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गाँधी जयंती पर 10 लाइन निबंध। 10 Lines about Gandhi Jayanti in Hindi

mahatma gandhi essay in hindi

आज हम “ गाँधी जयंती पर 10 लाइन निबंध ” लेकर आपके समक्ष आये है इस आर्टिकल में आप “ 10 Lines about Gandhi Jayanti in Hindi ” में पढ़ेंगे।

Table of Contents

Mahatma Gandhi Essay in Hindi

महात्मा गाँधी जी ने देश को आजादी दिलाने लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया। महात्मा गाँधी जी के जन्म दिवस को gandhi jayanti के नाम से जाना जाता है। हर साल 2 अक्टूबर को गाँधी जयंती मनाई जाती है।

महात्मा गांधी, जिन्हें मोहनदास करमचंद गांधी के नाम से भी जाना जाता है, 20वीं शताब्दी के दौरान भारत में एक राजनीतिक नेता, वकील और आध्यात्मिक नेता थे। गाँधी जी ने अहिंसन आंदोलन के माध्यम से ब्रिटिश शासन से भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया था।

गांधी का जन्म 1869 में ब्रिटिश शासित भारत में हुआ था उन्होंने लंदन में एक वकील के रूप में शिक्षा प्राप्त की थी। वह 1915 में भारत लौट आए और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए, जिसने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन को समाप्त करने की मांग की। ब्रिटिश शासन का विरोध करने के लिए सविनय अवज्ञा, हड़ताल और अन्य अहिंसक आंदोलन रणनीति का उपयोग करते हुए, वह जल्दी से आंदोलन के एक बड़े नेता के रूप में उभरे।

गांधी राजनीतिक परिवर्तन प्राप्त करने के साधन के रूप में अहिंसा की शक्ति में विश्वास करते थे, और उनके अहिंसा के प्रति झुकाव का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर एक बड़ा प्रभाव था। उनका मानना ​​था कि अहिंसक प्रतिरोध स्वतंत्रता और न्याय प्राप्त करने का सबसे अच्छा तरीका है, और उन्होंने भारतीयों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध करने के लिए अहिंसा का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया।

उन्होंने 1930 में दांडी मार्च का नेतृत्व किया, जिसमें हजारों भारतीयों ने ब्रिटिश सरकारी द्वारा नमक पर कर लगाने का विरोध किया था। यह मार्च भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण मोड़ था और पूरे भारत में सविनय अवज्ञा के अन्य कार्यों को प्रेरित करने में मदद की।

1947 में, भारत ने ब्रिटिश शासन से अपनी स्वतंत्रता प्राप्त की, और गांधी उस वार्ता में एक प्रमुख व्यक्ति थे जिसने देश की स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया। हालांकि, उनका काम खत्म नहीं हुआ था। उन्होंने गरीबों और शोषितों के अधिकारों के लिए लड़ना जारी रखा और 1948 में उनकी हत्या कर दी गई, जिसका कारण भारत से पाकिस्तान का बटवारा करना था। भारत पाकिस्तान के बटवारे में लाखों हिन्दुओ की हत्या की गयी बहुत से औरतों के साथ दरिंदगी हुई इन्ही बातों से आहात होकर नाथू राम गोडसे द्वारा उन्ही हत्या कर दी गयी थी।

महात्मा गांधी की विरासत आज भी जीवित है। भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई में उनके काम और अहिंसा के उनके दर्शन के लिए उन्हें भारत और दुनिया भर में एक नायक के रूप में याद किया जाता है। उनकी शिक्षाएँ लोगों को शांति और न्याय के लिए काम करने के लिए प्रेरित करती हैं, और वे आधुनिक इतिहास के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक हैं।

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10 Lines about Gandhi Jayanti in Hindi

  • महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था।
  • गाँधी जी का जन्म स्थान गुजरात का पोरबंदर शहर है।
  • 2 अक्टूबर को भारत में पूर्ण अवकाश होता है।
  • गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता जी का नाम पुतली बाई था।
  • महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था।
  • गाँधी जी का विवाह 15 वर्ष की आयु में कस्तूरबा गाँधी जी से हुआ था।
  • गाँधी जी राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे।
  • गाँधी जी ने यूनिवर्सिटी ऑफ़ लंदन से क़ानून की पढ़ाई पूरी की थी।
  • महात्मा गाँधी जी गोपाल कृष्ण गोखले जी को अपना राजनितिक गुरु मानते थे।
  • गाँधी जी ने अंग्रेजो से भारत को आज़ादी दिलाने के लिए असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन जैसे आंदोलन चलाये।
  • गाँधी जी को बापू, महात्मा, राष्ट्रपिता आदि नामो से भी जाना जाता है।
  • 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे के गाँधी जी को गोली मार उनकी हत्या कर दी थी ।
  • महात्मा गाँधी जी की समाधी दिल्ली में स्थित है।
  • गाँधी जी की समाधि का नाम राजघाट है।

5 Lines about Gandhi Jayanti in Hindi

  • गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।
  • इनके पिता का नाम करमचंद गांधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था।
  • इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर जिले में हुआ था।
  • इनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा गांधी था। 
  • 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने इनकी गोली मारकर हत्या कर दी।

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FAQ about Gandhi Jayanti in Hindi

1. गांधी जी के राजनीतिक गुरु कौन थे?

उत्तर- गोपाल कृष्ण गोखले के प्रस्ताव पर गांधीजी ने स्वतंत्रता आंदोलन में अपना योगदान दिया। 

2. गांधी जी द्वारा किए गए प्रमुख आंदोलन कौन से थे?

उत्तर -गांधी जी द्वारा किए गए प्रमुख आंदोलन में चंपारण, सविनय,अवज्ञा,सहयोग और नमक आंदोलन महत्वपूर्ण थे।

3. महात्मा गांधी ने किस पार्टी की स्थापना की और कब?

उत्तर- महात्मा गांधी जी ने इंडियन नेशनल कांग्रेस पार्टी की स्थापना 28 दिसंबर 1885 को मुंबई में की। 

4. महात्मा गांधी जी की हत्या किसने की?

उत्तर- महात्मा गांधी जी की हत्या नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को की।

5. गांधी जी के प्रमुख आदर्श क्या थे?

उत्तर- गांधी जी के प्रमुख आदर्श सत्य और अहिंसा थे।

हमें आशा है आपको gandhi jayanti essay पसंद आया होगा आप चाहे तो इस निबंध को gandhi jayanti speech के रूप में भी प्रयोग कर सकते है।

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गाँधी जयंती निबंध (Gandhi Jayanti Essay in Hindi)

गाँधी जयंती

हर वर्ष 2 अक्टूबर को मनाया जाने वाला कार्यक्रम गाँधी जयंती, महात्मा गाँधी का जन्म दिवस भारत के महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यक्रमों में से एक है। गाँधी के व्यापक जीवन को समझने के लिये हम यहाँ पर सरल और आसान शब्दों में स्कूल जाने वाले विद्यार्थीयों और छोटे बच्चों के लिये विभिन्न शब्द सीमाओं तथा अलग-अलग कक्षा के बच्चों के लिये निबंध उपलब्ध करा रहे हैं। इसका प्रयोग विद्यार्थी किसी भी स्कूल प्रतियोगिता, निबंध लेखन या किसी भी अन्य अवसर के लिये कर सकते है।

गांधी जयंती पर 10 वाक्य

गाँधी जयंती पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Gandhi Jayanti in Hindi, Gandhi Jayanti par Nibandh Hindi mein)

यहाँ बहुत ही आसान भाषा में गाँधी जयंती पर हिंदी में निबंध पायें:

निबंध 1 (250 शब्द)

मोहनदास करमचन्द गाँधी के जन्म दिवस को चिन्हित करने के लिये 2 अक्टूबर को हर वर्ष पूरे भारत में मनाये जाने वाला राष्ट्रीय अवकाश है गाँधी जयंती। वह भारत के राष्ट्रपिता तथा बापू के रुप में प्रसिद्ध है।

ये उपाधि उन्हें आधिकारिक रुप से प्राप्त नहीं है क्योंकि किसी को भी राष्ट्र के पिता के रुप में स्थान देना भारत के संविधान में उल्लिखित नहीं है। 15 जून 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रुप में महात्मा गाँधी के जन्म दिवस को घोषित किया गया। गाँधी जयंती पूरे भारत में राष्ट्रीय अवकाश के रुप में जबकि पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रुप में को मनाया जाता है।

इस दिन पूरे देशभर में स्कूल और सरकारी कार्यालय बंद रहते हैं। इसे पूरे भारत के सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में मनाया जाता है। ये भारत (स्वत्रंता दिवस-15 अगस्त, गणतंत्र दिवस-26 जनवरी) के 3 में से एक राष्ट्रीय कार्यक्रम के रुप में मनाया जाता है। नई दिल्ली में गाँधी स्मारक (दाह संस्कार) पर राजघाट पर सरकारी अधिकारियों के द्वारा श्रद्धांजलि, प्रार्थना सेवा के रुप में जैसे कुछ महत्वपूर्णं गतिविधियों सहित इसे चिन्हित किया जाता है।

दूसरे क्रियाकलाप जैसे प्रार्थना, सभा, स्मरणीय समारोह, नाट्य मंचन, भाषण व्याख्यान (अहिंसा के विषय-वस्तु पर, शांति की स्तुति करना तथा भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में गाँधी के प्रयासों पर), निबंध लेखन, प्रश्न-उत्तर प्रतियोगिता, चित्रकला प्रतियोगिता, कविता पाठ आदि स्कूल, कॉलेज, स्थानीय सरकारी संस्थानों और सामाजिक-राजनीतिक संस्थानों में होते है। गाँधी जयंती के दिन किसी भी प्रतियोगिता में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थी को सबसे श्रेष्ठ ईनाम दिया जाता है। सामान्यत: इस दिन उत्सव मनाने के दौरान गाँधी का सबसे प्रिय भजन रघुपति राघव राजा राम गाया जाता है।

निबंध 2 (300 शब्द)

तीसरे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यक्रम के रुप में हर साल गाँधी जयंती को मनाया जाता है। महात्मा गाँधी जन्म दिवस पर को उनको श्रद्धांजलि देने के लिये पूरे देश के भारतीय लोगों द्वारा 2 अक्टूबर को इसे मनाया जाता है। गाँधी देश के राष्ट्रपिता तथा बापू के रुप में प्रसिद्ध है। वो एक देशभक्त नेता थे और अहिंसा के पथ पर चलते हुए पूरे देश का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में नेतृत्व किया। उनके अनुसार, ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता की लड़ाई जीतने के लिये अहिंसा और सच्चाई ही एकमात्र हथियार है। वह कई बार जेल भी गये हालाँकि देश को आजादी मिलने तक उन्होंने अपने अहिंसा आंदोलन को जारी रखा। वह हमेशा सामाजिक समानता में भरोसा रखते थे इसीलिये अस्पृश्यता के घोर खिलाफ थे।

सरकारी अधिकारियों द्वारा नई दिल्ली में गाँधीजी की समाधि या राजघाट पर बहुत तैयारियों के साथ गाँधी जयंती मनायी जाती है। राजघाट के समाधि स्थल को फूलों की माला तथा फूलों से सजाया जाता है तथा इस महान नेता को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। समाधि पर सुबह के समय धार्मिक प्रार्थना भी रखी जाती है। इसे पूरे देशभर में स्कूल और कॉलेजों में विद्यार्थीयों के द्वारा खासतौर से राष्ट्रीय उत्सव के रुप में मनाया जाता है।

महात्मा गाँधी के जीवन और उनके कार्यों पर आधारित नाट्य ड्रामा, कविता व्याख्यान, गायन, भाषण, निबंध लेखन तथा दूसरी प्रतियोगिता में भाग लेना जैसे प्रश्न-उत्तर प्रतियोगिता, कला प्रतियोगिता आदि के द्वारा विद्यार्थी इस उत्सव को मनाते है। उनकी याद में विद्यार्थीयों के द्वारा गाँधी का सबसे प्रिय गीत “रघुपति राघव राजा राम” भी गाया जाता है। इस दिन सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले छात्र को पुरस्कृत किया जाता है। वह बहुत सारे राजनीतिक नेताओं खासतौर से देश के युवाओं के लिये प्रेरणादायी और अनुकरणीय व्यक्ति है। दूसरे महान नेता जैसे मार्टिन लूथर किंग, नेल्सन मंडेला, जेम्स लॉसन आदि महात्मा गाँधी की अहिंसा और स्वतंत्रता की लड़ाई के लिये शांतिपूर्ण तरीकों से प्रेरित हुए।

निबंध 3 (400 शब्द)

गाँधी जयंती एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है जो राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि देने के लिये हर वर्ष मनाया जाता है। पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रुप में भी इसे मनाया जाता है। 15 जून 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रुप में गाँधी जयंती को घोषित किया गया है। मोहनदास करमचन्द गाँधी (2 अक्टूबर 1869 में जन्म) के जन्म दिवस को याद करने के लिये पूरे देश में गाँधी जयंती को राष्ट्रीय अवकाश के रुप में मनाया जाता है। उनके भारतीय स्वतंत्रता के लिये किये गये अहिंसा आंदोलन से आज भी देश के राजनीतिक नेताओं के साथ-साथ देशी तथा विदेशी युवा नेता भी प्रभावित होते है।

पूरे विश्व में बापू के दर्शन, अहिंसा में भरोसा, सिद्धांत आदि को फैलाने के लिये अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रुप में गाँधी जयंती को मनाने का लक्ष्य है। विश्वभर में लोगों की जागरुकता बढ़ाने के लिये उचित क्रियाकलापों पर आधारित विषय-वस्तु के द्वारा इसे मनाया जाता है। भारतीय स्वतंत्रता में उनके योगदानों और महात्मा गाँधी के यादगार जीवन को समाहित करता है गाँधी जयंती। इनका जन्म एक छोटे से तटीय शहर (पोरबंदर, गुजरात) में हुआ था, इन्होंने अपना पूरा जीवन देश के लिये समर्पित कर दिया जो आज के आधुनिक युग में भी लोगों को प्रभावित करता है।

इन्होंने स्वराज्य प्राप्ति, समाज से अस्पृश्यता को हटाने, दूसरी सामाजिक बुराईयों को मिटाने, किसानों के आर्थिक स्थिति को सुधारने में, महिला सशक्तिकरण आदि के लिये बहुत ही महान कार्य किये है। ब्रिटिश शासन से आजादी प्राप्ति में भारतीय लोगों की मदद के लिये इनके द्वारा 1920 में असहयोग आंदोलन, 1930 में दांडी मार्च या नमक सत्याग्रह और 1942 में भारत छोड़ो आदि आंदोलन चलाये गये। अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिये उनका भारत छोड़ो आंदोलन एक आदेश स्वरुप था। हर वर्ष पूरे देश में विद्यार्थी, शिक्षक, सरकारी अधिकारियों आदि के द्वारा गाँधी जयंती को बहुत ही नये तरीके से मनाया जाता है। सरकारी अधिकारियों के द्वारा नई दिल्ली के राजाघाट पर गाँधी प्रतिमा पर फूल चढ़ाकर, उनका पसंदीदा भक्ति गीत “रघुपति राघव राजा राम” गाकर तथा दूसरे रीति संबंधी क्रियाकलापों के साथ इसे मनाया जाता है।

यह हर साल स्कूल, कॉलेज, शिक्षण संस्थान, सरकारी तथा गैर-सरकारी संस्थाओं आदि में मनाया जाने वाला देश के 3 राष्ट्रीय अवकाशों(स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस बाकी के दो) में से एक है। भारत के इस महान नेता को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिये स्कूल, कॉलेज, सरकारी कार्यालय, बैंक आदि बंद रहते है। गाँधी जयंती मनाने के द्वारा हमलोग बापू और उनके महान कार्यों को याद करते हैं। विद्यार्थियों को महात्मा गाँधी के जीवन और उनके कार्यों से संबंधित बहुत सारे कार्य दिये जाते हैं जैसे कविता या भाषण पाठ, नाट्य मंचन करना, निबंध लेखन, नारा लेखन, समूह चर्चा आदि।

Gandhi Jayanti Essay

निबंध – 4 (600 शब्द)

सविनय अवज्ञा का अर्थ नागरिक कानूनो की अवज्ञा करना अर्थात उन्हें ना मानना होता है। सविनय अवज्ञा के तहत प्रदर्शनकारियों द्वारा अपनी मांगो के लिए अंहिसा पूर्वक आंदोलन किया जाता है। महात्मा गांधी ने भी शांति पूर्वक ब्रिटिश शासन के खिलाफ सविनय अवज्ञा करते हुए आंदोलन किया था। उन्होंने अंग्रेजी सरकार के कई कठोर अधिनियमों और कानूनो के खिलाफ सविनय अवज्ञा के कई आंदोलन किए। यह गांधी जी के अवज्ञा आंदोलन ही थे, जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत को भारतीय जनता के संयुक्त शक्ति का एहसास कराया और देश की आजादी का मार्ग प्रशस्त किया।

महात्मा गांधी का सविनय अवज्ञा आंदोलन

गाँधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन का उपयोग भारत से ब्रिटिश शासन को उखाड़ने के लिए किया। उनका मानना था कि अंग्रेज भारत में शासन करने में इसलिए सफल रहे, क्योंकि उन्हें भारतीयों का सहयोग मिला। गांधी जी के अनुसार अंग्रेजों को प्रशासन चलाने के अलावा अन्य कई आर्थिक और व्यापारिक कार्यों में भारतीयों के सहयोग की आवश्यकता थी। इसलिए गाँधी जी भारतीय नागरिकों से अंग्रेजी उत्पादों का पूर्ण तरीके से बहिष्कार करने की अपील की।

सामूहिक सविनय अवज्ञा आंदोलन का मुख्य कारण

साइमन कमीशन और रोलेट एक्ट जैसी ब्रिटिश सरकार की क्रूर नीतियों के कारण महात्मा गाँधी के पूर्ण स्वराज के सपने को एक गहरा धक्का लगा। इसके साथ ही अंग्रेजी सरकार भारत को डोमिनयन स्टेटस देने के भी पक्ष में नही थी। इन्हीं सब  बातो के विरोध को लेकर गांधी जी ने पहले ही अंग्रेजी सरकार को चेतावनी दे दी थी, कि यदि भारत को पूर्ण स्वतंत्रता नही मिली तो अंग्रेजी हुकूमत को सामूहिक नागरिक अवज्ञा का सामना करना पड़ेगा। इन्हीं सब राजनैतिक और समाजिक कारणों ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को जन्म दिया।

महात्मा गाँधी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आंदोलन का उदय

सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत 1919 में असहयोग आंदोलन के साथ जलियावाला बांग कांड के विरोध में हुई थी। नमक सत्याग्रह के बाद इसे काफी प्रसिद्धि मिली। महात्मा गाँधी द्वारा शुरु की गयी नमक सत्याग्रह या दांडी यात्रा को हम इसका आरंभ भी कह सकते हैं। नमक सत्याग्रह की यह यात्रा 26 दिन तक चली थी, यह यात्रा 12 मार्च 1930 से शुरु होकर 6 अप्रैल 1930 को दांडी के एक तटीय गाँव में समाप्त हुई थी।

देखते ही देखते इसने एक बड़े अवज्ञा आंदोलन का रुप ले लिया और लोगो ने अंग्रेजी सरकार द्वारा बनाये हुए कानून को चुनौती देने के लिए भारी मात्रा में खुद से नमक बनाना शुरु कर दिया। हांलाकि इस आंदोलन के फलस्वरुप काफी ज्यादे संख्या में लोगो के गिरफ्तारियां की गई, फिर भी इस अंग्रेजी हुकूमत इस आंदोलन को रोकने में असमर्थ रही।

इस आंदोलन के कारण लोगो ने अंग्रेजी वस्तुओं का विरोध शुरु कर दिया और स्वदेशी उत्पादों के उपयोग को अधिक महत्व देने लगे। इसके साथ ही पूरे देश भर में लोगो ने अंग्रेजी वस्त्रों को जलाना शुरु कर दिया तथा किसानों ने अंग्रेजी सरकार को कर चुकाने से भी मना कर दिया। इन सब कार्यों ने अंग्रेजी हुकूमत को झकझोर के रख दिया।

इसके साथ ही गांधी जी के आदेश पर अपने विरोध की आवाज और बुलंद करने के लिए लोगो ने अंग्रेजी प्रशासन के महत्वपूर्ण ओहदों से इस्तीफा देना शुरु कर दिया। जिससे की शिक्षकों, सैनिकों और महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदो पर कार्यरत लोगो ने देश भर हो रहे, इस आंदोलन को समर्थन देने के लिए अपने पदो से इस्तीफा दे दिया। औरतो ने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया, ऐसा पहली बार देखने को मिला जब महिलाओं ने इतनी बड़ी संख्या में किसी आंदोलन में हिस्सा लिया हो।

सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रभाव

सविनय अवज्ञा आंदोलन ने अंग्रेजी हुकूमत की नीव हिलाकर दी और उसे आर्थिक तथा प्रशासनिक स्तर पर काफी बड़ा झटका दिया। अंग्रेजी उत्पादों के बहिष्कार ने ब्रिटेन से आयात होने वाले उत्पादों को काफी बड़े स्तर पर प्रभावित किया, जिससे अंग्रेजी वस्त्रों और सिगरेट का आयात घटकर आधा हो गया। इसके साथ ही लोगो ने सरकार को कर देने से मना कर दिया और नमक के उत्पादन का कार्य भी शुरु कर दिया, जिससे कि ब्रिटिश सरकार को आर्थिक रुप से काफी क्षति पहुंची। 8 अगस्त 1942 को शुरु हुआ यह आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के ताबूत में आखरी कील बना। जिससे अंग्रेजो को अंततः द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात भारत को स्वतंत्रता देने के लिए राजी होना पड़ा।

सविनय अवज्ञा आंदोलन वह अंहिसक आंदोलन था, जिसमें रक्त का एक कतरा भी नही बहा, फिर भी इसने भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में एक महत्वपूर्ण योगदान निभाया। वह महात्मा गांधी ही थे, जिनके कारण भारतीय स्वाधीनता संग्राम को अंतरराष्ट्रीय मंच मिला और उनके इस दृढ़ संकल्प तथा इच्छा शक्ति का लोहा पूरे विश्व ने माना। उन्होंने विश्व को अंहिसा की शक्ति दिखाई और लोगो को यह समझाया कि हर लड़ाई हिंसा से नही जीती जा सकती, बल्कि की कुछ लड़ाईया बिना खून की एक भी बूंद बहाये अंहिसा के मार्ग पर चलकर भी जीती जा सकती है।

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इस लेख में हमने महात्मा गांधी जयंती पर निबंध हिंदी में (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi) लिखा है। अगर आप गांधी जयंती पर बेहतरीन निबंध की तलाश कर रहे हैं तो इस लेख में आपकी सारी तलाश पूरी होने वाली है।

दिए गए लेख में गांधी जयंती क्यों मनाया जाता है तथा इसके महत्व को सरल रूप से समझाया गया है। लेख के अंत में गांधी जयंती पर बेहतरीन 10 लाइनें इस लेख को और भी आकर्षक बनाती हैं।

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प्रस्तावना (गांधी जयंती पर निबंध Essay on Gandhi Jayanti in Hindi)

भारत की आजादी के लिए लाखों देशभक्त शहीद हो चुके हैं। उन्ही शहीदों में से एक मोहनदास करमचंद गांधी है। महात्मा गांधी के आदर्शों को सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में एक समान तवज्जो दी जाती है।

प्रतिवर्ष गांधी जयंती 2 अक्टूबर को एक पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सभी स्कूल, कॉलेज तथा सरकारी दफ्तर सार्वजनिक रूप से बंद रहते हैं।

महात्मा गांधी जी को राष्ट्रपिता के नाम से भी जाना जाता है। वे सत्य और अहिंसा के बहुत बड़े पुजारी थे। उनकी दया, करुणा तथा देशभक्ति को पूरे विश्व में आदर्श के रूप में माना जाता है।

गांधी जयंती के दिन मूलतः गांधी जी के सिद्धांतों और उनके जीवन प्रसंगों से जुड़ी जरूरी ज्ञान की बातों को जन समूह में फैलाने का कार्य किया जाता है। 

भारत के साथ-साथ विश्व के अनेक देशों में 2 अक्टूबर के दिन गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है तथा वहां भी सार्वजनिक रूप से अवकाश रहता है।

गांधी जयंती क्यों मनाया जाता है? Why is Gandhi Jayanti Celebrated?

अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर सन 1869 को हुआ था। उनके प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए हर साल 2 अक्टूबर के दिन गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है।

महात्मा गांधी का जन्म उस समय हुआ था जब भारत अंग्रेजों के साथ संघर्ष कर रहा था। अंग्रेज भारतवासियों के हकों को दबाकर उनका शोषण कर रहे थे तथा भारत के अमूल्य खजाना लूटकर अपने देश ले जा रहे थे।

  • महात्मा गांधी एक संपन्न परिवार में जन्मे थे तथा वे प्रारंभिक शिक्षा भारत में पूरी कर शेष पढ़ाई साउथ अफ्रीका तथा इंग्लैंड जाकर पूरी की थी।

साउथ अफ्रीका में महात्मा गांधी अश्वेत वर्गों के हकों के लिए वहां की सरकार से संघर्ष किया था तथा उन्हें उनका हक दिलाया था। साउथ अफ्रीका से आने के बाद महात्मा गांधी भारत आकर तथा भारत की आजादी के लिए कार्य करना शुरू किया था। 

भारत भ्रमण करते समय महात्मा गांधी ने भारत का गरीब और शोषित पहलू देखा जिसके बाद उनकी आंखें अश्रुपूर्ण हो उठी। जिसके बाद उन्होंने आजीवन खादी धोती धारण करने का प्रण लिया।

उनकी सात्विकता और उच्च आदर्श के कारण करोड़ों लोग उनके एक आवाहन पर घरों से बाहर निकलकर अंग्रेजी हुकूमत के सामने अपनी जान देने के लिए आगे आ आए।

उनके इन्हीं सद्गुणों के कारण विश्व के करोड़ों लोग उन्हें आदर्श मानते हैं तथा उनके बताए मार्ग पर चलते हैं। उनके लिए श्रद्धा व्यक्त करने के लिए हर वर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती का पर्व मनाया जाता है।

महात्मा गांधी जी के विषय में जानकारी Information about Gandhi Jayanti in Hindi

गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उनके पिता मोहनदास दीवान थे तथा माता पुतलीबाई एक ग्रहणी और धार्मिक किस्म की महिला थी।

बाल्यावस्था में महात्मा गांधी की संगति कुछ बुरे लड़कों के साथ हो गई थी जिसके कारण वे चोरी करना तथा अन्य दुर्गुणों के चंगुल में फंस गए थे।

 उस वक्त सिनेमा जगत इतना विकसित नहीं हुआ था। सिनेमा के नाम पर उस वक्त नाटक ही चलित थे। एक बार बालक मोहनदास राजा हरिश्चंद्र के जीवन पर बने नाटक को देखकर इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने भी सत्य पर चलने का प्रण उसी वक्त ले लिया।

घर आकर उन्हें बहुत पश्चाताप हुआ तथा उन्होंने अपने पिताजी से अपने कुसंगति तथा दुर्गुणों को एक पन्ने पर लिखकर माफी मांगी और भविष्य में ऐसी गलती फिर ना दोहराने की कसम खाई।

आगे चलकर उन्होंने अपनी पढ़ाई विदेश जाकर पूरी की और भारत वापस आकर बाकी के स्वतंत्रता सेनानियों के साथ अनेकों आंदोलन किए जिसके कारण अंग्रेजी हुकूमत को यहां के लोगों का हक वापस देने पर मजबूर होना पड़ा।

समय-समय पर उन्हें जेल भी जाना पड़ा। लेकिन उनके समुदाय विशेष के प्रति अति-तुष्टीकरण के दुर्गुण से खफा होकर नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने उन्हें गोली मार दी।

गांधी जयंती का महत्व Importance of Gandhi Jayanti in Hindi

गांधी जयंती का संस्कृति तथा सामाजिक महत्व बेहद ही अधिक है। महात्मा गांधी हमारे देश के अतुलनीय व्यक्ति थे। जिनका ज्यादातर जीवन समाज तथा पिछड़े लोगों के लिए गुजरा।

महात्मा गांधी के पहले लाखों देशभक्तों ने आजादी के लिए अपनी कुर्बानी दे दी थी और गाँधी जी के साथ लाखों भारतवासियों ने शहादत दी थी। तब कहीं जाकर देश को अंग्रेजों के चंगुल से आजादी मिली थी।

गांधी जयंती को पूरे विश्व में राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। 15 जून सन 2007 को यूनाइटेड नेशंस काउंसिल ने 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय अहिंसा दिन मनाने के रूप में शुरुआत किया था।

इसका उद्देश्य दुनिया के सभी देशों को महात्मा गांधी के रास्ते पर चलने का ज्ञान देना था। महात्मा गांधी आजीवन सभी के प्रिय रहे, उनकी इज्जत दुनिया के दूसरे देश भी करते है।

गांधी जयंती के माध्यम से भारतीयों को भौतिक तथा मानसिक रूप से समरसता का पाठ पढ़ाया जाता है। इसलिए इस दिन को एकता बढ़ाने के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।

महात्मा गांधी को स्वाभिमान तथा आत्मनिर्भर भारत का स्वप्न दृष्टा माना जाता है। गांधीजी का सपना था कि भारत स्वच्छ और शिक्षित हो। महात्मा गांधी ने उस वक्त असहयोग आंदोलन के रूप में आत्मनिर्भर भारत की नींव रखी थी।

किसी भी देश के लिए उसके महापुरुषों का योगदान अप्रतिम होता है। भारत के लिए महात्मा गांधी का योगदान अतुलनीय है। महात्मा गांधी के विचारों को जीवित रखने के लिए हर वर्ष गांधी जयंती को मनाया जाता है।

गांधी जयंती कैसे मनाया जाता है? How is Gandhi Jayanti Celebrated?

भारत के सभी राज्यों में गांधी जयंती को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। इस अवसर पर भारत के स्कूलों कॉलेजों तथा सरकारी दफ्तरों पर विभिन्न थीम के माध्यम से बापू को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।

2 अक्टूबर के दिन प्रधानमंत्री राजघाट, दिल्ली जाकर महात्मा गांधी की प्रतिमा को श्रद्धा सुमन के पुष्प अर्पित करते हैं। उनके सम्मान में उनका पसंदीदा गीत वैष्णव जन तो तेने कहिए”गीत गाया जाता है।

राजघाट पर महात्मा गांधी की समाधि स्थल मौजूद है जिस पर हर वर्ष 2 अक्टूबर को बड़े-बड़े राजनेता व अभिनेता फूल चढ़ाकर श्रद्धांजलि देते हैं।

अनेक जगहों पर महात्मा गांधी के जीवन का नाट्यात्मक अभिनय का कार्यक्रम होता है। जिसमें लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। साथ ही बहुत से जगह महात्मा गांधी जी के जीवन पर भाषण, नाटक, नारा और समूह चर्चा भी आयोजित कि जाती है।

लोग अपने घरों में महात्मा गांधी की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। इस दिन रैलियां भी आयोजित की जाती हैं जिसमें महात्मा गांधी की झांकी तथा जीवन वर्णन मुख्य होता है।

गांधी जयंती के दिन विभिन्न सिनेमा चैनलों पर महात्मा गांधी तथा अन्य शहीदों से जुड़ी फिल्में दिखाई जाती हैं। लेकिन आज महात्मा गांधी के नाम पर बहुत सी राजनीतिक पार्टियां अपनी रोटी सेक रही हैं।

महात्मा गांधी के नाम पर वर्षों तक भारतीय राजनीति पर अपना सिक्का जमाया रखने वाली पार्टियां जब अपने करतूतों पर जवाब नहीं दे पाती तो वे महात्मा गांधी के नाम की दुहाई देना शुरू कर देती हैं।

महात्मा गांधी के सपनों को पूर्ण करने के लिए आज सभी भारतवासियों को उनके आदर्शों पर चलने की जरूरत है। 

जिस प्रकार महात्मा गांधी ने स्वयं  से पहले राष्ट्र को रखा उसी प्रकार आज सभी धर्म, जाति पंथ संप्रदायों को सोचना पड़ेगा तब जाकर भारत कहीं विश्व गुरु बन पाएगा।

गांधी जयंती पर 10 लाइन Best 10 Lines on Gandhi Jayanti in Hindi

  • भारत की आजादी के लिए लाखों देशभक्त शहीद हो चुके हैं। उन्ही शहीदों में से एक मोहनदास करमचंद गांधी है।
  • प्रतिवर्ष गांधी जयंती 2 अक्टूबर को एक पर्व के रूप में मनाया जाता है।
  • महात्मा गांधी जी को राष्ट्रपिता के नाम से भी जाना जाता है वे सत्य और अहिंसा के बहुत बड़े पुजारी थे। 
  • भारत के साथ-साथ विश्व के अनेक देशों में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है।
  • महात्मा गांधी का जन्म उस समय हुआ था जब भारत अंग्रेजों के साथ संघर्ष कर रहा था।
  • भारत भ्रमण करते समय महात्मा गांधी ने भारत का गरीब और शोषित पहलू देखा जिसके बाद उनकी आंखें अश्रुपूर्ण हो उठी।
  • एक बार बालक मोहनदास, राजा हरिश्चंद्र के जीवन पर बने नाटक को देखकर इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने भी सत्य पर चलने का प्रण उसी वक्त ले लिया।
  • उनके समुदाय विशेष के प्रति अति-तुष्टीकरण के दुर्गुण से खफा होकर नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने उन्हें गोली मार दिया।
  • 15 जून सन 2007 को यूनाइटेड नेशंस काउंसिल ने 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय अहिंसा दिन मनाने के रूप में शुरुआत किया था।

निष्कर्ष conclusion

इस लेख में आपने महात्मा गांधी जयंती पर निबंध हिंदी में (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi) पढ़ा आशा है यह लेख आपको सरल तथा आकर्षक लगा होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरूर करें। 

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गाँधी जयंती पर निबंध (Essay On Gandhi Jayanti In Hindi)

गाँधी जयंती पर निबंध (Essay On Gandhi Jayanti In Hindi)

In this Article

गाँधी जयंती पर 10 लाइन का निबंध (10 Lines On Gandhi Jayanti In Hindi)

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महात्मा गाँधी भारत के वो महान योद्धा थे, जिन्होंने हमेशा सत्य और अहिंसा के मार्ग पर लोगों को चलने की प्रेरणा दी है और इसी सत्य और अहिंसा के रास्ते को अपनाकर देश की आजादी में कई अहम भूमिका निभाई है। उनके इस अहम योगदानों को याद करते हुए हर साल उनके जन्म दिवस पर यानी कि 2 अक्टूबर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए गाँधी जयंती मनाई जाती है। गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर जिला में हुआ था। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता का नाम पुतली बाई था। भारत में गाँधी जयंती हर साल बड़े ही धूम-धाम से मनाई जाती है और यह देश के महत्वपूर्ण राष्ट्रिय कार्यक्रमों में से एक माना जाता है। पूरे भारत में गाँधी जी को राष्ट्रपिता और बापू का दर्जा दिया गया है और यह दिवस उनके द्वारा किए गए बलिदानों को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। यह दिवस गाँधी जी द्वारा दी गई सीख को याद करने और उनका पालन करने के लिए मनाया जाता है। गाँधी जी एक अहिंसावादी इंसान थे और उन्हें सत्य की राह पर चलना पसंद था क्योंकि उनका मानना था इस रास्ते पर देर से ही सही लेकिन सफलता जरूर मिलेगी। इस लेख में गाँधी जयंती से जुड़ी तमाम जानकारियों के बारे में जानकारी मिलेगी और छात्रों को निबंध लिखने में मदद मिल सकेगी।

महात्मा गाँधी के संघर्षों और कार्यों की कहानियां हर किसी ने सुनी है और भारत में उन्हें याद करते हुए हर साल 2 अक्टूबर को गाँधी जयंती मनाया जाता है। ऐसे में यदि आपके बच्चे को गाँधी जयंती के बारे में जानना है या निबंध लिखने में मदद चाहिए तो वह नीचे दी गई 10 लाइनों की सहायता ले सकता है।

  • हर साल 2 अक्टूबर को गाँधी जयंती मनाया जाता है।
  • इस दिन को गाँधी जी के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
  • 2 अक्टूबर को गाँधी जी के संघर्षों और बलिदानों को श्रद्धांजलि देने के लिए जयंती मनाई जाती है।
  • गाँधी जी सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते थे और दूसरों को भी इसे अपनाने की शिक्षा देते थे।
  • यह अहिंसा के पुजारी थे और 2 अक्टूबर को पूरा विश्व अहिंसा का अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाता हैं।
  • देशवासियों के बीच गाँधी जी बापू, राष्ट्रपिता के नाम से प्रसिद्ध हैं।
  • महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है।
  • महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।
  • हर साल दिल्ली के राजघाट में गाँधी जयंती धूम-धाम से मनाया जाता है।
  • इस दिन महात्मा गाँधी के स्मारक के आगे प्रार्थना सभा की जाती है।

महात्मा गाँधी ने हमारे देश के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं और लोगों को सच्चाई की राह में चलने के प्रोत्साहित किया है। गाँधी जयंती जैसे अहम महोत्सव में उनके कार्यों को याद करते हुए आप निबंध लिखना चाहते हैं या फिर अपने बच्चे को गाँधी जयंती के महत्व को समझाना चाह रहे हैं तो नीचे कम शब्दों में दिए गए निबंध की मदद जरूर ले सकते हैं।

भारत में हर साल 2 अक्टूबर को गाँधी जयंती बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन देश के महान स्वतंत्रता सेनानी महात्मा गाँधी ने गुजरात के पोरबंदर में जन्म लिया था। महात्मा गाँधी के पिता का नाम करम चंद गाँधी और माता का नाम पुतलीबाई था। इसलिए महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहन दास करमचंद गाँधी था। अंग्रेजों से आजादी दिलाने के संघर्ष में महात्मा गाँधी का अहम योगदान रहा है और इसलिए उनको याद करने और श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल 2 अक्टूबर को गाँधी जयंती मनाया जाता है। इस दिन राष्ट्र अवकास घोषित किया जाता है। गाँधी जी ने हमेशा से अहिंसा और सत्य की राह चुनी थी और वह लोगों से भी इसी मार्ग पर चलने का आग्रह करते थे। गाँधी जी का मानना था कि हिंसा से किसी का भी भला नहीं होता है और यदि हम अहिंसा और सच्चाई के रास्ते पर चलते हैं तो हमें सफलता देर से ही सही लेकिन जरूर मिलेगी। गाँधी ने समाज में हर वर्ग, जाती, लिंग आदि सबको एक समान दर्जा देने का शुरू से आग्रह किया है। भारत की आजादी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ इन्होंने कई अहम आन्दोलनों की शुरुआत की थी, जिसकी वजह से वह कई बार जेल भी जाकर आए हैं। यह दिन गाँधी जी भक्तों के लिए बेहद अहम क्योंकि वह गाँधीवाद का पालन आज भी कर रहे हैं। हर साल गाँधी जी को श्रद्धांजलि देने के उपलक्ष्य में दिल्ली के राजघाट में गाँधी जयंती बहुत धूम-धाम से मनाई जाती है। गाँधी जी स्मारक के सामने प्रार्थना सभा होती है जिसमे देश के प्रधानमंत्री के साथ अन्य मंत्री मंडल मौजूद होते हैं। गाँधी जी को याद करते हुए लोग रघुपति राघव राजा राम गीत गाते हैं। भारत में हर विद्यालय और दफ्तर में गाँधी जयंती मनाते हैं। गाँधी जी द्वारा किए गए कार्यों और बलिदानों का याद करते हुए यह दिन खुशी के साथ मनाया जाता है।

गाँधी जयंती पर निबंध

देश में कई राष्ट्रीय त्योहार मनाए जाते हैं, जिसमे हम भारत के सभी वीरों को याद करते हैं। ऐसे ही गाँधी जयंती महात्मा गाँधी के जन्म दिवस के दिन मनाई जाती है। इस दिन सभी लोग बापू की वीरता और उनके भारत के लिए किए गए बलिदानों को याद करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। स्कूल और दफ्तर में वैसे तो राष्ट्रीय अवकास होता है लेकिन उसके पहले ही इसे मनाया जाता है। गाँधी जी लड़ाई लड़ने के लिए हिंसा का साथ नहीं लिया और सच्चाई के मार्ग पर चलते रहें। हमारे देश के राष्ट्रपिता के लिए ये दिन बहुत खास तरीके से मनाया जाता है। यदि आप भी गाँधी जयंती पर अच्छे निबंध की तलाश कर रहे हैं तो 400-500 शब्दों में सिमित नीचे दिए गए निबंध पर पढ़कर और अपने शब्दों में एक बेहतरीन निबंध लिख सकते हैं।

गाँधी जयंती हर साल 2 अक्टूबर को मनाई जाती है, क्योंकि इस दिन महात्मा गाँधी ने गुजरात के पोरबंदर जिले में जन्म लिया था और उनके जन्म दिवस को खास बनाने और उन्हें याद करने के लिए यह दिन चुना गया था। गाँधी जयंती मनाने का मुख्य कारण महात्मा गाँधी द्वारा देश को आजादी दिलाने के पीछे किए गए संघर्षों, बलिदानों और अहम योगदानों को याद किया जाये। अंग्रेजों से आजादी दिलाने के लिए गाँधी जी ने कई आंदोलन भी किए और परिणाम स्वरूप वह कई बार जेल भी जा चुके थे। अहिंसा के रास्ते पर चलना उन्हें पसंद था इसलिए लोग उन्हें अहिंसा के पुजारी भी कहते थे। इसी रास्ते को अपनाकर उन्होंने भारत को आजादी दिलाई है। उनके इसी संघर्ष और बलिदान को याद करते हुए है हर साल 2 अक्टूबर को गाँधी जयंती मनाई जाती है।

