर्यावरण पर निबंध, long essay on environment in hindi (400 शब्द) पृथ्वी पर जीवन को संभव बनाने वाली सभी प्राकृतिक चीजों में जल, वायु, सूर्य का प्रकाश, भूमि ...

  12. पर्यावरण संरक्षण पर निबंध PDF

    February 14, 2023 by primegk. पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Essay on Environmental Conservation in Hindi) सभी प्राकार के परीक्षाओं लिए एक महत्वपूर्ण एवं कॉमन टॉपिक है। पर्यावरण ...

  13. Save Environment Essay in Hindi पर्यावरण संरक्षण पर निबंध

    Short Save Environment Essay in Hindi 250 Words. पर्यावरण वह है जो प्राकृतिक रूप से हमारे चारों तरफ है। हम चारो और पर्यावरण से घिरे हुए है। हम पर्यावरण पर पूरी तरह निर्भर है। पृथ्वी ...

  14. पर्यावरण पर निबंध (Essay On Environment In Hindi)

    पर्यावरण पर निबंध 400-500 शब्दों में (Essay on Environment in 400-500 Words) पर्यावरण हमारे आसपास के सभी सजीव और निर्जीव घटक से मिलकर बना है। स्थलमंडल, जलमंडल ...

  15. पर्यावरण बचाओ पर निबंध

    पर्यावरण बचाओ पर छोटे तथा बड़े निबंध (Essay on Save Environment in Hindi) प्रदूषण-वृद्धि की समस्या अथवा पर्यावरण बचाओ अभियान - (Pollution problem - Save environment campaign) रूपरेखा-

  16. वन और वन्य जीवन संरक्षण Conservation of Forest and Wildlife in Hindi

    वन और वन्य जीवन संरक्षण पर निबंध Essay on Conservation of Forest and Wildlife in Hindi. इस शीर्षक का सीधा अर्थ है, वो सारे प्रयास जो वनो एवम वन्य जीवों को संरक्षित और ...

  17. पर्यावरण संरक्षण पर निबंध, नारे Save Environment Essay Slogans Hindi

    पर्यावरण संरक्षण पर निबंध Save Environment Essay in Hindi. हमारे आस-पास का वो आवास पर्यावरण है जिसमे हम रहते है। इस प्राकृतिक आवास में उपस्थित प्राकृतिक घटक जो मनुष्यों ...

  18. पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध (Environment Protection Essay in Hindi)

    पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध (Environment Protection Essay in Hindi) By मीनू पाण्डेय / January 22, 2020. पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाना ही पर्यावरण संरक्षण कहलाता है ...

  19. Essay on conservation of natural resources in hindi: प्राकृतिक संसाधनों

    प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, Essay on conservation of natural resources in hindi (200 शब्द) प्राकृतिक संसाधन विभिन्न प्रकार के होते हैं लेकिन इन्हें बड़े पैमाने पर ...

  20. Essay Environment in Hindi

    पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में PDF (पर्यावरण प्रदूषण / संरक्षण) Essay Environment in Hindi, पर्यावरण का जीवन में महत्व अथवा पर्यावरण संरक्षण हमारा दायित्य

  21. पयार्वरण संरक्षण पर निबंध

    Hello Everyone!!!Today we are going to learn and write पयार्वरण संरक्षण पर निबंध | Environmental Conservation Essay In Hindi |Other Videos:-Essay On ...

  22. Environment Conservation Hindi (पर्यावरण संरक्षण)

    Environment Conservation Hindi. 3. वन संरक्षण (Forest Conservation) वनों की कटाई नियोजित एवं विवेकपूर्ण ढंग से तथा वृक्षों का पुनःरोपण कर वन संरक्षण को बढ़ावा दिया जा ...

  23. वन्यजीव संरक्षण पर निबंध

    वन्यजीव संरक्षण पर निबंध (Wildlife ConservationEssay in Hindi) By Kumar Gourav / October 26, 2020. "वन्यजीव संरक्षण" यह शब्द हमें उन संसाधनों को बचाने की याद दिलाता है जो हमें ...