महात्मा गाँधी ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में कई आंदोलन शुरू किए थें, क्योंकि गाँधी जी हमेशा से अहिंसा के मार्ग में चलते रहे हैं और इसी वजह से उन्होंने अपनी लड़ाई लड़ने के लिए आंदोलनों का सहारा लिया था। यह रहे कुछ प्रमुख आंदोलन-

  • चंपारण सत्याग्रह आंदोलन
  • खेड़ा सत्याग्रह आंदोलन
  • असहयोग आंदोलन
  • सविनय अवज्ञा आंदोलन
  • भारत छोड़ो आंदोलन

महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास करम चंद गाँधी है और उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। सभी देशवासी उन्हें राष्ट्रपिता और बापू के नाम से भी संबोधित करते हैं। महात्मा गाँधी ने अंग्रेजों के शासन से आजादी दिलाने के लिए बहुत संघर्ष किए हैं और अपना पूरा जीवन आजादी की लड़ाई में बिता दिया। गाँधी जी शुरुआत से ही अहिंसा और सत्य की राह पर चलने के लिए प्रेरणा देते थें। क्योंकि वह नए भारत का निर्माण बिना किसी हिंसा के करना चाहते थें। गाँधी जी कहना था कि “अहिंसा एक दर्शन है, एक सिद्धांत है और एक अनुभव है जिसके आधार पर समाज का बेहतर निर्माण करना संभव है। समाज में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को समान दर्जा और अधिकार मिलना चाहिए भले ही उनका लिंग, धर्म, रंग या जाति कुछ भी हो।” इसलिए गाँधी जयंती का महत्व हमें यह समझाता है कि जीवन में कितनी भी मुश्किलें क्यों न आ जाएं व्यक्ति को हमेशा अहिंसा और सत्य का मार्ग ही चुनना चाहिए और गाँधी जी के सिद्धांतों का पालन बकर्ण चाहिए।

गाँधी जी आयरिश लहजे में अंग्रेजी बोलते थे क्योंकि उनके पहले शिक्षक आयरिश थे। गाँधी जी को पांच बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया, लेकिन उन्हें एक बार भी जीत हासिल नहीं हुई। 2 अक्टूबर को गाँधी जी अलावा, लाल बहादुर शास्त्री का भी जन्मदिन होता है। देश के बाहर 48 और देश भर में कुल 53 सड़कों का नाम गाँधी जी के नाम पर रखा गया है। महात्मा गाँधी के जन्मदिन को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। गाँधी ने पहले भारतीय थें जिन्होंने टाइम मैगजीन में भी जगह बनाई और उन्हें1930 में मैन ऑफ द ईयर का खिताब मिला।

भारत की आजादी में महात्मा गाँधी का अहम योगदान रहा है। उन्होंने हमेशा से लोगों को अहिंसा और सत्य की राह पर चलना सिखाया है। उनका हमेशा से मानना था कि हिंसा से किसी का भला नहीं हो सकता है। इस निबंध से आपके बच्चे को गाँधी जयंती मनाई जाने की अहमियत समझ आएगी और वो भी बड़ा होकर गाँधी वाद अपना सकता है।

1. महात्मा गाँधी को राष्ट्रपिता का खिताब किसने दिया था?

सुभाष चंद्र बोस ने महात्मा गाँधी को राष्ट्रपिता का खिताब दिया था।

2. गाँधी जी को महात्मा का खिताब कहा से मिला था?

महात्मा गाँधी को महान लेखक रविंद्र नाथ टैगोर ने महात्मा का खिताब दिया था।

3. महात्मा गाँधी के गुरु कौन थे?

महात्मा गाँधी के गुरु गोपाल कृष्ण गोखले थे।

यह भी पढ़ें:

महात्मा गाँधी से जुड़े फैक्ट्स और जानकारी बच्चों और बड़ों दोनों के लिए महात्मा गांधी से जुड़े सवाल-जवाब

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महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi) - गांधी जयंती पर निबंध 10 लाइनें, 100, 200, 500 शब्दों में निबंध लिखना सीखें

Updated On: September 29, 2023 12:06 pm IST

प्रत्येक वर्ष 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्मदिवस को गांधी जयंती के रूप में मनाते हैं। गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi) लिखने में छात्रों को कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए। नीचे दिये गये आर्टिकल से आप निबंध लिखना सीख सकते है।

  • महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में (Essay on Mahatma …
  • गांधी जयंती पर निबंध 500+ शब्दों में (Essay on Gandhi …
  • महात्मा गांधी पर 10 लाइनों में निबंध (Essay on Mahatma …

गांधी जयंती पर निबंध

गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi): “अहिंसा के पुजारी” और “राष्ट्रपिता” कहलाने वाले महात्मा गांधी जी को बापू नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। महात्मा गाँधी जी का जन्म शुक्रवार 2 अक्टूबर 1869 को एक साधारण परिवार में गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान में हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी व इनकी माता का नाम पुतली बाई था। इनकी माता एक धार्मिक महिला थी नियमित तौर पर उपवास रखती थी। गाँधी जी का पालन-पोषण वैष्णव मत में विश्वास रखने वाले परिवार में हुआ था। जैन धर्म का महात्मा गाँधी जी पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा जिस वजह से अहिंसा, सत्य जैसे व्यवहार स्वाभाविक रूप से गाँधी जी में बचपन से ही दिखने लगे थे। वह अपने माता-पिता के सबसे छोटी संतान थे, उनके 2 भाई और 1 बहन थी। गाँधी जी के पिता हिन्दू तथा मोढ़ बनिया जाति के थे। लोग गाँधीजी को प्यार से बापू कहते थे। साधारण जीवन उच्च विचार वाले बापू जी ने अंग्रेजी हुकूमत से अंतिम साँस तक अहिंसा की राह में चलते हुए संघर्ष किया। भारत छोड़ो आंदोलन, असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन में हर तबके के लोगों को अपने साथ जोड़कर भारत को आज़ादी दिलाने में गाँधी जी ने अहम योगदान दिया है। ये  भी पढ़ें -  दशहरा पर निबंध

महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi 200 words)

गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi): गांधी जयंती महात्मा गांधी के जन्मदिन को चिह्नित करने के लिए भारत में हर साल 2 अक्टूबर को मनाया जाने वाला एक अवसर है। इसे आधिकारिक तौर पर भारत की राष्ट्रीय छुट्टियों में से एक के रूप में घोषित किया गया था और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे अहिंसा के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया था। स्मारक सेवाएं इसे चिह्नित करती हैं, और पूरे भारत में श्रद्धांजलि दी जाती है, जिसमें उन प्रसिद्ध स्थानों को शामिल किया गया है जहां उनका दौरा किया गया था और उनका अंतिम संस्कार किया गया था। गांधी जी हमारे देश के राष्ट्रपिता और बापू के रूप में भी प्रसिद्ध हैं। वो एक सच्चे देशभक्त नेता थे और अहिंसा के पथ पर चलते हुए पूरे देश का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में नेतृत्व किया। गांधी जी के अनुसार ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता की लड़ाई जीतने के लिये अहिंसा, सच्चाई और ईमानदारी का रास्ता ही एकमात्र हथियार था। गांधी जी को कई बार जेल भी जाना पड़ा था हालांकि देश को आजादी मिलने तक उन्होंने अपने अहिंसा आंदोलन को जारी रखा था। उनका विश्वास हमेशा सामाजिक समानता में था और वह अस्पृश्यता के भी खिलाफ थे। देश की राजधानी नई दिल्ली में गांधीजी की समाधि या राजघाट पर बहुत सी तैयारियों के साथ गांधी जयंती मनायी जाती है। राजघाट के समाधि स्थल को फूलों की माला से सजाया जाता है और गांधी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। समाधि पर सुबह के समय धार्मिक प्रार्थना भी रखी जाती है। इसे पूरे देशभर में स्कूल और कॉलेजों में विद्यार्थियों के द्वारा राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है।  

गांधी जयंती के अवसर पर महात्मा गांधी के जीवन और उनके कार्यों पर आधारित नाट्य ड्रामा, कविता व्याख्यान, गायन, भाषण, निबंध लेखन आदि प्रतियोगिताएं भी होती हैं। महात्मा गांधी की याद में लोग गांधी जी का सबसे प्रिय गीत “रघुपति राघव राजा राम” भी गाते हैं। ये भी पढ़ें-  दिवाली पर निबंध

गांधी जयंती पर निबंध 500+ शब्दों में (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi in 500+ words)

मोहनदास करमचंद गांधी.

गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti) - मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म भारत के पोरबंदर, कंथियावाड़ में पिता करमचंद उत्तमचंद गांधी और उनकी चौथी पत्नी पुतलीबाई के घर हुआ था। 1882 में उन्होंने कस्तूरबाई माकनजी से शादी की, जिनसे उनके पांच बच्चे हुए। गांधीजी ने 1887 में सामलदास कॉलेज, भाऊनगर में दाखिला लिया, लेकिन एक सत्र के बाद छोड़ दिया। हालाँकि, उन्हें कानून की पढ़ाई के लिए लंदन जाने के लिए प्रोत्साहित किया गया और वह 4 सितंबर 1888 को लंदन के लिए रवाना हो गए। 

गांधी जयंती

भारत में प्रतिवर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। इसी दिन वर्ष 1869 को गांधीजी का जन्म हुआ था। हमारे देश की आजादी में राष्ट्रपिता का योगदान सबसे अहम था, इसीलिए हर साल उनके सम्मान में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय उत्सव और अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। 2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन सरकारी छुट्टी होती है। इस अवसर पर स्कूलों और सरकारी संस्थानों में तरह-तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। स्कूलों में तो खासतौर से निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है। सभी सरकारी जगहों पर गांधीजी को श्रद्धांजलि दी जाती है। गांधी जयंती पर लोग गांधी जी के आदर्शों के महत्त्व को समझते हुए अपने जीवन में अपनाने की कोशिश करते हैं।

देश की आजादी में गांधीजी का योगदान सबसे महत्त्वपूर्ण साबित हुआ। उन्होंने अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलकर ही ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद करवाया। गांधी जी ने न सिर्फ देश की आजादी में अहम भूमिका निभाई बल्कि वह भारत के साथ कई अन्य देशों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गए। गांधी जी ने 4 महादेशों और 14 देशों में लोगों को नागरिक अधिकार आंदोलनों के लिए प्रेरित करने का काम भी किया, तो वहीं भारत में उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ सविनय अवज्ञा जैसे आंदोलनों की शुरुआत की। देश की आजादी के लिए गांधी जी हमेशा आगे रहे और हर भारतीय की आवाज़ बने। गांधी जी का सपना न केवल देश की आजादी था बल्कि वह देश को भी एकता के सूत्र में बंधा हुआ देखना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने हर संभव कोशिश की।

गांधीजी के अनुसार मन, वचन और शरीर से किसी को भी दु:ख न पहुँचाना ही अहिंसा है। गांधीजी के विचारों का मूल लक्ष्य सत्य एवं अहिंसा के माध्यम से विरोधियों का हृदय परिवर्तन करना है। अहिंसा का अर्थ ही होता है प्रेम और उदारता की पराकाष्ठा। गांधी जी व्यक्तिगत जीवन से लेकर वैश्विक स्तर पर ‘मनसा वाचा कर्मणा’ अहिंसा के सिद्धांत का पालन करने पर बल देते थे। आज के संघर्षरत विश्व में अहिंसा जैसा आदर्श अति आवश्यक है। गांधी जी बुद्ध के सिद्धांतों का अनुगमन कर इच्छाओं की न्यूनता पर भी बल देते थे।

महात्मा गाँधी जी अहिंसा के पुजारी थे। सत्य की राह में चलते हुए अहिंसात्मक रूप से स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए उनके द्वारा किये गए कार्य पद्धतियों को उन्होंने सत्याग्रह नाम दिया था।उनके द्वारा सत्याग्रह का अर्थ अन्याय, शोषण, भेदभाव, अत्याचार के खिलाफ शांत तरीकों से बिना किसी हिंसा के अपने हक़ के लिए लड़ना था। गाँधी जी द्वारा चम्पारण और बारदोली सत्याग्रह किये गए जिसका उद्देश्य अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचार और अन्यायपूर्ण रवैये के खिलाफ लड़ना थाकई बार इन सत्याग्रह के दौरान महात्मा गाँधी जी को जेल जाना पड़ा था। अपने सत्याग्रह में गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, दांडी मार्च, भारत छोड़ो आंदोलन का समय-समय पर प्रयोग किया।

स्वदेशी आन्दोलन

स्वदेशी आन्दोलन की शुरुआत बंगाल विभाजन के विरोध में हुई थी और इस आन्दोलन की औपचारिक शुरुआत कलकत्ता के टाउन हॉल में 7 अगस्त ,1905 को एक बैठक में की गयी थी। इसका विचार सर्वप्रथम कृष्ण कुमार मित्र  के पत्र संजीवनी में 1905 ई. में प्रस्तुत किया गया था। इस आन्दोलन में स्वदेशी नेताओं ने भारतियों से अपील की कि वे सरकारी सेवाओं,स्कूलों,न्यायालयों और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करें और स्वदेशी वस्तुओं को प्रोत्साहित करें व राष्ट्रीय कोलेजों व स्कूलों की स्थापना के द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा को प्रोत्साहित करें। अतः ये केवल राजनीतिक आन्दोलन ही नहीं था बल्कि आर्थिक आन्दोलन भी था।

स्वदेशी आन्दोलन को अपार सफलता प्राप्त हुई थी। बंगाल में जमींदारों तक ने इस आन्दोलन में भाग लिया था। महिलाओं व छात्रों ने पिकेटिंग में भाग लिया। छात्रों ने विदेशी कागज से बनी पुस्तकों का बहिष्कार किया। बाल गंगाधर तिलक,लाला लाजपत राय, बिपिन चन्द्र पाल और अरविन्द घोष जैसे अनेक नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया। अनेक भारतीयों ने अपनी नौकरी खो दी और जिन छात्रों ने आन्दोलन में भाग लिया था उन्हें स्कूलों व कालेजों में प्रवेश करने रोक दिया गया। आन्दोलन के दौरान वन्दे मातरम को गाने का मतलब देशद्रोह था। यह प्रथम अवसर था जब देश में निर्मित वस्तुओं के प्रयोग को ध्यान में रखा गया।

खिलाफत आन्दोलन

प्रथम विश्व युद्ध के बाद खिलाफत आंदोलन की शुरुआत हुई। असहयोग भारत (नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट) और खिलाफत आंदोलन प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात भारत में भारतीयों द्वारा अंग्रेजों के खिलाफ अनेक आंदोलन किये थे, जिसमें 1919 से 1922 तक दो महत्वपूर्ण आंदोलन खिलाफत आंदोलन एवं असहयोग आंदोलन चलाये गये थे।  खिलाफत आंदोलन  का मुख्य उद्देश्य तुर्की के खलीफा पद को पुनः स्थापित करना था। खिलाफत आंदोलन 1919 से 1924 तक चला था। हालाँकि इस आंदोलन का सीधा सम्बन्ध भारत से नहीं था। इस का प्रारम्भ 1919 में अखिल भारतीय कमिटी का गठन करके किया गया था। अखिल भारतीय कमिटी का गठन अली बंधुओं द्वारा किया गया था।

अंत्योदय एक ऐसा मिशन था जो गांधीजी के दिल के करीब था। अंत्योदय शब्द का अर्थ है "  अंतिम व्यक्ति का उत्थान  " या सबसे निराश, सबसे गरीब वर्ग के लोगों के उत्थान की दिशा में काम करना, जो कि बापू के अनुसार, केवल सर्वोदय द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है, अंत्योदय द्वारा सभी का विकास।

सात्विक आहार

महात्मा गांधी सात्विक खाने में विश्वास रखते थे। गुस्सा दिलाने वाले खाने से वह परहेज करते थे इसलिए हरी सब्जियों की मात्रा खाने में रखते थे। उबली हुई सब्जियों को बिना नमक के साथ खाना उनकी आदतों में रहा है। चुकंदर बैंगन भी उबालकर गांधी जी अपनी डाइट में लेते थे। सादा खाना उनकी पसंद हमेशा से रहा था, इसी क्रम में उन्होंने दाल और चावल को अपनी डाइट का हिस्सा बनाया था। दाल और चावल भी सात्विक खाने का प्रतीक होता है। इसमें प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भी अच्छी होती है।

महात्मा गाँधी के साथ चरखे का नाम भी विशेषतौर पर जोड़ा जाता है। भारत में चरखे का इतिहास बहुत प्राचीन होते हुए भी इसमें उल्लेखनीय सुधार का काम महात्मा गाँधी के जीवनकाल का ही मानना चाहिए। सबसे पहले सन 1908 में गाँधी जी को चरखे की बात सूझी थी, जब वे इंग्लैंड में थे। उसके बाद वे बराबर इस दिशा में सोचते रहे। वे चाहते थे कि चरखा कहीं न कहीं से लाना चाहिए। गाँधी जी ने चरखे की तलाश की थी। एक गंगा बहन थीं, उनसे उन्होंने चरखा बड़ौदा के किसी गांव से मंगवाया था। इससे पहले गाँधी जी ने चरखा कभी देखा भी नहीं था, सिर्फ उसके बारे में सुना था। बाद में उस चरखे में उन्होंने काफ़ी सुधार भी किए। दरअसल गाँधी जी के चरखे और खादी के पीछे सेवा का भाव था। उनका चरखा एक वैकल्पिक आर्थिक व्यवस्था का प्रतीक भी था। महिलाओं की आर्थिक स्थिति के लिए भी, उनकी आजादी के लिए भी। आर्थिक स्वतंत्रता के लिए भी और उस किसान के लिए भी, जो 6 महीने ख़ाली रहता था।

हालाँकि स्वराज शब्द का अर्थ स्वशासन है, लेकिन गांधीजी ने इसे एक ऐसी अभिन्न क्रांति की संज्ञा दी जो कि जीवन के सभी क्षेत्रों को समाहित करती हैगांधी जी के लिये स्वराज का अर्थ व्यक्तियों के स्वराज (स्वशासन) से था और इसलिये उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके लिये स्वराज का मतलब अपने देशवासियों हेतु स्वतंत्रता है और अपने संपूर्ण अर्थों में स्वराज स्वतंत्रता से कहीं अधिक है। आत्मनिर्भर व स्वायत्त्त ग्राम पंचायतों की स्थापना के माध्यम से ग्रामीण समाज के अंतिम छोर पर मौजूद व्यक्ति तक शासन की पहुँच सुनिश्चित करना ही गांधी जी का ग्राम स्वराज सिद्धांत था। आर्थिक मामलों में भी गांधीजी विकेंद्रीकृत अर्थव्यवस्था के माध्यम से लघु, सूक्ष्म व कुटीर उद्योगों की स्थापना पर बल देते थे। गांधी जी का मत था कि भारी उद्योगों की स्थापना के पश्चात् इनसे निकलने वाली जहरीली गैसें व धुंआ पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं, साथ ही बहुत बड़े उद्योगों का अस्तित्व श्रमिक वर्ग के शोषण का भी मार्ग तैयार करता है।

महात्मा गांधी पर 10 लाइनों में निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi in 10 Lines)

  • महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था।
  • गाँधी जी का जन्म स्थान गुजरात का पोरबंदर शहर है।
  • गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता जी का नाम पुतली बाई था।
  • महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था।
  • गाँधी जी का विवाह 15 वर्ष की आयु में कस्तूरबा गाँधी जी से हुआ था।
  • गाँधी जी राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे।
  • गाँधी जी ने यूनिवर्सिटी ऑफ़ लंदन से क़ानून की पढ़ाई पूरी की थी।
  • महात्मा गाँधी जी गोपाल कृष्ण गोखले जी को अपना राजनितिक गुरु मानते थे।
  • गाँधी जी को बापू, महात्मा, राष्ट्रपिता आदि नामो से भी जाना जाता है।
  • 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे के गाँधी जी को गोली मार उनकी हत्या कर दी थी ।

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gandhi jayanti essay 10 lines hindi

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गांधीजी की 150 वीं जयंती पर निबंध | Gandhi Jayanti Essay in Hindi | Essay in Hindi | Hindi Nibandh | हिंदी निबंध | निबंध लेखन | Essay on Gandhi Jayanti in Hindi

By: savita mittal

जीवन परिचय | Gandhi Jayanti Essay in Hindi

गाँधीजी के विचार, गाँधीजी की 150वीं जयन्ती पर आयोजित विभिन्न कार्यक्रम, गांधी जयंती निबंध | gandhi jayanti nibandh | गांधी जयंती पर निबंध | gandhi jayanti par essay video.

महात्मा गाँधी के सन्दर्भ में महान वैज्ञानिक आइन्स्टीन ने कहा था कि “भविष्य की पीढ़ियों को इस बात पर विश्वास करने में मुश्किल होगी कि हाड़-मास से बना ऐसा कोई व्यक्ति भी कभी धरती पर आया था।” वस्तुतः महात्मा गाँधी का व्यक्तित्व इतना व्यापक था कि गाँधीबाद एक विचार बन गया, जिसकी प्रासंगिकता हमेशा बनी रहेगी। गाँधीजी ने सम्पूर्ण विश्व को अपनी विचारधारा से प्रभावित किया। 

गाँधीजी द्वारा प्रयोग में लाए गए सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह की बुनियाद इतनी मजबूत थी कि आज भारत सहित विश्व के अनेक देश इसे अपनाकर अपने लोकतान्त्रिक मूल्यों को प्रमाद कर रहे है। गाँधीजी के विचारों की प्रासंगिकता ही है कि पूरा विश्व गाँधीजी की 150वीं जयन्ती श्रद्धा एवं सम्मान से मना रहा है।

महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गांधी था। महात्मा की उपाधि उन्हें रवीन्द्रनाथ टैगोर ने प्रदान की थी। गाँधीजी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबन्दर में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचन्द गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। उनका विवाह कस्तूरबाई (कस्तूरबा गाँधी) से हुआ था। उनकी प्राथमिक शिक्षा राजकोट में हुई। बाद में वे बकालत की पढ़ाई करने के लिए लन्दन चले गए। 

वकालत की पढ़ाई के बाद जय ये भारत लौटे, तो उन्हें वकालत पेशे के प्रारम्भिक दौर में अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। 1893 ई. में एक व्यापारी दादा अब्दुल्ला का केस लड़ने के लिए गाँधीजी दक्षिण अफ्रीका गए और फिर वर्ष 1915 में भारत लौटे। दक्षिण अफ्रीका में ही गांधीजी ने अंग्रेजों की नस्लवादी नीतियों का विरोध प्रारम्भ किया था, जिसके बाद गाँधीजी की छवि काफी लोकप्रिय हो गई।

भारत लौटने के बाद गांधीजी ने अपने राजनीतिक गुरु गोपालकृष्ण गोखले की सलाह पर एक वर्ष पूरे भारत का दौरा किया। उसके बाद चम्पारण सत्याग्रह को सफल बनाया। चम्पारण सत्याग्रह ने भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन को नई दिशा दी और गाँधीजी को लोग आशा भरी नजरों से देखने लगे। फलत वर्ष 1919 से 1947 तक भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन गाँधीजी के नेतृत्व में चलाया गया, जिसकी अन्तिम परिणति आजादी के रूप में हुई। वर्ष 1919 से 1947 तक के युग को ‘गाँधी युग’ कहा जाता है।

Gandhi Jayanti Essay in Hindi

यहाँ पढ़ें :  1000 महत्वपूर्ण विषयों पर हिंदी निबंध लेखन यहाँ पढ़ें :  हिन्दी निबंध संग्रह यहाँ पढ़ें :  हिंदी में 10 वाक्य के विषय

गाँधीजी के विचारों का प्रसार करने हेतु आज हम उनकी 150वी जयन्ती मना रहे हैं। उनके विचार पूरे विश्व के लिए प्रेरणादायी हैं। गाँधीजी ने एक बार स्वयं कहा था कि “गांधी मर सकता है, परन्तु गाँधीवाद हमेशा जिन्दा रहेगा।” वस्तुत उनके विचार का क्षेत्र बहुत ही विस्तृत था। 

ये छोटे-से-छोटे बिन्दुओं पर भी व्यापक व गहन विचार करते थे। गाँधीजी ने सत्य और अहिंसा, सत्याग्रह, सर्वोदय, स्वदेशी, स्वराज, न्यासिता, अस्पृश्यता, बुनियादी शिक्षा, राजनीति और धर्म, साध्य और साधन आदि पर अपने विचार प्रकट किए। 

गांधीजी ने सत्य और अहिंसा को प्रमुख हथियार माना। इसी प्रकार सत्याग्रह आधुनिक विश्व को गाँधीजी की प्रमुख देन है। सत्याग्रह का अर्थ है- सत्य की विजय हेतु किए जाने वाले आध्यात्मिक व नैतिक संघर्ष करना। गांधीजी ने समाज के सभी वर्गों एवं व्यक्तियों के लिए सर्वोदय का विचार प्रस्तुत किया, साथ ही उन्होंने अस्पृश्यता को कलंक माना। गाँधीजी राजनीति को धार्मिक तथा आध्यात्मिक मानते थे। उन्होंने अपने जीवन में प्रत्येक जगह साध्य और साधन दोनों की पवित्रता पर बल दिया।

गांधीजी के विचारों का प्रचार-प्रसार करने के लिए भारत सरकार राष्ट्रीय और जयन्ती वर्षगाँठ मना रही है। इस उद्देश्य से राष्ट्रपति की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय समिति का गठन किया गया है, जिसमें उपराष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश, लोकसभा अध्यक्ष, केन्द्रीय मन्त्रिगण, सभी राज्य / केन्द्रशासित प्रदेश के मुख्यमन्त्री/प्रशासक, राजनीतिक प्रतिनिधि, गाँधीवादी विचारक और सभी क्षेत्रों के प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल हैं। इस समिति में 9 विदेशी सहित कुल 125 सदस्य हैं। 

 2 अक्टूबर, 2019 को गाँधीजी की 150वीं जयन्ती के अवसर पर प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने भारत सरकार के ‘स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत ग्रामीण भारत को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया। 

जनभागीदारी के महत्व पर बल देते हुए इस अवसर पर जल जीवन मिशन’ प्रारम्भ किया गया। इस मिशन के अंतर्गत “नल से जल” कार्यक्रम के माध्यम से वर्ष 2024 तक प्रत्येक घर को नल का पानी उपलब्ध कराया जाएगा। इसी अवसर पर वर्ष 2022 तक प्लास्टिक मुक्त भारत के लिए सामूहिक प्रयास का आह्वान किया गया।

महात्मा गाँधी की 150वीं जयन्ती पर रेल तथा वाणिज्य एवं उद्योग मन्त्रालय द्वारा ‘स्टेशन स्वच्छता सर्वे रिपोर्ट’ जारी की गई। इसमें उत्तर-पश्चिम रेलवे जोन को सबसे स्वच्छ जोन का दर्जा दिया गया, जबकि सबसे स्वच्छ गैर-उपनगरीय स्टेशन का दर्जा जयपुर को मिला। 

भारत को सबसे कुशल राष्ट्रों में से एक के रूप में स्थापित करने के लिए एशिया हेरिटेज फाउण्डेशन द्वारा ‘नई तालीम’ उत्सव का आयोजन किया गया। नई तालीम, शरीर, मन और आत्मा की सम्पूर्ण शिक्षा को कुशल श्रम के माध्यम से प्रसारित करने का सिद्धान्त है। वर्ष 1987 में गाँधीजी ने नई तालीम के नाम से एक जीवन दर्शन तथा शिक्षा पद्धति देश के सामने रखी थी, जो अहिंसक, समतामूलक व न्यायपूर्ण समाज निर्माण का उद्देश्य रखती थी।

भारत सरकार ने न्यूयॉर्क टाइम्स में ‘भारत और विश्व को क्यों है गांधी की जरूरत’ शीर्षक से एक आलेख प्रकाशित करवाया। इस आलेख के अनुसार भावी पीढ़ियाँ महात्मा गांधी के विचारों, उद्देश्यों को कैसे याद रख सकेंगी, इसके लिए ‘आइन्स्टीन चुनौती’ प्रस्तुत की गई। 

इसका मुख्य उद्देश्य महात्मा गाँधी के विचारों को अमर बनाना है। इसके लिए विचारकों, तकनीक विशेषज्ञों, उद्यमियों आदि से अपील की गई है कि वे आगे आएं और नवाचार के माध्यम से गांधीजी के विचारों को प्रसारित करें।

भारत के विदेश मन्त्रालय द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ में गाँधीजी पर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन 2 अक्टूबर, 2019 को किया गया। इससे पूर्व सितम्बर, 2019 में संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में 50 किलोबाट के गाँधी सोलर पार्क का उद्घाटन भारतीय प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने किया। इसी अवसर पर हुए विश्व में गाँधी की प्रासंगिकता कार्यक्रम में    संयुक्त राष्ट्र ने महात्मा गांधी पर एक विशेष डाक टिकट जारी किया। गांधीजी की 150वीं जयन्ती के अवसर पर देशभर में जगह-जगह पर स्वच्छ भारत यात्रा’ निकाली गई।

महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती की स्मृति तथा सड़क सुरक्षा के सन्देश को प्रसारित करने के लिए ‘ड्राइव फॉर पीस’ का शुभारम्भ 3 फरवरी, 2019 को किया गया। महात्मा गाँधी की 150वीं जयन्ती को चिह्नित करने हेतु महाराष्ट्र सरकार द्वारा वर्धा में ‘स्वच्छ भारत वर्ल्ड यूनिवर्सिटी’ की स्थापना का निर्णय लिया गया है। इस विश्वविद्यालय में स्वच्छता, सफाई और पर्यावरण पर शोध अध्ययन पर ध्यान केन्द्रित किया जाना है। 

महात्मा गाँधी से सम्बन्धित साहित्य, उनके जीवन घटनाक्रम और उनके सामाजिक कार्यों को एक पोर्टल पर उपलब्ध कराने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर ने नेशनल काउंसिल ऑफ साइंस म्यूजियम और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गाँधीनगर के साथ ‘गांधीपीडिया’ के विकास के लिए साझेदारी की है।

महात्मा गाँधी की 150वीं जयन्ती के सन्दर्भ में प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने बॉलीवुड के कलाकारों को एक समारोह में सम्बोधित किया। उन्होंने राष्ट्र निर्माण की दिशा में कार्य करने हेतु बॉलीवुड को प्रोत्साहित किया। इस अवसर पर प्रधानमन्त्री मोदी के अनुसार अगर कहीं एक विचार, एक व्यक्ति है, जो दुनियाभर के लोगों के बीच सम्पर्क स्थापित कर सकता है, तो वह महात्मा गाँधी है।

2 अक्टूबर, 2019 को पर्यटन मन्त्रालय द्वारा पर्यटन पर्व 2019 का आयोजन नई दिल्ली में राष्ट्रव्यापी पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया। यह आयोजन महात्मा गाँधी की 150वीं जयन्ती को सगांधियन चैलेंज महात्मा गाँधी की 150वी जयन्ती के अवसर पर अटल नवाचार मिशन, अटल टिंकरिंग लैस और मनिसेक इण्डिया के तत्त्वावधान में जनरेशन अनलिमिटेड द्वारा सम्मिलित रूप से प्रारम्भ किया गया। 

यह नवाचार चुनौती भारत के प्रत्येक बच्चे को गाँधी के सिद्धान्तों का उपयोग करते हुए उनके सपनों के एक स्थापी भारत के लिए भनय समाधान तैयार करने हेतु एक मंच प्रदान करती है। प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती के अवसर पर अहमदाबाद के साबरमती आश्रम में ₹150 का चाँदी का स्मारक सिक्का जारी किया। यह स्मारक सिक्का गाँधीजी पर जारी होने वाला 113वीं स्मारक सिक्का है।

गांधीजी की 150वीं जयन्ती के अवसर पर भारत सरकार ने एक डाक टिकट जारी किया। साथ ही पो रूम,

तुर्की, फिलीस्तीन, उज्बेकिस्तान, श्रीलंका और संयुक्त राष्ट्र ने भी डाक टिकट जारी किया। इसके अतिरिक्त भी कई अन्य देशों ने डाक टिकट जारी किया।

 महात्मा गाँधी की 150वीं जयन्ती समारोह की संयोजन समिति की बैठक में भाग लेते हुए पुर्तगाल के प्रधानमन्त्री एण्टोनियो कोस्टा ने महात्मा गांधी के आदशों को शाश्वत बनाए रखने के लिए उनके विचारों और उद्धरणों से प्रेरित ‘गांधी नागरिकता शिक्षा पुरस्कार’ प्रारम्भ करने की घोषणा की। यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष प्रदान किया जाएगा। 

इस प्रकार गांधीजी की 150वीं जयन्ती के अवसर पर कृता राष्ट्र उनको श्रद्धाजलि अर्पित कर रहा है। वस्तुतः विश्व आज भारत को एक अलग पहचान मिली हुई है, इसमें गाँधीजी की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने सत्य और  अहिंसा आदि विचारों के माध्यम से जो महान् आदर्श स्थापित किया, उसकी जरूरत आज भी उतनी ही बनी हुई है।

विनोबा भावे ने कहा था कि “वह आदमी कोई पुरानी किताब नहीं था, जिसमें कुछ नया न जुड़े, जिसके बस नए प्रकरण निकलते रहें। गाँधीजी आज होते तो क्या करते, यह सही सवाल और तरीका नहीं है। उनसे विचार मिला है, ऐसा स्वतन्त्र चिन्तन करना चाहिए।” 

निःसन्देह आज पूरे विश्व को गाँधी के विचारों की जरूरत है और इस सन्दर्भ में भारत सरकार ने गाँधीजी की 150वीं जयन्ती के अवसर पर राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम एवं मिशन आयोजित कर एक महान् व्यक्ति (गांधीजी) को सच्ची श्रद्धांजलि प्रदान की है।

reference Gandhi Jayanti Essay in Hindi

gandhi jayanti essay 10 lines hindi

मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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Gandhi Jayanti Essay in Hindi

Gandhi Jayanti Essay in Hindi: भारत में हर साल 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में गांधी जयंती मनाई जाती हैं। यह अवसर देश में हर नागरिक द्वारा बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाए जाने वाला एक अवसर है। इसे आधिकारिक तौर पर भारत की राष्ट्रीय छुट्टियों में से एक के रूप में घोषित किया गया था और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में घोषित किया था। स्मारक सेवाएँ इसे चिह्नित करती हैं, और पूरे भारत में इस दिन गांधी जी को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है, जिसमें वे प्रसिद्ध स्थान भी शामिल हैं जहाँ उन्होंने दौरा किया था और उनका अंतिम संस्कार किया गया था। उनकी स्मृति में चित्रकला और निबंध प्रतियोगिताएं का भी आयोजन किया जाता है।इसके साथ ही अहिंसा का पालन करने वाली सर्वोत्तम परियोजनाओं और सेवाओं को भारत के नागरिकों को पुरस्कार और सम्मान बैज देकर पुरस्कृत किया जाता है। अहिंसक आंदोलन महात्मा गांधी के जीवन के सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी के प्रयास का जश्न मनाने के लिए इसे लागू किया जाए और पुरस्कृत किया जाए। 

महात्मा गांधी का पसंदीदा भजन, रघुपति राघव राजा राम, आमतौर पर उनकी याद में गाया जाता है। पूरे भारत में महात्मा गांधी की मूर्तियों को फूलों और मालाओं से सजाया जाता है और कुछ लोग उस दिन मांस और शराब का सेवन करने से परहेज करते हैं। जैसे कि हमने आपको बताया कि इस दिन निबंध प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है तो इसके मद्देनजर हम इस लेख के जरिए आपके लिए महात्मा गांधी जी की जयंती पर निबंध लेकर आएं है जो आप निबंध प्रतियोगिता में कार उपयोग में ले सकते हैं। इस लेख में आपको निबंध कक्षा 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10 से लेकर किसी भी प्रकार की बड़ी निबंध प्रतियोगिता में उपयोग में ले सकते है और अपने लोगों के साथ साझा कर सकते हैं। इस लेख में कई पॉइन्ट जोडे़ गए है जैसे कि गांधी जयंती Gandhi Jayanti Essay in Hindi 2023, Gandhi Jayanti Par Nibandh, 2 October PR Nibandh, गांधी जयंती पर निबंध | Essay on Gandhi Jayanti 2023,Gandhi Jayanti ka Nibandh, गांधी जयंती पर निबंध 10 लाइन | 10 Lines on Gandhi jayanti,Gandhi Jayanti Par Nibandh, FAQ’s। इस लेख को अंत तक पढ़े और एक से बढ़कर एक महात्मा गांधी जयंती पर निबंध पाएं।

Gandhi Jayanti Essay in Hindi 2023- Overview

गांधी जयंती पर निबंध | gandhi jayanti par nibandh.

Gandhi Jayanti Par Nibandh :- गांधी जयंती का त्यौहार हर साल 2 अक्टूबर को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता मानते है जिस वजह से उनके जन्मदिन के अवसर पर देश के अलग-अलग क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के समारोह का आयोजन किया जाता है। महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को भारत के गुजरात राज्य के पोरबंदर जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था जो राजकोट के कोर्ट में दीवान का काम करते थे। महात्मा गांधी का विवाह महज 12 वर्ष की आयु में 13 वर्ष की कस्तूरबा गांधी से तय कर दिया गया था। विवाह के बाद महात्मा गांधी बैरिस्टर की पढ़ाई करने के लिए लंदन चले गए थे।

अपनी पढ़ाई को पूरा करने के बाद वह मुंबई में कुछ दिनों तक वकालत की प्रैक्टिस करते रहे उसके बाद साउथ अफ्रीका के बड़े सेठ का केस लड़ने के लिए उन्हें दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। अपनी पत्नी के साथ वह दक्षिण अफ्रीका चले गए और वहां के लोगों की दयनीय स्थिति को देखकर वहां के लोगों के लिए आंदोलन करना शुरू किया। महात्मा गांधी कुछ गिने-चुने वकीलों में शामिल हो गए जिन्होंने अहिंसा के दम पर केवल अपनी वकालत के ज्ञान को दर्शाते हुए अंग्रेजों से अपने हिसाब का कानून बनवाया। लगभग 21 साल साउथ अफ्रीका में रहने के बाद वह अपनी पत्नी और बच्चे के साथ भारत 1915 में वापस आए।

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गांधी जयंती लॉन्ग निबंध | long essay on gandhi jayanti.

गांधी जयंती भारत में एक राष्ट्रीय अवकाश है जो 2 अक्टूबर को मोहनदास करमचंद गांधी के जन्मदिन पर मनाया जाता है। यह गांधी के जीवन और कार्य का स्मरण कराता है, जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक प्रभावशाली राजनीतिक नेता थे। भारत में गांधी को अक्सर “राष्ट्रपिता” के रूप में जाना जाता है, और उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है। उनकी स्मृति और विरासत का सम्मान करने के लिए गांधी जयंती पर कई कार्यक्रम और गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। इनमें सार्वजनिक भाषण , अंतरधार्मिक सभाएं, शैक्षिक कार्यक्रम, सांस्कृतिक कार्यक्रम और सेवा परियोजनाएं शामिल हैं।

महात्मा गांधी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, भारत में हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। वह एक हिंदू परिवार से आते थे। उनके पिता करमचंद गांधी पोरबंदर राज्य के दीवान थे। उनकी माँ, पुतलीबाई, एक धार्मिक महिला थीं जो नियमित रूप से उपवास करती थीं।गांधीजी की शिक्षा राजकोट के स्थानीय स्कूलों में हुई और बाद में उन्होंने भावनगर के सामलदास कॉलेज में पढ़ाई की। 1888 में, वह इनर टेम्पल में कानून का अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड गए। लंदन में रहते हुए, उन्होंने हिंदू धर्मग्रंथ पढ़े और लियो टॉल्स्टॉय और जॉन रस्किन के प्रभाव में आये। वे शाकाहारी समाज से भी जुड़े।1891 में भारत लौटने के बाद, गांधीजी ने बॉम्बे (अब मुंबई) में कानून का अभ्यास शुरू किया। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले भारतीयों के अधिकारों की भी वकालत की, जो ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार द्वारा भेदभाव का सामना कर रहे थे। 1915 में, वह भारत लौट आए और ब्रिटिश शासन से आजादी के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) पार्टी का नेतृत्व किया।

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी का योगदान

महात्मा गांधी को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का जनक माना जाता है। उनका जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पुणे, भारत में एक हिंदू परिवार में हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। एक युवा व्यक्ति के रूप में, उन्होंने लंदन में कानून की पढ़ाई की और फिर अपनी कानूनी प्रैक्टिस शुरू करने के लिए भारत लौट आए। हालाँकि, जल्द ही उनकी रुचि राजनीति में बढ़ गई और वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए।गांधी जी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले भारतीयों के अधिकारों के लिए लड़कर की। उन्होंने 1893 से 1914 तक वहां 21 साल बिताए, उनकी स्थितियों को सुधारने के लिए काम किया। उन्होंने हिंद स्वराज या इंडियन होम रूल नामक एक पुस्तक भी लिखी, जिसमें स्वतंत्र भारत के लिए उनका दृष्टिकोण सामने आया।

जब प्रथम विश्व युद्ध छिड़ा, तो गांधी ने भारतीयों से उनका विश्वास और सहयोग हासिल करने के लिए ब्रिटिश युद्ध प्रयासों का समर्थन करने का आग्रह किया। युद्ध के बाद, उन्होंने सविनय अवज्ञा और सत्याग्रह (अहिंसक प्रतिरोध) जैसे विरोध के शांतिपूर्ण तरीकों का उपयोग करके स्वतंत्रता के लिए अपनी लड़ाई जारी रखी। ये तकनीकें भारत के अंदर और बाहर दोनों जगह जनमत जीतने में बहुत सफल रहीं। 26 जनवरी , 1930 को, गांधीजी ने ब्रिटिश द्वारा लगाए गए नमक कर के विरोध में नमक इकट्ठा करने के लिए समुद्र तक एक मार्च का नेतृत्व किया। इस घटना को नमक मार्च के नाम से जाना गया और इससे स्वतंत्रता आंदोलन के लिए समर्थन जुटाने में मदद मिली। 1932 में, गांधीजी ने हिंदुओं के खिलाफ भेदभाव करने वाली ब्रिटिश नीतियों का विरोध करने के लिए भूख हड़ताल शुरू की। इससे भी स्वतंत्रता के लिए जनता का समर्थन जुटाने में मदद मिली।

अहिंसा और सत्याग्रह के विचार

अहिंसा और सत्याग्रह के कई अलग-अलग विचार हैं, लेकिन उन सभी का एक ही लक्ष्य है: शांतिपूर्ण तरीकों से न्याय प्राप्त करना। अहिंसक प्रतिरोध उत्पीड़न और अन्याय के खिलाफ एक शक्तिशाली हथियार है, और सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए पूरे इतिहास में इसका सफलतापूर्वक उपयोग किया गया है। सत्याग्रह, या सत्य-बल की अवधारणा, महात्मा गांधी द्वारा भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद का विरोध करने के एक तरीके के रूप में विकसित की गई थी। सत्याग्रह इस विश्वास पर आधारित है कि सत्य हिंसा से अधिक शक्तिशाली है, और अहिंसक प्रतिरोध से सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन हो सकता है। गांधीजी ने भारतीय स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों के लिए अपने अभियानों में सत्याग्रह का बहुत प्रभावी ढंग से उपयोग किया।आज भी न्याय और समानता की हमारी लड़ाई में अहिंसा और सत्याग्रह के विचार प्रासंगिक बने हुए हैं। ऐसी दुनिया में जहां हिंसा बहुत आम है, हमें याद रखना चाहिए कि शांति संभव है। हमें प्रेम और करुणा की शक्ति से नफरत और कट्टरता के खिलाफ खड़ा होना चाहिए। हमें अधिक न्यायपूर्ण और शांतिपूर्ण विश्व की अपनी खोज कभी नहीं छोड़नी चाहिए।

सत्य और अहिंसा के सिद्धांत

गांधी जयंती दो मुख्य सिद्धांतों का जश्न मनाती है: सत्य और अहिंसा। गांधी जीवन के सभी पहलुओं में सच्चाई और ईमानदारी में विश्वास करते थे, साथ ही लोगों को दूसरों के साथ बातचीत में अहिंसक होने की आवश्यकता पर भी विश्वास करते थे। उन्होंने महसूस किया कि ये सिद्धांत एक न्यायपूर्ण और शांतिपूर्ण समाज बनाने के लिए आवश्यक थे। इसलिए गांधी जयंती अधिक सामंजस्यपूर्ण विश्व प्राप्त करने के तरीके के रूप में इन मूल्यों को बढ़ावा देती है।

गाँधी जी को प्राप्त प्रमुख उपलब्धियाँ या पुरस्कार

  • -गांधी जी 1948 में नोबेल शांति पुरस्कार के प्राप्तकर्ता थे
  • -उन्हें 1930 में टाइम मैगजीन का मैन ऑफ द ईयर नामित किया गया था
  • -गांधी जी को 1948 में मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया था
  • -उन्हें 1989 में मानवाधिकार के लिए राफ्टो पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था
  • -गांधी जी को 1915 में ब्रिटिश सरकार द्वारा नाइटहुड की उपाधि से सम्मानित किया गया था, लेकिन बाद में उन्होंने 1922 में इसे त्याग दिया।

गांधी जयंती समारोह

गांधी जयंती का अवसर भारत में एक भव्य त्योहार है। यह उत्सव हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में होता है, जहां महात्मा गांधी की स्मृति का सम्मान करने के लिए प्रार्थना सेवाएं या श्रद्धांजलि आयोजित की जाती हैं। वह कई अच्छी चीजों के लिए जिम्मेदार व्यक्ति थे, जिसमें नस्लवाद के खिलाफ उनकी प्रतिबद्धता भी शामिल थी, जिसे हम आज भी देखते हैं, भले ही वह चले गए हों।ये आयोजन पूरे स्कूलों में होते हैं – सरकारी संस्थान और निजी दोनों; वहाँ स्मारक समारोह भी देखे जा सकते हैं। लेखन, कला और अन्य गतिविधियों के लिए प्रतियोगिताएँ दुनिया भर में होती रहती हैं। इन प्रतियोगिताओं के लिए कीमतें भी वितरित की जाती हैं। कई स्कूलों और विश्वविद्यालयों में छात्र महात्मा गांधी की यात्रा के बारे में नाटक और वृत्तचित्र भी देखते हैं।परिणामस्वरूप, युवाओं को अहिंसक जीवन शैली जीने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इसके अतिरिक्त, गांधी जी के पसंदीदा भजन (हिंदू भक्ति गीत) गाने के अवसर भी होते हैं। उत्सव के तौर पर गांधी जी के स्मारकों को फूलों और मालाओं से सजाया गया है। गांधी जयंती महात्मा गांधी के उत्कृष्ट चरित्र का जश्न मनाती है। यह इस शानदार व्यक्तित्व के जीवन को रुकने और सराहने का मौका है। इस दिन सभी को उनके जैसा जीवन जीने का प्रयास भी करना चाहिए। दरअसल, गांधी जयंती को भारत में देशभक्ति का दिन माना जाता है।

गांधी जयंती देश के महानतम नायक का सम्मान करने वाला एक राष्ट्रीय त्योहार है, जिन्होंने लाखों लोगों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से मुक्त कराया। इसके अलावा, गांधी जयंती भारत की तीन राष्ट्रीय छुट्टियों में से एक है। संयुक्त राष्ट्र ने 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस घोषित किया। यह त्यौहार वास्तव में भारत में एक महत्वपूर्ण अवसर है।

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Gandhi Jayanti Essay in Hindi | 2 October PR Nibandh

अपने राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले के नेतृत्व में उन्होंने भारत में अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन करने का निर्णय किया। उन्होंने 1917 से अपना आंदोलन शुरू किया जिसमे उनका पहला आंदोलन बिहार के चंपारण जिले से शुरू हुआ था जिसे चंपारण सत्याग्रह कहा जाता है। इस तरह के अलग-अलग आंदोलन करते हुए 1942 में महात्मा गांधी ने अपना आठवां आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन को शुरू किया और अंततः देश को 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों के हाथ से मुक्त करवाया। 

महात्मा गांधी को उनके विचार और बेहतरीन कार्य की वजह से भारत का राष्ट्रपिता कहा जाता है। उन्होंने विषम परिस्थिति में बेहतरीन तरीके से देश के नौजवानों का नेतृत्व किया और अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए देश को अंग्रेजों से मुक्त करवाया। आज भी सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने की उनकी रणनीति काफी कारगर मानी जाती है जिसके बारे में जागरूकता फैलाने का कार्य 2 अक्टूबर को किया जाता है। देश के प्रत्येक नौजवानों को सत्य और अहिंसा के बारे में समझाने का प्रयास किया जाता है।

प्रत्येक साल 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी का जन्म दिवस बड़े हर्षोल्लास के साथ विभिन्न प्रकार के समारोह के जरिए संपन्न में किया जाता है। सरकार इस दिन विभिन्न प्रकार के नियम और योजनाओं को लागू करती है। हर साल की तरह इस साल भी महात्मा गांधी के बलिदान और उनके अतुलनीय कार्य को सराहना देने के लिए गांधी जयंती का त्यौहार मनाया जाएगा। 

गांधी जयंती पर निबंध | Essay on Gandhi Jayanti 2023

गांधी जयंती का त्यौहार हर साल बड़े हर्षोल्लास के साथ 2 अक्टूबर को मनाया जाता है। महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था, उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था, उनकी माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गांधी के दादाजी उम्र चंद्र गांधी गुजरात के राजवाड़ा परिवार में दीवान का कार्य किया करते थे। अंग्रेजों का शासन शुरू हुआ तो उनके पिता को राजकोट के कोर्ट में दीवान के कार्य के लिए ट्रांसफर कर दिया गया। वहां से उनके पिता ने वकील और जज के बारे में समझा और अपने बेटे को इस पद पर आगे बढ़ने का नेर्तित्व किया। अपनी प्रारंभिक पढ़ाई करने के दौरान महात्मा गांधी का विवाह महज 12 वर्ष की आयु में उनसे 1 साल बड़े कस्तूरबा गांधी के साथ कर दिया गया था।

महात्मा गांधी शादी के कुछ सालों बाद अपनी बैरिस्टर की पढ़ाई के लिए लंदन चले गए थे। लंदन में अपनी पढ़ाई को पूरा करने के बाद मुंबई में कुछ सालों तक मुंबई के कोर्ट में प्रैक्टिस किया था। उसी दौरान उन्हें दक्षिण अफ्रीका में एक केस लड़ने का मौका मिला था जहां केस जीतने के बाद उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के लोगों के साथ हो रहे नस्ली भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाने का निर्णय किया था। अपनी पत्नी के साथ 21 वर्ष तक महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में रहे थे। उसके बाद अपने राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले के नेतृत्व पर वह 9 जनवरी 1915 को दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस आए थे। महात्मा गांधी अपनी वकालत के कार्य की वजह से दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए भी भारतीय अखबारों में हमेशा सुर्खियों में रहते थे।

गांधी जयंती पर निबंध | Gandhi Jayanti PR Essay

Gandhi Jayanti Par Nibandh:- भारत में उन्होंने 1917 से अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन प्रक्रिया शुरू किया था। भारत में उन्होंने अपना राजनीतिक कार्य एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में शुरू किया जिसमें उन्होंने चंपारण सत्याग्रह, खेड़ा आंदोलन, रौलट एक्ट विरोध, असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, दांडी मार्च, भारत छोड़ो आंदोलन, जैसे विभिन्न प्रकार के आंदोलनों का निर्वाहन किया था। 

मोहनदास करमचंद गांधी किस सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर आजादी मांगने के तरीके से प्रभावित होकर महान लेखक रविंद्र नाथ टैगोर ने उन्हें महात्मा की उपाधि दी थी। महात्मा गांधी पूरे भारत में प्रचलित हुए थे और उनके बलिदान के लिए आजादी के बाद उन्हें राष्ट्रपिता घोषित किया गया था। हर साल उनके बलिदान और बेहतरीन कार्य के लिए हम 2 अक्टूबर को गांधी जयंती का त्यौहार मनाते है। इस दिन महात्मा गांधी के सत्य और अहिंसा की बात की जाती है अलग-अलग जगह पर गांधी जयंती का समारोह आयोजित किया जाता है और इस तरह भारत में गांधी जयंती का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। आने वाले समय में भी हमें इस तरह गांधी जयंती का त्यौहार मनाते रहेंगे और महात्मा गांधी के विचारों का निर्वहन करते हुए उनके सत्य और अहिंसा के पथ पर चलने का प्रयास करेंगे। 

गांधी जयंती पर निबंध 10 लाइन | 10 Lines On Gandhi Jayanti

gandhi jayanti essay 10 lines hindi

  • महात्मा गांधी के जन्मदिन के अवसर पर हम गांधी जयंती का त्यौहार बड़े हर्षोल्लास के साथ पूरे भारतवर्ष में हर साल 2 अक्टूबर को मनाते है।
  • महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर जिले में हुआ था।
  • महात्मा गांधी जात से एक वैष्णव परिवार से ताल्लुक रखते थे जहां उनके दादा परदादा राजवाड़ा परिवार में दीवान का काम किया करते थे।
  • महात्मा गांधी भारत से अपनी पढ़ाई को पूरा करने के बाद बैरिस्टर की पढ़ाई के लिए लंदन गए थे।
  • महात्मा गांधी का विवाह 12 वर्ष की आयु में 13 वर्ष की कस्तूरबा गांधी से कर दिया गया था।
  • महात्मा गांधी के पिता का नाम करमचंद गांधी था और उनकी माता का नाम पुतलीबाई था।
  • महात्मा गांधी बैरिस्टर की पढ़ाई करने के बाद दक्षिण अफ्रीका चले गए थे जहां उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के लोगों के लिए नस्लभेद के खिलाफ आवाज उठाया था और आंदोलन किया था।
  • 9 जून 1915 को महात्मा गांधी इस वर्ष बाद दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे।
  • अपने राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले के साथ उन्होंने 1 साल भारत भ्रमण किया था जिसके बाद 1917 से उन्होंने आंदोलन प्रक्रिया शुरू की थी।
  • 1917 में महात्मा गांधी ने चंपारण सत्याग्रह के साथ आंदोलन शुरू किया था।
  • 1920 में उन्होंने असहयोग आंदोलन और 1922 में उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन के साथ पूरे भारतवर्ष में सत्य और अहिंसा का बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू किया था।
  • महात्मा गांधी ने अपने पूरे जीवन काल में आठ महत्वपूर्ण आंदोलनों को अंजाम दिया था जिसके परिणाम स्वरूप 1947 में भारत आजाद हुआ था।
  • महात्मा गांधी के अतुलनीय कार्य नेतृत्व और निर्वाहन प्रक्रिया के साथ किए गए कार्य के बाद उन्हें राष्ट्रपिता घोषित किया गया।
  • हर साल गांधी जयंती के अवसर पर अलग-अलग समारोह का आयोजन किया जाता है और महात्मा गांधी सत्य और अहिंसा के मार्ग को स्पष्ट रूप से लोगों के समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास किया जाता है। 

Gandhi Jayanti Par Nibandh FAQ’s

Q. गांधी जयंती कब मनाया जाता है.

हर साल गांधी जयंती 2 अक्टूबर को मनाया जाता है।

Q. गांधी जयंती का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?

गांधी जयंती का त्यौहार महात्मा गांधी के सत्य और अहिंसा के मार्ग को स्पष्ट रूप से दर्शाने के लिए मनाया जाता है।

Q. महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता का खिताब किसने दिया?

महात्मा गांधी को सुभाष चंद्र बोस ने राष्ट्रपिता का खिताब दिया था।

Q. महात्मा गांधी को महात्मा का खिताब किसने दिया था?

महात्मा गांधी को महान लेखक रविंद्र नाथ टैगोर ने महात्मा का खिताब दिया था। 

Q. महात्मा गांधी के गुरु कौन थे?

महात्मा गांधी के गुरु गोपाल कृष्ण गोखले थे।

आज इस लेख में हमने Gandhi Jayanti Par Nibandh 2023 से जुड़ी विस्तार पूर्वक जानकारी आपके समक्ष प्रस्तुत की है। इस लेख में अपने Gandhi Jayanti nibandh बेहतरीन तरीके से पाया होगा। अगर हमारे द्वारा साझा की गई जानकारियों को पढ़ने के बाद आप गांधी जयंती और महात्मा गांधी के बारे में विस्तारपूर्वक समझ पाए हैं तो इसे अपने मित्रों के साथ साझा करें साथ ही अपने सुझाव और विचार कमेंट में बताना ना भूलें।

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Reported by Rohit Kumar

Published on 15 April 2024

गाँधी जयंती पर निबंध- “ अहिंसा के पुजारी ” और “ राष्ट्रपिता ” कहलाने वाले महात्मा गांधी जी को बापू नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। महात्मा गाँधी जी का जन्म शुक्रवार 2 अक्तूबर 1869 को एक साधारण परिवार में गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान में हुआ था । इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी व इनकी माता का नाम पुतली बाई था। इनकी माता एक धार्मिक महिला थी नियमित तौर पर उपवास रखती थी। गाँधी जी का पालन-पोषण वैष्णव मत में विश्वास रखने वाले परिवार में हुआ था। जैन धर्म का महात्मा गाँधी जी पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा जिस वजह से अहिंसा, सत्य जैसे व्यवहार स्वाभाविक रूप से गाँधी जी में बचपन से ही पनपने लगे थे। वह अपने माता-पिता के सबसे छोटी संतान थे, उनके 2 भाई और 1 बहन थी।

गाँधी जी के पिता हिन्दू तथा मोढ़ बनिया जाति के थे। लोग गाँधीजी को प्यार से बापू कहते थे। गुजरती इनकी मातृ भाषा थी। साधारण जीवन उच्च विचार वाले बापू जी ने अंग्रेजी हुकूमत से अंतिम साँस तक अहिंसा की राह में चलते हुए संघर्ष किया। भारत छोड़ो आंदोलन, असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन में हर तबके के लोगों को अपने साथ जोड़कर भारत को आज़ादी दिलाने में गाँधी जी ने अहम योगदान दिया है।

यह भी पढ़े :- कोरोना वायरस पर हिन्दी में निबंध

महात्मा गाँधी जी का जन्म एक साधारण हिन्दू परिवार में हुआ था। इनके पिता करमचंद गाँधी जी दीवान थे। गाँधी जी वैसे तो हर धर्म को सामान मानते थे किन्तु उनपर जैन धर्म का विशेष प्रभाव पड़ा। जैन धर्म में अहिंसा को सर्वोपरि रखा गया है इसी अवधारणा के परिणामस्वरूप गाँधी जी ने अपने सत्याग्रह में अहिंसा को महत्वपूर्ण स्थान दिया है। गाँधी जी भगवदगीता को हमेशा साथ रखते थे और इसका अपने जीवन में अनुसरण करते थे। भगवान को सत्य का स्वरूप मानते थे और अहिंसा को उस सत्य स्वरूप भगवान को पाने का मार्ग। गाँधी जी को कवि नरसी मेहता की यह रचना अति प्रिय थी-

महात्मा गांधी पर निबंध: Essay on Mahatma Gandhi

वैष्णव जन तो तेने कहिये, जे पीर पराई जाणे रे । पर दुःखे उपकार करे तोये, मन अभिमान न आणे रे ।। सकल लोक माँ सहुने वन्दे, निन्दा न करे केनी रे । वाच काछ मन निश्चल राखे, धन-धन जननी तेरी रे ।।

गाँधी जी विद्यार्थी के रूप में – गाँधी जी एक साधारण व्यक्तित्व के थे। औसत विद्यार्थी के रूप में इनकी शिक्षा अल्फ्रेड हाई स्कूल से हुई थी। विद्यार्थी जीवन में इन्होंने यदा कदा पुरस्कार भी जीते। पढाई में तेज नहीं थे किन्तु वे घरेलू काम और माता-पिता की सेवा में ही मन लगाया करते थे। गाँधी जी सच्चाई के प्रतीक राजा हरिश्चंद को अपना आदर्श मानते थे। मात्र 13 वर्ष की उम्र में इनका विवाह पोरबंदर के एक व्यापारी की बालिका से करा दिया गया। 1887 में गाँधी जी ने मुंबई यूनिवर्सिटी से मैट्रिक परीक्षा को पास किया और गुजरात के भावनगर के समलदास कॉलेज में दाखिला लिया था। गाँधी जी का सपना डॉक्टर बनने का था किन्तु परिवार वैष्णव धर्म का अनुयायी था जहाँ चीर-फाड़ की अनुमति नहीं थी। परिवार गाँधी जी को बैरिस्टर बनाना चाहता था।

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गाँधी जी मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद वकालत की पढाई के लिए इंग्लैंड गए थे सन 1888 में गाँधी जी ने अपने कदम लन्दन में रखे वहां उन्होंने कानून विद्यालय “इनर टेम्पल” में अपना दाखिला कराया। वकालत की पढाई लन्दन से की थी। सन 1890 में अपनी वकालत की पढ़ाई को पूरा करने के बाद भारत लौट आए । वकालत पूरी करने के बाद जब गाँधी जी भारत आये तो उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के द्वारा हो रहे अत्याचारों से आम जनता की समस्याओं को दूर करने के लिए अपना योगदान दिया।

दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गाँधी के योगदान – दक्षिण अफ्रीका में अश्वेतों और भारतीयों के साथ हो रहे नस्लीय भेदभाव के खिलाफ और अपमानजनक नीतियों के परिणामस्वरूप गाँधी जी ने भेदभाव से लड़ने का निश्चय किया। उस समय दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों और अश्वेतों को वोट देने के अधिकार से वंचित रखा जाता था उन्हें फुटपाथ में चलने जैसे कही अधिकारों से वंचित रखा गया था। साल 1906 में दक्षिण अफ्रीका की “ टांसवाल सरकार” द्वारा भारतीय जनता के पंजीकरण के लिए एक अध्यादेश जारी किया गया था जो की भारतीयों के लिए अपमानजनक अध्यादेश था। वर्ष 1893 में दादा अब्दुल्ला जो की दक्षिण अफ्रीका का एक व्यापारी था उनके द्वारा गाँधी जी को साऊथ अफ्रीका में मुकदमा लड़ने के लिए आमंत्रित किया गया था।

गाँधी जी के दक्षिण अफ्रीका पहुंचने के बाद उनके द्वारा साल 1894 में “नटाल इंडियन कांग्रेस ” नाम से एक संगठन को स्थापित किया गया भारतीयों ने महात्मा गाँधी जी नेतृत्व में विरोध जनसभा का आयोजन किया तथा इसके परिणाम स्वरूप मिलने वाले दंड को भोगने की शपथ ली गयी। गाँधी जी द्वार सत्याग्रह की शुरुआत यही से की गयी। दक्षिण अफ्रीका में लगभग 7 वर्षों से ज्यादा समय तक संघर्ष चलता रहा। हजारों भारतीयों द्वारा इस अपमानजनक अध्यादेश के खिलाफ संघर्ष को जारी रखा गया। दक्षिण अफ्रीका में लगभग 21 वर्षों तक रहने के बाद महात्मा गाँधी अपने देश भारत लौट आये।

गाँधी जी का भारत आगमन – दक्षिण अफ्रीका में लगभग 21 वर्षों तक रहने के बाद गाँधी जी भारत में हो रहे अंग्रेजी हुकूमत की दमनकारी नीतियों के खिलाफ स्वतंत्रता दिलाने हेतु भारतीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गोपाल कृष्ण गोखले के आमंत्रण पर वर्ष 1915 में महात्मा गाँधी जी अपने देश भारत आये। भारतवासियों द्वारा उनका बढ़-चढ़ कर स्वागत किया गया। जनता द्वारा उन्हें महात्मा से सम्बोधित किया जाने लगा। स्वतन्त्रता संग्राम की रूप रेखा तैयार करने के लिए गाँधी जी द्वारा देश के गांव-गांव का दौरा किया जाने लगा।

गाँधी जी का सत्याग्रह – महात्मा गाँधी जी अहिंसा के पुजारी थे। सत्य की राह में चलते हुए अहिंसात्मक रूप से स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए उनके द्वारा किये गए कार्य पद्धतियों को उन्होंने सत्याग्रह नाम दिया था। उनके द्वारा सत्याग्रह का अर्थ अन्याय, शोषण, भेदभाव, अत्याचार के खिलाफ शांत तरीकों से बिना किसी हिंसा के अपने हक़ के लिए लड़ना था। गाँधी जी द्वारा चम्पारण और बारदोली सत्याग्रह किये गए जिसका उद्देश्य अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचार और अन्यायपूर्ण रवैये के खिलाफ लड़ना था। कई बार इन सत्याग्रह के दौरान महात्मा गाँधी जी को जेल जाना पड़ा था। अपने सत्याग्रह में गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, दांडी मार्च, भारत छोड़ो आंदोलन का समय-समय पर प्रयोग किया।

किसानो के लिए गाँधी जी का योगदान

चंपारण और खेड़ा सत्याग्रह -1917-1918 -वर्ष 1917 में अंग्रेजी सरकार के द्वारा चम्पारण (बिहार) के किसानों को नील की खेती करने के लिए मजबूर किया जाने लगा था और इस नील की खेती का मूल्य अंग्रेजी सरकार के द्वारा तय किया गया जिसमें किसानों को बहुत हानि होने लगी थी। नील खेती के विरोध में सरकार के विरुद्ध किसानों का नेतृत्व गाँधी जी द्वारा किया गया। इस आंदोलन को अहिंसात्मक रूप से संपन्न किया गया। किसानों के इस सत्याग्रह से अंग्रेजी सरकार विवश हो गयी थी तथा अंग्रेजी सरकार को उनकी मांगो को मानना पड़ा। इस आंदोलन को चम्पारण आंदोलन नाम से जाना जाने लगा। चम्पारण आंदोलन में सफलता के बाद किसानों का आत्मविश्वास बढ़ा और वर्ष 1918 में गुजरात के खेड़ा नामक स्थान में भी किसान आंदोलन हुआ। वर्ष 1918 में खेड़ा में आये भीषण बाढ़ का सामना किसानों को करना पड़ा।

बाढ़ के कारण क्षेत्र वासियों को भयावह अकाल का सामना करना पड़ा इस अकाल की स्थिति में ब्रिटिश सरकार द्वारा वसूल किये जाने वाले करों में किसानों को किसी भी प्रकार की छूट नहीं दी गयी। किसानों की समस्या को गाँधी जी ने महसूस करते हुए अहिंसात्मक रूप से ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध असहयोग आंदोलन को शुरू किया। इस आंदोलन के परिणामस्वरूप अंग्रेजी सरकार को मजबूरन किसानों के हक में की गयी मांगो को मानना पड़ा। सरकार को कर में छूट देनी पड़ी। इस आंदोलन को खेड़ा नामक स्थान पर किया गया जिससे इसका नाम खेड़ा आंदोलन पड़ा।

असहयोग आंदोलन -1920 – अंग्रेजी सरकार के द्वारा आए दिन नए-नए कानून बनाये जाते थे। सरकार की अस्पष्ट नीतियों तथा बेलगाम कर, आर्थिक संकट, महामारी के दौरान अंग्रेजी सरकार ने इन सभी परिस्थितियों में वर्ष 1919 में रोलेट एक्ट जो की अंग्रेजी सरकार द्वारा कानून पास किया गया था जिसे कला कानून भी कहा गया था 1919 के इस रोलेट एक्ट के विरुद्ध जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किये जाने लगे एक्ट के देश में हड़तालें हु ई। एक्ट के विरोध के जालियाँवाला बाग़ में एक सभा आयोजित की गयी थी। जनरल डायर ने सभा को रोकने के लिए अंधाधुंध गोलियों का शिकार सभा में उपस्थित लोगों को बनाना।

बड़ी संख्या में इस सभा में बच्चे से लेकर बूढ़े लोग उपस्थित थे जिनको जनरल डायर की गोलियों का शिकार बनाया गया। इस घटना का से पूरा देश आग बगुला हो गया। गाँधी जी इस घटना से काफी विचलित हुए। सितम्बर 1920 गाँधी जी द्वारा असहयोग का प्रस्ताव कोलकाता के कांग्रेस अधिवेशन में रखा गया। इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद से पूरे देश में असहयोग आंदोलन की शुरुआत हुई।

भारत को स्वतंत्र कराने में कई क्रांतिकारियों की अहम भूमिका रही है। गाँधी जी ने अहिंसा के मार्ग पर चलकर भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके द्वारा किये गए जन आंदोलनों में 1920 का असहयोग आंदोलन, 1930 का सविनय अवज्ञा आंदोलन और 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन शामिल थे।

अवज्ञा आंदोलन, नमक सत्याग्रह, दांडी यात्रा 1930 -ब्रिटिश सरकार द्वारा नमक पर लगने वाले भरी कर के परिणामस्वरूप गाँधी जी द्वारा इसके विरोध में नमक सत्याग्रह को चलाया गया था। दांडी यात्रा को 12 मार्च 1930 में गाँधी जी तथा उनके 79 कार्यकर्ताओं द्वारा 200 मील की इस यात्रा शुरू किया गया जो की 26 दिन बाद 6 अप्रैल 1930 को गुजरात के गाँव दांडी तक संपन्न की गयी थी जहाँ नमक बनाकर इस कानून को भंग किया गया। इस आंदोलन को ब्रिटिश सरकार के द्वारा नमक के ऊपर लगने वाले कर के विरोध में था। दांडी पहुंचकर सरकार के नमक कानून की अवहेलना करके स्वयं नमक बनाने और अपने द्वारा बनाये गए नमक को बेचना शुरू किया गया यह भी प्रकार का गाँधी जी द्वारा अहिंसात्मक आंदोलन था जिसका परिणाम जनता के हित में रहा।

भारत छोड़ो आंदोलन ( Quit India Movement )

भारत छोड़ो आंदोलन 1942 – अंग्रेजी हुकूमत को भारत से निकाल फेंकने के लिए 8 अगस्त 1942 को महात्मा गाँधी जी द्वारा भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया गया। 1942 भारत के इतिहास में आजादी के लिए किये गए आंदोलनों में से महत्वपूर्ण आंदोलन रहा है। ब्रिटिश सरकार को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए गाँधी जी द्वारा चलाया गया आंदोलन है जिसमें जनता द्वारा बढ़-चढ़ कर भाग लिया गया।

इन सभी सत्याग्रहों और आम जनता के योगदान से 15 अगस्त 1947 में भारत को स्वतंत्र करने में अपनी अहम भूमिका निभाई। गाँधी जी को उनके ही शिष्य नाथूराम गोडसे द्वारा 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर हत्या की गयी थी जिसके बाद इस महान व्यक्तित्व के जीवन का अंत हो गया किन्तु गाँधी जी आज भी उनके विचारों के साथ हमारे बीच जिन्दा है। गाँधी जी की मृत्यु हो जाने के बाद से उनकी याद में प्रत्येक वर्ष 30 जनवरी को शहीद दिवस मनाया जाता है।

गाँधी जी के तीन सिद्धांत –

न बुरा बोलो ,न बुरा सुनो ,न बुरा देखो

उपसंहार

महात्मा गाँधी जी ने भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त करने के लिए पूरी कोशिश की और उन्हें इसमें सफलता ही हासिल हुई। समाज में फैले कुरीतियों को दूर करने भेदभाव को समाप्त करने, छुआछूत को दूर करने, अहिंसा और सत्य की राह में समाज को चलना सिखाया। उनके अनेक महान कार्यों के लिए उन्हें राष्ट्रपिता से सम्बोधित किया जाता है। अनेक अत्याचारों के खिलाफ अहिंसा के मार्ग में चलते हुए उन्होंने भारत को आज़ादी दिलाने में अपनी भूमिका निभाई। स्वतंत्र भारत का जन्म हुआ ही था की 30 जनवरी 1948 को गाँधी जी के शिष्य नाथूराम गोडसे ने गाँधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी थी । लेकिन आज भी गाँधी जी के विचार से हम सभी का मार्गदर्शन हो रहा है।

गाँधी जयंती निबंध :-

हमारे देश में हर साल 2 अक्तूबर को गाँधी जयंती मनायी जाती है। आज का दिन भारतवर्ष में बहुत महत्व रखता है क्योंकि आज ही के दिन हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी का जन्म हुआ था। जिन्होंने आगे चलकर पूरे भारत वर्ष को अंग्रेज़ों की 200 सालों की लम्बी गुलामी के बाद आज़ादी दिलाई थी। हमारे देश में गाँधी जयंती के दिन राष्ट्रीय अवकाश भी घोषित किया गया है ।

गाँधी जयंती सिर्फ भारत देश में ही नहीं बल्कि कई देशों में भी मनाई जाती है।  15 जून 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2 अक्तूबर के दिन को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रुप में घोषित किया गया। आज देश विदेश में इस दिन को अंतराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाते हैं। जैसे की हम जानते हैं की उनके अहिंसा के सिद्धांतों को पूरे दुनिया ने सराहा और उसे मान्यता दी। महात्मा गाँधी के इन उच्च विचारों ने न सिर्फ हमारे देश का मार्गदर्शन किया बल्कि पूरे विश्व को भी अहिंसा की राह दिखाई। जिस प्रकार उन्होंने अपने देश को अहिंसा के साथ आज़ादी दिलाई वो अपने आप में एक मिसाल है। इसीलिए कहा गया है –

दे दी हमे आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल। साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल।

कहते हैं गाँधी जी एक साधारण से दिखने वाले असाधारण व्यक्ति थे। जिन्होंने अपने अहिंसावादी सोच और सिद्धांतों से पूरे देश की सत्ता बदल दी थी। जिनके कहने पर पूरा का पूरा देश उसका अनुसरण करता था। ऐसे ही महात्मा की आज यानी की 2 अक्तूबर को गाँधी जयंती मनाई जाती है। गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। लोग उन्हें बापू के नाम से भी जानते हैं साथ ही उन्हें महात्मा और राष्ट्रपिता का दर्जा भी प्राप्त है। महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। वो माता पुतलीबाई और पिता करमचंद गाँधी की सबसे छोटी संतान थे।

महात्मा गाँधी का विवाह 13 साल की उम्र में उनसे एक साल बड़ी कस्तूरबा गाँधी से हो गया था। और इस के कुछ समय बाद उन्हें वकालत की पढाई के लिए 1888 में इंग्लैंड भेज दिया गया। 4 साल बाद वो पढ़ाई पूरी कर बैरिस्टर बन के भारत लौटे। उन्होंने यहाँ बॉम्बे और राजकोट में प्रैक्टिस भी की। लेकिन उस वक्त उन्हें अपेक्षित कामयाबी नहीं मिल रही थी। जिसके चलते वो 1893 में वो दादा अब्दुल्लाह नाम के एक व्यापारी के साउथ अफ्रीका बुलाने पर वहां के लिए रवाना हो गए।

उस वक्त भारत की तरह ही साउथ अफ्रीका में भी अंग्रेज़ों की हुकूमत थी। वहां महात्मा गाँधी को बार बार भेदभाव का सामना करना पड़ा। एक बार तो सही टिकट होने के बाद भी उन्हें ट्रेन के फर्स्ट क्लास कम्पार्टमेंट से सिर्फ इसलिए निकल दिया गया क्योंकि वो अलग रंग और अलग नस्ल के थे। इतना सब होने के बाद भी वो वहां 21 साल तक रहे और इन कुरीतियों और अत्याचार के खिलाफ लड़ते रहे। गाँधी जी द्वारा दिए गए एक भाषण में कहा गया था की ‘ I was born in India but was made in South Africa ” अब आप अंदाज़ा लगा सकते हैं की उनका साउथ अफ्रीका में बिताया गया समय उनके जीवन में कितना महत्वपूर्ण था। यहीं से नींव पड़ती है उनके सत्याग्रह और अहिंसा की।

इसके बाद गोपाल कृष्ण गोखले के निवेदन में भारत में अंग्रेज़ों की हुकूमत को ख़त्म करने के लिए गांधीजी 1915 में भारत वापस लौटे। यहाँ आने के बाद उन्होंने 1917 में पहला आंदोलन चलाया बिहार के चम्पारण जिले में। ये किसानों को अंग्रेज़ों द्वारा जबरदस्ती नील की खेती कराये जाने को लेकर थी। उन्होंने इस आंदोलन के माध्यम से किसानों को इस से मुक्ति दिलाई। इसके बाद इसी वर्ष में उन्होंने गुजरात के खेड़ा जिले में आंदोलन किया जिसमें उन्होंने जिले में बाढ़ और अकाल की स्थिति होने के बाद भी सरकार द्वारा लगान वसूले जाने को लेकर अहिंसक विरोध किया।

इस विरोध के चलते फिर अंग्रेजी हुकूमत को समझौता करने के लिए हामी भरनी पड़ी। इन्ही आन्दोलनों की सफलता के बाद उनकी कीर्ति देश भर में फैली और उन्हें गुरु रबिन्द्र नाथ टैगोर द्वारा “ महात्मा” और सुभाषचंद्र बोस द्वारा “ राष्ट्रपिता ” की उपमा दी गयी। इसके अतिरिक्त देशभर में उनके सम्मान में उन्हें सब महात्मा और बापू कह कर पुकारने लगे।

Gandhi Jayanti Essay in Hindi | महात्मा गांधी पर निबंध

जैसा की सभी जानते हैं की राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी सभी धर्मों में कोई अंतर नहीं करते थे। उन्हें सामाजिक समानता में यकीन था। इसीलिए उन्होंने देश में चल रहे मुसलमान भाइयों के खिलाफत मूवमेंट को अभी अपना सहयोग दिया। इस से न सिर्फ उन्होंने हिन्दू मुस्लिम में भेद ख़त्म किया बल्कि उनसे प्रेरणा लेकर समाज में भी हो रहे हिन्दू मुस्लिम दंगे भी कुछ वर्षों के लिए बंद हो गए। महात्मा गाँधी के आंदोलन यहीं नहीं रुके। वर्ष 1919 में ब्रिटिश सरकार द्वारा लाए गए रॉलेट एक्ट के खिलाफ भी उन्होंने असहयोग आंदोलन चलाया और देशवासियों को अहिंसक और शांतिपूर्ण विरोध करने को कहा।

दरअसल रौलेट एक्ट को देश में चल रहे विभिन्न आन्दोलनों को कुचलने के मकसद से लाया गया था। इस एक्ट के अनुसार किसी भी भारतीय को बिना अदालत में मुकदमा चलाये भी जेल में डाला जा सकता था। इसी के विरोध में असहयोग आंदोलन के तहत देशभर में लोगों ने अंग्रेजी कपड़ों और वस्तुओं को जलाना शुरू कर दिया।

इसी एक्ट के विरोध प्रदर्शन में जब जलियांवाला बाग़ में लोग प्रदर्शन कर रहे थे तब जनरल डायर ने सैकड़ों लोगों पर गोलियां चला दी। बावजूद इसके गांधीजी अपने शांतिपूर्ण विरोध पर डटे रहे और साथ ही दिन प्रतिदिन पूरा देश आंदोलन का हिस्सा बनता गया। हालाँकि ये आंदोलन पूरा सफल नहीं हो पाया क्योंकि इसे गांधीजी ने 5 फ़रवरी 1922 में हुए चौरा-चौरी काण्ड से क्षुब्ध होकर वापस ले लिया था। इसके बाद वो कुछ वर्षों तक जेल में रहे। लेकिन वो यहीं नहीं रुके।

मार्च 1930 में गांधीजी ने अंग्रेज़ों द्वारा नमक पर भी टैक्स लगाने के विरोध करते हुए अहमदाबाद से दांडी तक यात्रा की। ये यात्रा लगभग 400 किलोमीटर की थी जिसे उन्होंने नियम तोड़ते हुए नमक बनाकर पूरा किया। इस आंदोलन को काफी सफलता मिली और विभिन्न देशों की मीडिया ने इसे काफी महत्व दिया। इस के बाद 1942 में गांधीजी के नेतृत्व में एक शक्तिशाली भारत छोडो आंदोलन हुआ। इसमें बहुत से लोगों की जान गयी हज़ारों घायल हुए और कितनों को जेल में डाला गया। इसी दौरान गांधीजी ने सभी देशवासियों को एकजुट करते हुए अंतिम स्वतंत्रता के लिए अहिंसावादी संघर्ष को जारी रखते हुए करो या मरो का नारा दिया। जिस वजह से उन्हें 2 सालों के लिए जेल में डाल दिया गया। लेकिन फिर भी इस ने सभी देशवासियों को एकजुट कर दिया और अंत में हमारा भारत देश 15 अगस्त 1947 को आज़ाद हो गया।

आज हम आज़ाद भारत में रह रहे हैं। तो इस देश के नागरिक होने से हमारी ये जिम्मेदारी बनती है की हम बापू और अन्य स्वतंत्र सेनानियों को उनके सपनों का भारत बनाकर दें। सामाजिक एकता बनाये रखें और जाति- धर्म पर बाँटने की बजाए एकजुट होकर रहे। सिर्फ देश में प्रेम और सौहार्द बना रहेगा बल्कि देश का विकास भी होगा।

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Rohit Kumar

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महात्मा गांधी पर निबंध – 10 lines (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi) 100, 150, 300 & 500 शब्दों में

gandhi jayanti essay 10 lines hindi

Mahatma Gandhi Essay in Hindi – मोहनदास करमचंद गांधी जिन्हें ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में भी जाना जाता है, एक समाज सुधारक और एक स्वतंत्रता योद्धा थे जिन्होंने भारत को ब्रिटिश राज के हाथों से मुक्त करने के लिए कड़ी मेहनत की। उनका विश्वास ‘अहिंसा’ (nonviolence) के सिद्धांतों पर आधारित था। 2 अक्टूबर को गांधी जयंती Essay on Gandhi Jayanti के नाम पर उन्हें सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है, क्योंकि पूरा देश उनके प्रयासों का ऋणी है।

महात्मा गांधी निबंध 10 पंक्तियाँ (Mahatma Gandhi Essay 10 lines)

  • 1) महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में एक हिंदू परिवार में हुआ था।
  • 2) उनके पिता करमचंद उत्तमचंद गांधी पोरबंदर के दीवान थे।
  • 3) महात्मा गांधी ने मई 1883 में कस्तूरबाई माखनजी कपाड़िया से शादी की।
  • 4) 4 सितंबर 1888 को वे उच्च शिक्षा के लिए लंदन चले गए।
  • 5) वे 1893 से 1914 तक दक्षिण अफ्रीका में एक नागरिक अधिकार कार्यकर्ता थे, जो रंग भेदभाव के खिलाफ लड़ रहे थे।
  • 6) वे 1915 में भारत लौट आए और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए।
  • 7) गांधी जी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ पहला आंदोलन 1917 में चंपारण सत्याग्रह शुरू किया था।
  • 8) उन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद 01 अगस्त 1920 को असहयोग आंदोलन शुरू किया।
  • 9) उन्होंने 12 मार्च 1930 को नमक/डांडी मार्च शुरू किया और 06 अप्रैल 1930 तक जारी रहा।
  • 10) हिंदू राष्ट्रवाद के दक्षिणपंथी पैरोकार नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली के बिड़ला हाउस में गांधी की हत्या कर दी।

आप विस्तार मे Hindi Essay on Mahatma Gandhi नीचे पढ़ सकते है

कक्षा 1,2,3 के बच्चों के लिए महात्मा गांधी निबंध (Mahatma Gandhi Essay 100 words)

गुजरात की शांत जगह में जन्मे, महात्मा गांधी एक स्वतंत्रता सेनानी बन गए और भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त करने के लिए जोरदार लड़ाई लड़ी। वह अहिंसा में विश्वास करते थे और संघर्ष जीतने के मामले में शांति को सबसे महत्वपूर्ण मानते थे।

उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत एक वकील के रूप में की थी। वह उसी का पीछा करने के लिए भारत आया था और उस कौशल से अच्छा जीवन नहीं बना सका जिसे उसने बरी कर दिया था।

वह यहां कानून का ठीक से अभ्यास करने में विफल रहे और इसके परिणामस्वरूप दक्षिण अफ्रीका में स्थानांतरित हो गए। उन्होंने वहां एक परिवार शुरू किया। युवा गांधी उन मूल्यों का जीवंत प्रतिबिंब हैं जो उनकी मां ने उन्हें सिखाए थे।

महात्मा गांधी निबंध कक्षा 4, 5, 6 स्कूली बच्चों के लिए (Mahatma Gandhi Essay 150 words)

गांधी जी का विवाह कस्तूरबा मांजी से हुआ था। उनकी शादी 13 साल की बहुत कम उम्र में हो गई थी। उस समय समाज का यही रिवाज था। मोहनदास और कस्तूरबा ने 1888 के वर्ष में एक बच्चे को जन्म दिया।

महात्मा गांधी ने अपनी शिक्षा जारी रखी और दक्षिण अफ्रीका चले गए। वहां उन्होंने कानून के क्षेत्र में अपनी पढ़ाई जारी रखी। मैंने एक वकील के रूप में लंदन के लोगों पर अच्छा प्रभाव डाला है। उन्हें 22 वर्ष की निविदा आयु में निर्णय लेने के लिए बुलाया गया था।

उन्होंने अपना पहला निर्णय 22 वर्ष की आयु में वर्ष 1891 में किया था। उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया और उन्हें वापस लंदन में रहने के लिए कहा गया। हालाँकि, उनका परिवार भारत में था और वे वापस आ गए। अंततः महात्मा गांधी ने लंदन में रंग के व्यक्ति के रूप में जिस भेदभाव का सामना किया, वह था।

कक्षा 9,10,11,12 के छात्रों के लिए महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi 300 words to 500 words)

महात्मा गांधी पर निबंध – महात्मा गांधी महान नहीं तो महान देशभक्त भारतीय थे। वह अविश्वसनीय रूप से महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। उसे निश्चित रूप से मेरे जैसे किसी की तारीफ करने की जरूरत नहीं है। इसके अलावा, भारतीय स्वतंत्रता के लिए उनके प्रयास अद्वितीय हैं।

सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि उनके बिना आजादी में काफी देरी होती। नतीजतन, अंग्रेजों ने, उनके दबाव के कारण, 1947 में भारत छोड़ दिया। महात्मा गांधी पर इस निबंध में, हम उनके योगदान और विरासत को देखेंगे।

महात्मा गांधी का योगदान

सबसे पहले, महात्मा गांधी एक उल्लेखनीय सार्वजनिक व्यक्ति थे। सामाजिक और राजनीतिक सुधार में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण थी। इन सबसे बढ़कर उन्होंने समाज को इन सामाजिक बुराइयों से मुक्ति दिलाई। इसलिए, कई उत्पीड़ित लोगों ने उनके प्रयासों से बड़ी राहत महसूस की। इन प्रयासों के कारण गांधी एक प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय व्यक्ति बन गए। इसके अलावा, वह कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया आउटलेट्स में चर्चा का विषय बने।

महात्मा गांधी ने पर्यावरणीय स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान दिया। सबसे उल्लेखनीय, उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी आवश्यकता के अनुसार उपभोग करना चाहिए। उन्होंने जो मुख्य प्रश्न उठाया वह था “एक व्यक्ति को कितना उपभोग करना चाहिए?”। गांधी ने निश्चित रूप से इस प्रश्न को सामने रखा।

इसके अलावा, गांधी द्वारा स्थिरता का यह मॉडल वर्तमान भारत में बहुत प्रासंगिक है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वर्तमान में भारत की जनसंख्या बहुत अधिक है। अक्षय ऊर्जा और लघु-स्तरीय सिंचाई प्रणालियों को बढ़ावा दिया गया है। यह अत्यधिक औद्योगिक विकास के खिलाफ गांधीजी के अभियानों के कारण था।

महात्मा गांधी का अहिंसा का दर्शन शायद उनका सबसे महत्वपूर्ण योगदान है। अहिंसा के इस दर्शन को अहिंसा के नाम से जाना जाता है। सबसे उल्लेखनीय, गांधीजी का उद्देश्य हिंसा के बिना स्वतंत्रता प्राप्त करना था।

चौरी-चौरा कांड के बाद उन्होंने असहयोग आंदोलन छोड़ने का फैसला किया। चौरी-चौरा कांड में हुई हिंसा के कारण ऐसा हुआ था। नतीजतन, कई लोग इस फैसले से परेशान हो गए। हालाँकि, गांधी अहिंसा के अपने दर्शन में अथक थे।

धर्मनिरपेक्षता गांधी का एक और योगदान है। उनका मानना ​​था कि सत्य पर किसी भी धर्म का एकाधिकार नहीं होना चाहिए। महात्मा गांधी ने निश्चित रूप से विभिन्न धर्मों के बीच मित्रता को प्रोत्साहित किया।

महात्मा गांधी की विरासत

महात्मा गांधी ने दुनिया भर के कई अंतरराष्ट्रीय नेताओं को प्रभावित किया है। उनका संघर्ष निश्चित रूप से नेताओं के लिए प्रेरणा बन गया। ऐसे नेता हैं मार्टिन लूथर किंग जूनियर, जेम्स बेव और जेम्स लॉसन।

इसके अलावा, गांधी ने नेल्सन मंडेला को उनके स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रभावित किया। इसके अलावा, लांजा डेल वास्तो गांधी के साथ रहने के लिए भारत आए।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने महात्मा गांधी का बहुत सम्मान किया है। संयुक्त राष्ट्र ने 2 अक्टूबर को “अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस” ​​के रूप में मनाया है। इसके अलावा, कई देश 30 जनवरी को अहिंसा और शांति के स्कूल दिवस के रूप में मनाते हैं।

महात्मा गांधी को दिए गए पुरस्कारों की चर्चा बहुत अधिक है। शायद कुछ ही राष्ट्र बचे हैं जिन्होंने महात्मा गांधी को सम्मानित नहीं किया है।

अंत में, महात्मा गांधी अब तक के सबसे महान राजनीतिक प्रतीकों में से एक थे। सबसे उल्लेखनीय, भारतीय उन्हें “राष्ट्र के पिता” के रूप में वर्णित करते हैं। उनका नाम निश्चित रूप से सभी पीढ़ियों के लिए अमर रहेगा।

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महात्मा गांधी निबंध से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

गांधी को ‘राष्ट्रपिता’ क्यों कहा जाता है.

महात्मा गांधी को ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में जाना जाता है क्योंकि उन्होंने अपने महान आदर्शों और सर्वोच्च बलिदान के साथ स्वतंत्र भारत की सच्ची नींव रखी।

हम अपने राष्ट्र के लिए महात्मा गांधी के योगदान को कैसे याद करते हैं?

2 अक्टूबर को उनका जन्मदिन देश की आजादी के लिए उनके महान योगदान और बलिदानों को मनाने के लिए पूरे देश में राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है।

महात्मा गांधी को किसने मारा?

नाथूराम गोडसे नाम के एक युवक ने महात्मा गांधी की उस समय हत्या कर दी जब वह एक शाम की प्रार्थना सभा में शामिल होने जा रहे थे।

महात्मा गांधी से प्रभावित किन्हीं दो नेताओं के नाम बताइए?

महात्मा गांधी से प्रभावित दो नेता मार्टिन लूथर किंग जूनियर और नेल्सन मंडेला हैं।

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gandhi jayanti essay 10 lines hindi

गाँधी जयंती पर 10 लाइन निबंध। 10 Lines on Gandhi Jayanti in Hindi

10 Lines About Gandhi Jayanti in Hindi – महात्मा गांधी , जिन्हे भारत देश का हर बच्चा – बच्चा जनता है। क्योकि इन्होने भारत देश को स्वतंत्रता दिलाने में अपना पूरा योगदान दिया था। गांधी जी के जन्मदिन को Gandhi Jayanti के रूप में मनाया जाता है। इसलिए प्रत्येक वर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। हमसे अक्सर स्कूलों में गाँधी जयंती के बारे में ( About Mahatma Gandhi in Hindi ) पूछा जाता है। इसीलिए आपको Mahatma Gandhi Essay in Hindi जरूर पता होना चाहिए। आप हमारे इस आर्टिकल में जानेंगे “ गाँधी जयंती पर 10 लाइन निबंध “।

10 Lines About Gandhi Jayanti in Hindi

10 Lines on Gandhi Jayanti in Hindi

1. 2 अक्टूबर 1869 को गांधी जी का जन्म हुआ था।

2. गांधी जी का जन्म गुजरात राज्य के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था।

3. 2 अक्टूबर को भारत के सभी सरकारी दफ्तरों तथा गैर सरकारी दफ्तरों में अवकास होता है।

4. गांधी जयंती एक राष्ट्रीय त्यौहार है।

5. गांधी जी अपने माता – पिता की चौथी संतान थे।

6. गांधी जी को लोग प्यार से बापू कहकर पुकारते थे।

7. गांधी जी को राष्ट्रीपिता की पदवी हासिल है।

8. गांधी जी ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन किया।

9. नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को गांधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

10. गांधी जी की समाधि दिल्ली के राजघाट नाम की जगह पर स्थित है।

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Mahatma Gandhi Essay in Hindi | स्कूली छात्रों के लिए महात्मा गांधी पर निबंध

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  • Updated on  
  • जनवरी 22, 2024

Mahatma Gandhi Essay in Hindi

भारत के स्वतंत्रता सेनानी और बापू के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने अंग्रेज़ों की गुलामी से भारत को आज़ाद कराने के लिए अपना पूरा जीवन दे दिया था। आज़ादी के लिए उन्होंने चंपारण, खेड़ा, आंदोलन, आंदोलन और भारत छोड़ो आदि आंदोलन किए। ऐसे में कई बार विद्यार्थियों को महात्मा गांधी पर निबंध तैयार करने को दिया जाता है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि महात्मा गांधी पर एक सूचनात्मक निबंध कैसे लिखें। यहाँ आपको 100, 200 और 500 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in Hindi के कुछ सैम्पल्स दिए गए हैं। आईये पढ़ते हैं उन सैम्पल्स को।

This Blog Includes:

महात्मा गांधी पर निबंध कैसे लिखें, महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में, महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में, गांधी जी के बारे में, महात्मा गाँधी द्वारा किए गए आंदोलन, गांधी जी की शिक्षा, गांधी जी ने उठाई आवाज, महात्मा गांधी पर निबंध pdf, gandhi jayanti quotes in hindi: गांधी जयंती कोट्स, महात्मा गांधी के बारे में रोचक तथ्य, विश्वास , प्रथा .

महात्मा गांधी पर निबंध लिखने के लिए, आपको उनके बारे में निम्नलिखित विवरणों का उल्लेख करना होगा।

  • देश के लिए योग
  • आजादी के लिए निभाया कर्तव्य

महात्मा गांधी पर 100 शब्दों में निबंध इस प्रकार हैः

महात्मा गांधी पर 200 शब्दों में निबंध इस प्रकार हैः

महात्मा गांधी को महात्मा , ‘महान आत्मा’ और कुछ लोगों द्वारा उन्हें बापू के नाम से जाना जाता है। महात्मा गांधी वह नेता थे जिन्होंने 200 से अधिक वर्षों से भारतीय जनता पर ब्रिटिश उपनिवेशवाद की बेड़ियों से भारत को मुक्त कराया था। 2 अक्टूबर, 1869 को भारत के पोरबंदर में जन्मे महात्मा गांधी का असली नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। गांधी बचपन से ही न तो कक्षा में मेधावी थे और न ही खेल के मैदान में बेहतर थे। उस समय किसी ने अनुमान नहीं लगाया होगा कि लड़का देश में लाखों लोगों को एक कर देगा और दुनिया भर में लाखों लोगों का नेतृत्व करेगा।

वहीं विश्व स्तर पर प्रसिद्ध व्यक्ति, महात्मा गांधी को उनकी अहिंसक, अत्यधिक बौद्धिक और सुधारवादी विचारधाराओं के लिए जाना जाता है। महान व्यक्तित्वों में माने जाने वाले, भारतीय समाज में गांधी का कद बेजोड़ है क्योंकि उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करने के उनके श्रमसाध्य प्रयासों के लिए ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में जाना जाता है। गांधी जी की शिक्षा का विचार मुख्य रूप से चरित्र निर्माण, नैतिक मूल्यों, नैतिकता और मुक्त शिक्षा पर केंद्रित था। वह इस बात की वकालत करने वाले पहले लोगों में से थे कि शिक्षा को सभी के लिए मुफ्त और सभी के लिए सुलभ बनाया जाना चाहिए, चाहे वह किसी भी वर्ग का हो।

महात्मा गांधी पर निबंध 400 शब्दों में

महात्मा गांधी पर निबंध- 400 शब्दों में इस प्रकार है:

देश की आजादी में मूलभूत भूमिका निभाने वाले तथा सभी को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले बापू को सर्वप्रथम बापू कहकर, राजवैद्य जीवराम कालिदास ने 1915 में संबोधित किया। आज दशकों बाद भी संसार उन्हें बापू के नाम से पुकारता है।

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गाँधी के पिता कठियावाड़ के छोटे से रियासत (पोरबंदर) के दिवान थे। आस्था में लीन माता और उस क्षेत्र के जैन धर्म के परंपराओं के कारण गाँधी जी के जीवन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा, जैसे की आत्मा की शुद्धि के लिए उपवास करना आदि। 13 वर्ष की आयु में गांधी जी का विवाह कस्तूरबा से करा दिया गया था।

असहयोग आंदोलन

जलियांवाला बाग नरसंहार से गाँधी जी को यह ज्ञात हो गया था कि ब्रिटिश सरकार से न्याय की अपेक्षा करना व्यर्थ है। अतः उन्होंने सितंबर 1920 से फरवरी 1922 के मध्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया। लाखों भारतीय के सहयोग मिलने से यह आंदोलन अत्यधिक सफल रहा। और इससे ब्रिटिश सरकार को भारी झटका लगा।

नमक सत्याग्रह

12 मार्च 1930 से साबरमती आश्रम (अहमदाबाद में स्थित स्थान) से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला गया। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के नमक पर एकाधिकार के खिलाफ छेड़ा गया। गाँधी जी द्वारा किए गए आंदोलनों में यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण आंदोलन था।

दलित आंदोलन

गाँधी जी द्वारा 1932 में अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना की गई और उन्होंने छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरूआत 8 मई 1933 में की।

भारत छोड़ो आंदोलन

ब्रिटिश साम्राज्य से भारत को तुरंत आजाद करने के लिए महात्मा गाँधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस के बॉम्बे अधिवेशन से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन आरम्भ किया गया।

चंपारण सत्याग्रह

ब्रिटिश ज़मींदार गरीब किसानों से अत्यधिक कम मूल्य पर जबरन नील की खेती करा रहे थे। इससे किसानों में भूखे मरने की स्थिति पैदा हो गई थी। यह आंदोलन बिहार के चंपारण जिले से 1917 में प्रारंभ किया गया। और यह उनकी भारत में पहली राजनैतिक जीत थी।

महात्मा गांधी के शब्दों में “कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले”। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इन्हीं सिद्धान्तों पर जीवन व्यतीत करते हुए भारत की आजादी के लिए ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अनेक आंदोलन लड़े।

महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में

500 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in Hindi इस प्रकार हैः

गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। भारत को स्वतंत्रता दिलवाने में उन्होंने एहम भूमिका निभायी थी। 2 अक्टूबर को हम उन्हीं की याद में गांधी जयंती मनाते है। वह सत्य के पुजारी थे। गांधीजी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।

गांधी जी के पिता का नाम करमचंद उत्तमचंद गांधी था और वह राजकोट के दीवान रह चुके थे। गांधी जी की माता का नाम पुतलीबाई था और वह धर्मिक विचारों और नियमों का पालन करती थीं। कस्तूरबा गांधी उनकी पत्नी का नाम था वह उनसे 6 माह बड़ी थीं। कस्तूरबा और गांधी जी के पिता मित्र थे, इसलिए उन्होंने अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदल दी। कस्तूरबा गांधी ने हर आंदोलन में गांधी जी का सहयोग दिया था।

गांधी जी ने पोरबंदर में पढ़ाई की थी और फिर माध्यमिक परीक्षा के लिए राजकोट गए थे। वह अपनी वकालत की आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए इंग्लैंड चले गए। गांधी जी ने 1891 में अपनी वकालत की शिक्षा पूरी की। लेकिन किसी कारण वश उन्हें अपने कानूनी केस के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहां जाकर उन्होंने रंग के चलते हो रहे भेद-भाव को महसूस किया और उसके खिलाफ अपनी आवाज़ उठाने की सोची। वहां के लोग लोगों पर ज़ुल्म करते थे और उनके साथ दुर्व्यवहार करते थे।

भारत वापस आने के बाद उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत की तानाशाह को जवाब देने के लिए और अपने लिखे समाज को एकजुट करने के बारे में सोचा। इसी दौरान उन्होंने कई आंदोलन किये जिसके लिए वे कई बार जेल भी जा चुके थे। गाँधी जी ने बिहार के चम्पारण जिले में जाकर किसानों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की। यह आंदोलन उन्होंने जमींदार और अंग्रेज़ों के खिलाफ किया था। एक बार गाँधीजी को स्वयं एक गोरे ने ट्रेन से उठाकर बाहर फेंक दिया क्योंकि उस श्रेणी में केवल गोरे यात्रा करना अपना अधिकार समझते थे परंतु गांधी जी उस श्रेणी में यात्रा कर रहे थे।

गांधी जी ने प्रण लिया कि वह काले लोगों और भारतीयों के लिए संघर्ष करेंगे। उन्होंने वहाँ रहने वाले भारतीयों के जीवन सुधार के लिए कई आन्दोलन किये । दक्षिण अफ्रीका में आन्दोलन के दौरान उन्हें सत्य और अहिंसा का महत्त्व समझ में आया। जब वह भारत वापस आए तब उन्होंने वही स्थिति यहां पर भी देखी, जो वह दक्षिण अफ्रीका में देखकर आए थे। 1920 में उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया और अंग्रेजों को ललकारा।

1930 में गांधी जी ने असहयोग आंदोलन चलाया और 1942 में उन्होंने अंग्रेजों से भारत छोड़ने का आह्वान किया। अपने इन आन्दोलन के दौरान वह कई बार जेल गए। हमारा भारत 1947 में आजाद हुआ, लेकिन 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई, जब वह संध्या प्रार्थना के लिए जा रहे थे।

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Mahatma Gandhi Essay in Hindi में हम महात्मा गांधी के कुछ अनमोल विचार के बारे में जानेंगे जो आपको अपना जीवन बदलने की राह आसान करेंगेः

  • “एक कायर प्यार का प्रदर्शन करने में असमर्थ होता है, प्रेम बहादुरों का विशेषाधिकार है।”
  • “मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन।”
  • “किसी चीज में यकीन करना और उसे ना जीना बेईमानी है।”
  • “राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है।”
  • “पृथ्वी सभी मनुष्यों की ज़रुरत पूरी करने के लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान करती है, लेकिन लालच पूरी करने के लिए नहीं।”
  • “प्रेम दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति है और फिर भी हम जिसकी कल्पना कर सकते हैं उसमे सबसे नम्र है।”
  • “एक राष्ट्र की संस्कृति उसमे रहने वाले लोगों के दिलों में और आत्मा में रहती है।”
  • “जहाँ प्रेम है वहां जीवन है।”
  • “सत्य बिना जन समर्थन के भी खड़ा रहता है, वह आत्मनिर्भर है।” 
  • “एक धर्म जो व्यावहारिक मामलों के कोई दिलचस्पी नहीं लेता है और उन्हें हल करने में कोई मदद नहीं करता है वह कोई धर्म नहीं है।”

Mahatma Gandhi Essay in Hindi जानने के साथ ही हमें महात्मा गांधी के बारे में रोचक तथ्यों के बारे में जानना चाहिए, जोकि इस प्रकार हैंः

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  • महात्मा गांधी की मातृ-भाषा गुजराती थी।
  • महात्मा गांधी ने राजकोट के अल्फ्रेड हाई स्कूल से पढ़ाई की थी।
  • महात्मा गांधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर को ही अंतरराष्ट्रीय अंहिसा दिवस के रूप मे विश्वभर में मनाया जाता है।
  • वह अपने माता-पिता के सबसे छोटी संतान थे उनके दो भाई और एक बहन थी।
  • माधव देसाई, गांधी जी के निजी सचिव थे।
  • महात्मा गांधी की हत्या बिरला भवन के बगीचे में हुई थी।
  • महात्मा गांधी और प्रसिध्द लेखक लियो टॉलस्टॉय के बीच लगातार पत्र व्यवहार होता था।
  • महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह संघर्ष के दोरान, जोहांसबर्ग से 21 मील दूर एक 1100 एकड़ की छोटी सी कालोनी, टॉलस्टॉय फार्म स्थापित की थी।
  • महात्मा गांधी का जन्म शुक्रवार को हुआ था, भारत को स्वतंत्रता भी शुक्रवार को ही मिली थी तथा महात्मा गांधी की हत्या भी शुक्रवार को ही हुई थी।
  • महात्मा गांधी के पास नकली दांतों का एक सेट हमेशा मौजूद रहता था।

महात्मा गांधी जी के सिद्धांत, प्रथा और विश्वास

गांधी जी के बयानों, पत्रों और जीवन के सिद्धांतों, प्रथाओं और विश्वासों ने राजनीतिज्ञों और विद्वानों को आकर्षित किया है, जिसमें उन्हें प्रभावित किया है। कुछ लेखक उन्हें नैतिक जीवन और शांतिवाद के प्रतिमान के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जबकि अन्य उन्हें उनकी संस्कृति और परिस्थितियों से प्रभावित एक अधिक जटिल, विरोधाभासी और विकसित चरित्र के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जिसकी जानकारी नीचे दी गई है:

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सत्य और सत्याग्रह

गांधी ने अपना जीवन सत्य की खोज और पीछा करने के लिए समर्पित कर दिया, और अपने आंदोलन को सत्याग्रह कहा, जिसका अर्थ है “सत्य के लिए अपील करना, आग्रह करना या उस पर भरोसा करना”। एक राजनीतिक आंदोलन और सिद्धांत के रूप में सत्याग्रह का पहला सूत्रीकरण 1920 में हुआ, जिसे उन्होंने उस वर्ष सितंबर में भारतीय कांग्रेस के एक सत्र से पहले ” असहयोग पर संकल्प ” के रूप में पेश किया।

हालांकि अहिंसा के सिद्धांत को जन्म देने वाले गांधी जी नहीं थे, वे इसे बड़े पैमाने पर राजनीतिक क्षेत्र में लागू करने वाले पहले व्यक्ति थे। अहिंसा की अवधारणा का भारतीय धार्मिक विचार में एक लंबा इतिहास रहा है, इसे सर्वोच्च धर्म माना जाता है। 

गांधीवादी अर्थशास्त्र

गांधी जी सर्वोदय आर्थिक मॉडल में विश्वास करते थे, जिसका शाब्दिक अर्थ है “कल्याण, सभी का उत्थान”। समाजवाद मॉडल की तुलना में एक बहुत अलग आर्थिक मॉडल था।

बौद्ध, जैन और सिख

गांधी जी का मानना ​​था कि बौद्ध, जैन और सिख धर्म हिंदू धर्म की परंपराएं हैं, जिनका साझा इतिहास, संस्कार और विचार हैं।

मुस्लिम 

गांधी के इस्लाम के बारे में आम तौर पर सकारात्मक और सहानुभूतिपूर्ण विचार थे और उन्होंने बड़े पैमाने पर कुरान का अध्ययन किया। उन्होंने इस्लाम को एक ऐसे विश्वास के रूप में देखा जिसने शांति को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया, और महसूस किया कि कुरान में अहिंसा का प्रमुख स्थान है।

गांधी ने ईसाई धर्म की प्रशंसा की। वह ब्रिटिश भारत में ईसाई मिशनरी प्रयासों के आलोचक थे, क्योंकि वे चिकित्सा या शिक्षा सहायता को इस मांग के साथ मिलते थे कि लाभार्थी ईसाई धर्म में परिवर्तित हो जाए। सीधे शब्दों में समझें तो गांधीजी हर धर्म का सम्मान और विश्वास करते थे।

गांधी जी ने महिलाओं की मुक्ति का पुरजोर समर्थन किया, और “महिलाओं को अपने स्वयं के विकास के लिए लड़ने के लिए” आग्रह किया। उन्होंने पर्दा, बाल विवाह, दहेज और सती प्रथा का विरोध किया।

अस्पृश्यता और जातियां

गांधी जी ने अपने जीवन के शुरुआती दिनों में अस्पृश्यता के खिलाफ बात की थी। 

नई शिक्षा प्रणाली, बुनियादी शिक्षा

गांधी जी ने शिक्षा प्रणाली के औपनिवेशिक पश्चिमी प्रारूप को खारिज कर दिया। 

सम्बंधित आर्टिकल्स 

सादा जीवन, उच्च विचार।

महात्मा गांधी जी को भारत में राष्ट्रपिता के रूप में सम्मानित किया जाता है। स्वतंत्र भारत के संविधान द्वारा महात्मा को राष्ट्रपिता की उपाधि प्रदान किए जाने से बहुत पहले, नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही थे।

गांधी की मां पुतलीबाई अत्यधिक धार्मिक थीं। उनकी दिनचर्या घर और मंदिर में बंटी हुई थी। वह नियमित रूप से उपवास रखती थीं और परिवार में किसी के बीमार पड़ने पर उसकी सेवा सुश्रुषा में दिन-रात एक कर देती थीं।

गाँधी का मत था स्वराज का अर्थ है जनप्रतिनिधियों द्वारा संचालित ऐसी व्यवस्था जो जन-आवश्यकताओं तथा जन-आकांक्षाओं के अनुरूप हो।

इसका सूत्रपात सर्वप्रथम महात्मा गांधी ने 1894 ई. में दक्षिण अफ़्रीका में किया था।

महात्मा गांधी, मोहनदास करमचंद गांधी के नाम से, (जन्म 2 अक्टूबर, 1869, पोरबंदर, भारत- मृत्यु 30 जनवरी, 1948, दिल्ली), भारतीय वकील, राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता, और लेखक जो अंग्रेजों के खिलाफ राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता बने।

महात्मा गांधी

उम्मीद है कि आपको Mahatma Gandhi Essay in Hindi कैसे लिखें, यह पता चल गया होगा। इसी तरह के अन्य निबंध से सम्बंधित ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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रश्मि पटेल विविध एजुकेशनल बैकग्राउंड रखने वाली एक पैशनेट राइटर और एडिटर हैं। उनके पास Diploma in Computer Science और BA in Public Administration and Sociology की डिग्री है, जिसका ज्ञान उन्हें UPSC व अन्य ब्लॉग लिखने और एडिट करने में मदद करता है। वर्तमान में, वह हिंदी साहित्य में अपनी दूसरी बैचलर की डिग्री हासिल कर रही हैं, जो भाषा और इसकी समृद्ध साहित्यिक परंपरा के प्रति उनके प्रेम से प्रेरित है। लीवरेज एडु में एडिटर के रूप में 2 साल से ज़्यादा अनुभव के साथ, रश्मि ने छात्रों को मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करने में अपनी स्किल्स को निखारा है। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों को संबोधित करते हुए 1000 से अधिक ब्लॉग लिखे हैं और 2000 से अधिक ब्लॉग को एडिट किया है। रश्मि ने कक्षा 1 से ले कर PhD विद्यार्थियों तक के लिए ब्लॉग लिखे हैं जिन में उन्होंने कोर्स चयन से ले कर एग्जाम प्रिपरेशन, कॉलेज सिलेक्शन, छात्र जीवन से जुड़े मुद्दे, एजुकेशन लोन्स और अन्य कई मुद्दों पर बात की है। Leverage Edu पर उनके ब्लॉग 50 लाख से भी ज़्यादा बार पढ़े जा चुके हैं। रश्मि को नए SEO टूल की खोज व उनका उपयोग करने और लेटेस्ट ट्रेंड्स के साथ अपडेट रहने में गहरी रुचि है। लेखन और संगठन के अलावा, रश्मि पटेल की प्राथमिक रुचि किताबें पढ़ना, कविता लिखना, शब्दों की सुंदरता की सराहना करना है।

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10 Lines On Gandhi Jayanti In Hindi And English Language

10 Lines On Gandhi Jayanti In Hindi And English Language

आज हम गाँधी जयंती पर हिंदी और इंग्लिश में 10 पंक्तिया ( 10 Lines on Gandhi Jayanti in Hindi and English ) लिखेंगे। दोस्तों यह 10 पॉइंट class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखे गए है।

गांधी जयंती को महात्मा गांधीजी के सम्मान मैं मनाया जाता है। महात्मा गांधी कौन थे, उन्होंने इस देश के लिए क्या किया और क्या नहीं किया इसके बारे में शायद ही किसी को बताने की जरूरत होगी। 

महात्मा गांधीजी एक ऐसे व्यक्ति है जिन्हें पूरी दुनिया जानती है और उनके बारे में बातें करती है। ऐसे महान व्यक्ति के जयंती को हम हर वर्ष मनाते हैं, जिसके बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से 10 लाइन मैं जानेंगे।

अगर आप महात्मा गांधी पर 10 लाइंस को पढ़ना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके आप उस लेख को पढ़ सकते हैं। दोस्तों आज जो 10 lines हम गांधी जयंती पर लिखने वाले हैं, वह आपको इस लेख में हिंदी और इंग्लिश दोनों भाषाओं में मिल जायेंगे। 

इन्हे भी पढ़े :- 

  • 10 Lines On Mahatma Gandhi In Hindi And English Language
  • राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay In Hindi)
  • गाँधी जयंती पर निबंध (Gandhi Jayanti Essay In Hindi)

Table of Contents

10 Lines On Gandhi Jayanti In Hindi

  • गांधी जयंती को हर वर्ष 2 अक्टूबर को पूरे भारत में मनाया जाता है।
  • गांधी जयंती को महात्मा गांधीजी के जन्मदिन के खुशी में मनाया जाता है।
  • महात्मा गांधीजी सत्य और अहिंसा को मानते थे और दूसरों को भी अहिंसा के मार्ग पर चलने की शिक्षा देते थे।
  • महात्मा गांधीजी के अहिंसा के सोच के वजह से हर वर्ष 2 अक्टूबर को पूरा विश्व अहिंसा का अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाता हैं।
  • महात्मा गांधी जी को बापू, राष्ट्रपिता भी कहा जाता है और 2 अक्टूबर को उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए गांधी जयंती मनाई जाती है।
  • गांधीजी को महात्मा का शीर्षक रवींद्रनाथ टैगोर जी ने शांतिनिकेतन आश्रम में दिया था।
  • महात्मा गांधीजी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है।
  • महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।
  • गांधी जयंती को हर वर्ष दिल्ली के राजघाट में मनाया जाता है।
  • गांधी जयंती के दिन महात्मा गांधीजी के स्मारक के आगे प्रार्थना सभा की जाती है और इस सभा में भारत के प्रधानमंत्री भी मौजूद होते है।

5 Lines On Gandhi Jayanti In Hindi

  • गांधी जयंती के दिन रघुपति राघव राजा राम गीत को गांधीजी के याद में गाया जाता है।
  • गांधी जयंती के दिन पूरे भारत के विद्यालय और दफ्तर में गांधी जयंती को मनाया जाता है।
  • गांधी जयंती के दिन विद्यालयों में बहुत सी प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है।
  • आज जो आजादी हमें मिली है उसके लिए बहुत बड़ा योगदान गांधीजी का और उनके सत्य और अहिंसा के संदेश का है।
  • महात्मा गांधी ने जो काम हमारे देश के लिए किये है, उसके लिए हमें उनका सम्मान करना चाहिए और गांधी जयंती के दिन उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उनके बताये सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलना चाहिए।

10 Lines On Gandhi Jayanti In English

  • Gandhi Jayanti is celebrated every year on 2 October throughout India.
  • Gandhi Jayanti is celebrated to celebrate the birthday of Mahatma Gandhi.
  • Mahatma Gandhiji believed in truth and non-violence and used to teach others to follow the path of non-violence.
  • Every year on October 2, the whole world celebrates the International Day of Non-Violence due to Mahatma Gandhi’s thinking of non-violence.
  • Mahatma Gandhi ji is also known as Bapu, the Father of the Nation and Gandhi Jayanti is celebrated to pay tribute to him on 2 October.
  • Gandhiji was given the title of Mahatma by Rabindranath Tagore in Santiniketan Ashram.
  • The full name of Mahatma Gandhi is Mohandas Karamchand Gandhi.
  • Mahatma Gandhi was born on 2 October in Porbandar, Gujarat.
  • Gandhi Jayanti is celebrated every year at Rajghat in Delhi.
  • On Gandhi Jayanti, a prayer meeting is held in front of the memorial of Mahatma Gandhi and the Prime Minister of India is also present in this meeting.

5 Lines On Gandhi Jayanti In English

  • The song Raghupati Raghav Raja Ram is sung in memory of Gandhiji on Gandhi Jayanti.
  • Gandhi Jayanti is celebrated on the day of Gandhi Jayanti in schools and offices across India.
  • Many competitions are held in schools on Gandhi Jayanti.
  • The great contribution to freedom we have received today is from Gandhiji and his message of truth and non-violence.
  • For the work that Mahatma Gandhi has done for our country, we should respect him and pay tribute to him on Gandhi Jayanti and walk on the path of truth and non-violence that he has told us.

इन्हे भी पढ़े :-

  • गाँधीजी की आत्मकथा निबंध (Autobiography Of Mahatma Gandhi Hindi Essay)

तो यह थे वह 10 पंक्तिया गाँधी जयंती के बारे में। आशा करता हूं कि गाँधी जयंती पर हिंदी और इंग्लिश में 10 पंक्तिया ( 10 Lines On Gandhi Jayanti In Hindi And English ) आपको पसंद आयी होगी। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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10 Lines On Gandhi Jayanti in Hindi

गाँधी जयंती पर १० पंक्तियाँ | 10 Lines On Gandhi Jayanti in Hindi

10 Lines on Gandhi Jayanti in Hindi – हेलो दोस्तों, स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट Hindidrive.com पर। आज हम आपके लिए गांधी जयंती पर कुछ पंक्तियां लेकर आए हैं। दोस्तों, महात्मा गांधी जी के विषय में तो हम सभी बहुत अच्छे से जानते हैं। देश की आजादी के विषय में बात करें तो सबसे पहला नाम हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का ही आता है। इन्होंने ना सिर्फ हमारे भारत देश को आजाद कराया बल्कि अपनी महान विचारधाराओं से इस देश के लोगों को भी अवगत कराया। भारतवासी इनके द्वारा दिए गए योगदान को कभी नहीं भूलेंगे।

10 Lines On Gandhi Jayanti in Hindi | गाँधी जयंती पर १० पंक्तियाँ

10 Lines On Gandhi Jayanti in Hindi

  • गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था। इसीलिए गांधी जयंती 2 अक्टूबर को मनाई जाती है।
  • इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।
  • गांधी जी ने लंदन से वकालत की पढ़ाई की थी।
  • इस दिन को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता हैं।
  • गांधी जयंती सभी को हिंसा और सत्य के मार्ग पर चलने का संदेश देते थे।
  • भारत में आजादी के लिए गांधी जी ने दांडी यात्रा, असहयोग आंदोलन, और भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी।
  • गांधी जयंती पर विद्यालयों में छोटे कार्यक्रम भी रखे जाते हैं। बच्चों को गांधीजी के विषय में बताया जाता है,और उससे जुड़े आदर्शों को बताए जाते हैं।
  • गांधी जयंती पर बच्चों को प्रेरित किया जाता है, और उन्हें सही मार्ग पर चलने के लिए कहा जाता है।
  • गांधी जी को आजादी के लिए ब्रिटिश शासन का विरोध किया, इसके लिए उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा।
  • 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे द्वारा गांधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

गाँधी जयंती पर ५ पंक्तियाँ।5 Lines On Gandhi Jayanti in Hindi

5 Lines On Gandhi Jayanti in Hindi

  • गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर में हुआ था।
  • गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है।
  • गांधी जयंती को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
  • महात्मा गांधी जी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ी थी।
  • 30 जनवरी 1984 गांधीजी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

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Gandhi jayanti essay in hindi गांधी जयंती निबंध हिंदी में.

Hello, guys today we are going to discuss Gandhi Jayanti Essay in Hindi. What is Gandhi Jayanti? We have written an essay on Gandhi Jayanti essay in Hindi. Now you can take an example to write Gandhi Jayanti essay in Hindi in a better way. Gandhi Jayanti essay in Hindi is asked in most exams nowadays starting from 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. गांधी जयंती निबंध हिंदी में।

hindiinhindi Gandhi Jayanti Essay in Hindi

Gandhi Jayanti Essay in Hindi

गांधी जयंती निबंध

गाँधी-जयन्ती : गांधी-जयन्ती भी एक राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाई जाती है। गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गांधी था। इनका जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ।

गाँधी जी ने भारत छोड़ो आन्दोलन, असहयोग आन्दोलन, डाँडी यात्रा के द्वारा अंग्रेजी सरकार की गलत नीतियों का विरोध किया और भारत की सोई हुई आत्मा को जगाया। विश्व की पीड़ित और शोषित पीढ़ी के लिए मानव-कल्याण के कार्य किए। इसीलिए उनके जन्म दिवस को पूरे भारतवर्ष में श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है। गाँधी जी की पुण्यतिथि को संयुक्त राष्ट्र द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

महात्मा गाँधी ने भारत को आजादी दिलाने के लिए सत्य और अहिंसा को अपना अस्त्र बनाया। सन् 1942 में उन्होंने अंग्रेज़ो भारत छोड़ो” आन्दोलन चला कर भारत को एक सूत्र में पिरो दिया। इन्होंने कई बार जेल यात्राएँ की। उन्होंने देशवासियों और देश के सम्मान की रक्षा के लिए अत्याचारी को खुल कर चुनौती दी। उन्होंने देश को असहयोग का नया रास्ता दिखाया। आठ वर्ष तक रंग-भेद के विरोध में सत्याग्रह करते रहे। भारत की सोई हुई आत्मा को जगाया। इसलिए हम इन्हें ‘राष्ट्रपिता’ या ‘बापू’ कहते हैं।

“सत्य अहिंसा की ज्योत जगाई, एकता की राह बताई।

अहिंसा का तीर जो छोड़ा, डर गोरों ने भारत छोड़ा।”

गाँधी जयंती पर देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तथा अन्य मान्यगण राजघाट दिल्ली में गाँधी जी की समाधि पर पुष्प अर्पित करके श्रद्धांजलि देते हैं। गाँधी जी ने लोगों को आदर्श जीवन जीने का उपदेश ही नहीं दिया बल्कि स्वयं जी कर दिखाया।

इस दिन पूरे भारत में दूसरे राष्ट्रीय पर्वो की तरह अवकाश रहता है। राष्ट्रीय पर्व हमारे देश-प्रेम, सत्य, अहिंसा और भारतीय शासन प्रणाली में भारतीयों की आस्था को प्रकट करते हैं। जबकि अहिंसा, प्रेम और सत्य गाँधी जी के ही तीन हथियार थे। इन्हीं से गाँधी जी ने स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी और सफलता पाई।

‘दे दी हमें आजादी बिना खड्ग बिना ढाल,

साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल।’

हेमंत कुमार साबरमती आश्रम में गाँधी जयन्ती पर विशेष प्रार्थना-सभा की जाती है। इस दिन चरखे पर सूत काता जाता है। जगह-जगह प्रार्थना सभाएँ होती हैं। इस प्रकार हम अपने राष्ट्रपिता के प्रति अपनी भावनाएँ अर्पित करते हैं। जिसमें गाँधी जी के प्रिय भजनों का गायन विशेष रूप से किया जाता है।

में भी गाँधी जी के जीवन से शिक्षा लेनी चाहिए, उनके बताए। मार्ग पर चलना चाहिए। भारत उनके द्वारा स्वतन्त्रता-सग्राम में किये योगदान के लिए सदैव उनका ऋणी रहेगा।

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